मोरारजी देसाई खुद का बैठकखाना यानी घर नहीं बनवा सके थे

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मोरारजी देसाई सीएम से पीएम तक रहे, पर अपने लिए कोई मकान तक नहीं बनवाया। अंतिम दिनों में वे किराए के मकान में थे। कोई संपत्ति खड़ी नहीं की।
मोरारजी देसाई सीएम से पीएम तक रहे, पर अपने लिए कोई मकान तक नहीं बनवाया। अंतिम दिनों में वे किराए के मकान में थे। कोई संपत्ति खड़ी नहीं की।

मोरारजी देसाई की पुण्यतिथि पर

  • सुरेंद्र किशोर
सुरेंद्र किशोर

मोरारजी देसाई खुद का बैठकखाना यानी घर नहीं बनवा सके थे, क्योंकि वेतन के पैसों से घर बनाना संभव नहीं हुआ। उनकी ईमानदारी के कई किस्से हैं। प्रधानमंत्री के रूप में  मोरारजी देसाई जब पटना आए थे तो वे रात में राज भवन की खुली जगह में ही मच्छरदानी लगा कर सो गए थे। तब सुना था कि उन्होंने  पंखा भी नहीं चलने दिया था। तब कुछ लोगों को इस बात पर  आश्चर्य हुआ था कि उन्होंने एयर कंडीशनर का इस्तेमाल नहीं किया। आजादी की लड़ाई में तरह-तरह की तकलीफें झेलने के अभ्यस्त ऐसे गांधीवादी नेताओं की  साधारण जीवन शैली की कल्पना शायद आज की पीढ़ी को नहीं होगी।

आजादी के तत्काल बाद के कुछ नेता जब दिल्ली या अपने राज्य से बाहर जाते थे तो वे अपने मित्र नेताओं व राजनीतिक कार्यकर्ताओं के आवास में टिकते थे। पर, बाद के वर्षों में वह परंपरा लगभग समाप्त हो गयी। उसके कई कारण थे। एक कारण तो बड़ा शर्मनाक था। कुछ लोग अनैतिक संबंधों की अफवाह फैलाने लगे।

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अपवादों को छोड़ दें तो आज तो अधिकतर दलों के  सामान्य राजनीतिक कार्यकर्तागण भी शीत- ताप नियंत्रित जीवन शैली  के अभ्यस्त हो चुके हैं। आज अधिकतर नेताओं के लिए राजनीति, बेईमानी से भरे  व्यापार में परिणत हो चुकी है। राजशाही जैसी वंशवादी बन गई है, ऐसे में  ऐयाशी स्वाभाविक ही है।

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मोरारजी देसाई ने अपने लिए कोई निजी घर तक नहीं बनवाया, जबकि उप समाहर्ता की नौकरी छोड़ कर आजादी की लड़ाई में कूदे थे। प्रधानमंत्री के रूप में सर्विस प्लेन से ही विदेश जाते थे, विशेष विमान से नहीं। सरकार के पैसे बचाने के लिए वे वैसा करते थे। पर, उस कारण अनेक पत्रकारों को विदेश यात्रा से वंचित रह जाना पड़ता था। नतीजतन कुछ नाराज पत्रकार उनकी मूत्र चिकित्सा को लेकर उनका मजाक उड़ाते रहते थे।

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तब घनश्याम पंकज समाचार भारती के पटना ब्यूरो प्रमुख थे। प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई मास्को जाने वाले थे। पत्रकारों ने जब साथ ले चलने का उनसे आग्रह किया तो मोरारजी ने कहा कि तुम्हारे संस्थान खर्च नहीं देंगे? तुम भी अपने खर्च से सर्विस विमान से चलो। मैं तुम सबके लिए जनता का पैसा बड़े विमान पर क्यों खर्च करूं?

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पंकज जी समाचार भारती के खर्चे पर सर्विस विमान से मास्को गए थे। लौट कर पंकज जी ने  दैनिक ‘आज’ के पटना आफिस में उस यात्रा का रोचक  संस्मरण सुनाया था। तब मैं आज में काम करता था। ऐसे थे मोरारजी भाई। जीवन के आखिरी दिनों में  जब एक मुकदमे के कारण मुम्बई के उनके किराए के मकान को भी उन्हें खाली करना पड़ा तो इस बेघर पूर्व प्रधानमंत्री के लिए शरद पवार ने रहने की व्यवस्था कराई थी।

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इस बीच कुछ अन्य पूर्व प्रधानमंत्रियों, पूर्व उप प्रधान मंत्रियों, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों व पूर्व मुख्यमंत्रियों  और उनके रिश्तेदारों की अपार धन-दौलत की खबरें समय-समय पर पढ़ते जाइए! याद रहे कि मोरारजी भाई बारी-बारी से इन सभी पदों पर बैठ चुके थे। खुद का बैठकखाना यानी घर नहीं बनवा सके, क्योंकि वेतन के पैसों से घर बनाना संभव नहीं हुआ।

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