कमलेश्वर ने कहा थाः साहित्य जड़ है तो प्रिंट मीडिया तना है

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कमलेश्वर (6 जनवरी 1932- 27 जनवरी 2007), ख्यातिलब्ध साहित्यशिल्पी का प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया और सिनेमा विधा में विपुल योगदान है।
कमलेश्वर (6 जनवरी 1932- 27 जनवरी 2007), ख्यातिलब्ध साहित्यशिल्पी का प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया और सिनेमा विधा में विपुल योगदान है।
  • कृपाशंकर चौबे
कृपाशंकर चौबे
कृपाशंकर चौबे

कमलेश्वर (6 जनवरी 1932- 27 जनवरी 2007), ख्यातिलब्ध साहित्यशिल्पी का प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया और सिनेमा विधा में विपुल योगदान है। उन्होंने मुझे दिए इंटरव्यू में कहा था, “साहित्य जड़ है, प्रिंट मीडिया तना है और इलेक्ट्रानिक मीडिया पत्ते और फल हैं।” वह इंटरव्यू पहले ‘जनसत्ता’ में छपा, बाद में वाणी प्रकाशन से छपी अपनी पुस्तक ‘रंग, स्वर और शब्द’ में उसे मैंने शामिल किया।

कमलेश्वर ऐसे शिल्पी थे जो किसी पुस्तक से थोड़ी मदद मिलने पर भी आभार जताते थे। पांच नवंबर 1997 को मुझे लिखे पत्र में कमलेश्वर जी ने कहा था, “मदर टेरेसा वाली आपकी पुस्तक में मदर की आत्मा का समावेश है। आपने जितने श्रम और लगन से यह पुस्तक प्रस्तुत की है, वह अनुपमेय है। आजकल सकारात्मक आस्था के दर्शन नहीं होते, पर आपने मदर टेरेसा के जीवन का ही नहीं, उनकी भारतीय आत्मा का सहज-दर्शन भी दिया है और उनका जीवन-करुणा को शब्द भी।

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मदर टेरेसा की अन्तिम यात्रा पर जब में लाइव कमेंट्री करने कलकत्ता आया था, तो आपकी पुस्तक मुझे अपने होटल के काउंटर पर इंतजार करती मिली थी…मुझे आपकी पुस्तक से जो जानकारियाँ और तथ्य मिले थे, वे मेरे लिए बहुत सहायक सिद्ध हुए थे! इसलिए भी मैं आपकी पुस्तक का बहुत आभारी हूं।”

10 मई 2002 को मुझे लिखे पत्र में कमलेश्वर जी ने कहा था, ‘कि. पा.’ पर आपकी टिप्पणी और दोनों पुस्तकें ‘महाअरण्य की माँ,’ ‘मृणाल सेन का छायालोक’ मिलीं। बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं इन्हें समय मिलते ही पढूँगा। चन्द्रशेखर जी ने मेरी बातों पर सोचा है, इतना ही बहुत है। आप तो जानते हैं, में अपने पढ़ने-लिखने में लगा रहता हूँ। इस समय देश बहुत बेचैन है। यह तो आप भी जानते हैं। कमलेश्वर जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन !

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