अधिक मास में 33 पुओं के दान का है बड़ा महत्व

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जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस समय अधिक मास चल रहा है, हमारे वैदिक शास्त्रों में अधिक मास को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया है, जो भी जन इस मास में पूजा-पाठ, दान, धार्मिक कार्यक्रम, तीर्थ स्थान पर जाना आदि कार्यों को करते हैं तो उनको इसका कई गुना फल मिलता है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस समय अधिक मास चल रहा है, हमारे वैदिक शास्त्रों में अधिक मास को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया है, जो भी जन इस मास में पूजा-पाठ, दान, धार्मिक कार्यक्रम, तीर्थ स्थान पर जाना आदि कार्यों को करते हैं तो उनको इसका कई गुना फल मिलता है।

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस समय अधिक मास चल रहा है, हमारे वैदिक शास्त्रों में अधिक मास को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया है, जो भी जन इस मास में पूजा-पाठ, दान, धार्मिक कार्यक्रम, तीर्थ स्थान पर जाना आदि कार्यों को करते हैं तो उनको इसका कई गुना फल मिलता है।

अज्ञानता वश जाने अनजाने में किए हुए दोषों की निवृत्ति हेतु इस माह की एकादशी से अमावस्या तक के बीच में 33 पुए और साथ में ऋतु फल (5 या 11) आदि का दान करने से पूरे अधिक मास का उत्तम फल मिलता है।

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आइए जानें, 33 पुए के महादान के बारे में

सबसे पहले 30 पूए 30 दिन के अनुसार पूरे मास (महीना) के होते हैं, उसके बाद विशेषकर जो तीन पुए हैं, उनका महत्व यह है कि हमारी हिंदू सभ्यता में आज भी कहीं ना कहीं इस बात की मान्यता है कि अपने मान पक्षों के यहां भोजन करना (जैसे बहन बेटियों का घर), सूतक और पातक (मृत्यु भोज ), अपने गुरु जी के यहां भोजन करना आदि दोषपूर्ण माना जाता है।

इस प्रकार तीन पुए इन तीन दोषों से मुक्त करते है इन तैंतीस पुओ़ और ­रितु फल का अधिक मास में, भगवान विष्णु जी का ध्यान करते हुए, दान करने से यह तीनों दोष से व्यक्ति दोष मुक्त हो जाता है। ये दान आप मंदिर में पंडित को दे सकते हैं या आज की परिस्थितियों को देखते हुए गाय को भी देना बहुत लाभकारी होगा

दान के लिए शुभ मुहूर्त

सूर्योदय के समय दान करना बहुत ही उत्तम रहेगा। इसके अतिरिक्त सुबह 11:50 से दोपहर 12:10 तक शुभ रहेगा। इसी के साथ इस मंत्र का जाप भी करें- ॐ पुराण पुरूषोत्तमाय नमः

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