प्रलेक प्रकाशन की शिनाख्त सीरिज में- ‘कृपाशंकर चौबे एक शिनाख्त’

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ओमप्रकाश अश्क प्रलेक प्रकाशन, मुंबई ने पत्रकार, स्तंभकार, टिप्पणीकार, निबंधकार, साहित्य समालोचक कृपाशंकर चौबे के सृजन और शोध पर 464 पृष्ठों का ग्रंथ अभी-अभी...

मीडिया में बेरोजगारी का तेजी से बढ़ रहा है संकट

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उमेश चतुर्वेदी दिल्ली की हिंदी पत्रकारिता में एक जबर्दस्त चलन है। जिन्हें रोजगार की तलाश होती है, वे रोजगार दे सकने वाले लोगों...

सड़  गई है हमारी जाति व्यवस्था

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भारतीय समाज में जाति व्यवस्था का काफी महत्व रहा है। ऐतिहासिक विकास क्रम में इसका भी विस्तार होता चला गया है। जाति व्यवस्था के...

बिहार को आगे बढ़ाने में केंद्र निभा रहा ऐतिहासिक भूमिका: राजीव रंजन

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पटना। बिहार के विकास के लिए केंद्र सरकार को प्रतिबद्ध बताते हुए भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने बिहार के हो...
आर्थिक उदारीकरण ने आपको वेतन-पैकेज लाख-करोड़ रुपये तो दिये, लेकिन ये पैसे बाजार के रास्ते फिर पूंजीपतियों के पास ही पहुंच गये। इसे कोई नहीं समझा।

आर्थिक उदारीकरण ने पैकेज तो दिये, पर बाजार के रास्ते ले लिये

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आर्थिक उदारीकरण ने आपको वेतन-पैकेज लाख-करोड़ रुपये तो दिये, लेकिन ये पैसे बाजार के रास्ते फिर पूंजीपतियों के पास ही पहुंच गये। इसे कोई...
पाकिस्तानी सेना के जनरल एके नियाजी जब बांग्लादेश युद्ध में हार के बाद सरेंडर कर रहे थे तो वहां मौजूद भीड़ उन्हें मारने पर उतारू थी. भीड़ से बचाने के लिए भारतीय जवानों ने मानव  प्राचीर बना दी.

पाकिस्तानी सेना के जनरल को जब हमारे जवानों ने बचा लिया 

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पाकिस्तानी सेना के जनरल एके नियाजी जब बांग्लादेश युद्ध में हार के बाद सरेंडर कर रहे थे तो वहां मौजूद भीड़ उन्हें मारने पर...
ओमप्रकाश अश्क

जब प्रभात खबर के संपादकीय में कंप्यूटर सीखना अनिवार्य किया

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वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की, संस्मरणों पर आधारित प्रस्तावित पुस्तक- मुन्ना मास्टर बने एडिटर- की धारावाहिक कड़ी लगातार आप पढ़ रहे हैं। इस पर...

मलिकाइन के पाती- कोउ नृप होई हमें का हानी, चेरी छोड़ ना होखब रानी

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पांव लागीं ए मलिकार। कबहूं रउरा के पाती टाइम पर नइखीं पठा पावत। कई बेर त लिखनीहार खोजे के परत बा आ कबो कवनो...
दिवंगत पूर्व सांसद ए.के. राय

राजनीति में आसान नहीं है कामरेड ए.के. राय बनना

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राजनीति में आसान नहीं है ए.के. राय बनना। दो दिनों पहले कामरेड एके राय का निधन हो गया। तकरीबन साढ़े आठ दशक के जीवन...
इसी अखबार में एम. चेलापति राव 30 साल तक संपादक रहे

एक संपादक ऐसा भी, जिसके लिए पद्म भूषण निरर्थक था

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एक संपादक ऐसा भी, जिसके लिए पद्म भूषण निरर्थक था। यह सुन कर लोगों को आश्चर्य होगा, लेकिन ऐसा एम. चेलापति राव (दिवंगत) ने...