नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी

नोबल विजेता अभिजीत बनर्जी व चेतन भगत के अजोब तर्क!

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सुरेंद्र किशोर नोबल विजेता अभिजीत बनर्जी और अब चेतन भगत! ये दोनों बुद्धिजीवी चाहते हैं कि भारत सरकार भ्रष्टाचार पर कोई कार्रवाई ही न...
मुंबई की स्काटलैंड पुलिस अब तक कहां थी! केंद्र सरकार के नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एन.सी.बी.) के दस्ते इन दिनों मुंबई में प्रभावशाली लोगों को गिरफ्तार कर रहे हैं।

मुंबई पुलिस कहां सोई थी, अब पकड़े जा रहे नशे के बड़े सौदागर

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सुरेंद्र किशोर मुंबई की स्काटलैंड पुलिस अब तक कहां थी! केंद्र सरकार के नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एन.सी.बी.) के दस्ते इन दिनों मुंबई में प्रभावशाली...
समरस होना ही समर्थ या सामर्थ्यवान भारत की पहचान है। समरसता से मिली ताकत के कारण ही भारत जगत गुरु कहलाया और यही ताकत उसे और आगे ले जाएगी।

भीष्म नारायण सिंह का जाना भोजपुरी भाषियों का बड़ा नुकसान

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उमेश चतुर्वेदी हम भोजपुरीभाषियों की एक कमी है, जैसे ही हम थोड़ा पढ़-लिख जाते हैं, सार्वजनिक जगहों पर आपसी लोगों से बातचीत में भोजपुरी...

उसे मत मारो ओशो के निजी सचिव आनंद शीला की दास्तान

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नवीन शर्मा ओशो रजनीश की पूर्व निजी सचिव मां आनंद शीला ने अपने संस्मरण ‘उसे मत मारो, भगवान रजनीश के साथ मेरे जीवन की...

जन्मदिन विशेषः खूबसूरती के चितेरे फिल्मकार यश चोपड़ा

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नवीन शर्मा यश चोपड़ा हिंदी फिल्मों में सबसे प्यारी रोमांटिक फिल्में बनाने वाले फिल्मकार थे। इसी वजह से उन्हें किंग्स ऑफ रोमांस कहा जाता...
इंदिरा गांधीः आपातकाल की प्रणेता

लोकतांत्रिक इतिहास का काला पन्ना है आपातकाल

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नवीन शर्मा लोकतांत्रिक इतिहास का काला पन्ना है आपातकाल। निरंकुश राजतंत्र की तुलना में लोकतंत्र काफी अच्छी व्यवस्था है। यह शासन व्यवस्था को निरंकुश...
मोरारजी देसाई सीएम से पीएम तक रहे, पर अपने लिए कोई मकान तक नहीं बनवाया। अंतिम दिनों में वे किराए के मकान में थे। कोई संपत्ति खड़ी नहीं की।

मोरारजी देसाई खुद का बैठकखाना यानी घर नहीं बनवा सके थे

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मोरारजी देसाई की पुण्यतिथि पर सुरेंद्र किशोर मोरारजी देसाई खुद का बैठकखाना यानी घर नहीं बनवा सके थे, क्योंकि वेतन के पैसों से घर बनाना...
रांची की पतरातू घाटी

यह वही रांची हैं, जहां एक ईसाई संत ने रामकथा लिखी

संजय कृष्ण यह वही रांची हैं, जहां एक ईसाई संत फादर कामिल बुल्के ने रामकथा लिखी। यह वही रांची है, जहां राष्ट्रकवि दिनकर ने...
कमलेश्वर (6 जनवरी 1932- 27 जनवरी 2007), ख्यातिलब्ध साहित्यशिल्पी का प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया और सिनेमा विधा में विपुल योगदान है।

कमलेश्वर ने कहा थाः साहित्य जड़ है तो प्रिंट मीडिया तना है

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कृपाशंकर चौबे कमलेश्वर (6 जनवरी 1932- 27 जनवरी 2007), ख्यातिलब्ध साहित्यशिल्पी का प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया और सिनेमा विधा में विपुल योगदान है। उन्होंने...
कोरोना काल में न सिर्फ जरूरी कामकाज छप पड़ गये हैं, बल्कि शादी-विवाह और प्रणय संबंधों पर इसने चोट पहुंचायी है।

कोरोना के बहाने बिदेेसिया की याद- अंखियां से दिन भर गिरे लोर ढर-ढर

कोरोना के बहाने बिदेसिया और इसके रचनाकार भिखारी ठाकुर को लेखक ने कुछ इस तरह याद किया है- अंखियां से दिन भर गिरे लोर...