‘चमारों की गली’ कविता में कवि अदम गोंडवी ने उनके हालात का वर्णन किया है। इसे साहित्यिक जमात अपने अपने नजरिए से देखता-आंकता है।  

‘चमारों की गली’ कविता और समकालीन यथार्थ…….

‘चमारों की गली’ कविता में कवि अदम गोंडवी ने उनके हालात का वर्णन किया है। इसे साहित्यिक जमात अपने अपने नजरिए से देखता-आंकता है।   ...

राजमहल की पहाड़ियों में सबसे पहले जन्म हुआ था मानव का

दुमका। पुरातत्त्वविद् पंडित अनूप कुमार वाजपेयी द्वारा लिखित विश्व की प्राचीनतम सभ्यता नामक शोध पुस्तक का दुमका के जनसम्पर्क विभाग सभागार में प्रयास फाउंडेशन फार टोटल डेवलपमेंट...
कबीर ज्ञान और प्रेम के कवि थे। उनकी कविता हाय-हाय और हाहाकार  वाली कविता नहीं है, उल्लास की कविता है। वह दिन-रात रोना-बिसूरना नहीं जानते।

कबीर की कविता हाय-हाय और हाहाकार वाली कविता नहीं है

कबीर ज्ञान और प्रेम के कवि थे। उनकी कविता हाय-हाय और हाहाकार  वाली कविता नहीं है, उल्लास की कविता है। वह दिन-रात रोना-बिसूरना नहीं...

झारखंड में तेजी से विकसित हो रही है नयी शैली की बैद्यनाथ पेंटिंग

डॉ आरके नीरद वरिष्ठ पत्रकार अौर जनजातीय जीवन-संस्कृति के गहरे जानकार हैं। झारखंड की कला-संस्कृति पर प्रायः ढाई दशकों से काम कर रहे हैं।...

दंगा रोकने निकले पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का मिला था शव

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जयंती पर विशेष नवीन शर्मा कलम की ताकत क्या होती है और निडर और निष्पक्ष पत्रकारिता किस तरह की जा सकती है, इसकी प्रेरणा हम...
कृपाशंकर चौबे

धीरेंद्र अस्थाना के उपन्यास ‘गुजर क्यों नहीं जाता’ का पुनर्प्रकाशन

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डा. कृपाशंकर चौबे धीरेंद्र अस्थाना के उपन्यास ‘गुजर क्यों नहीं जाता’ को वाणी प्रकाशन ने बीस साल बाद नई सज-धज के साथ छापा है।...

जय प्रकाश नारायण की लिखी एक कहानी- टामी पीर

लोक नायक जयप्रकाश नारायण की 11 अक्तूबर को देश जयंती मना रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए उनकी लिखी एक कहानी हम...

बांग्ला में लेखन, पर हिन्दी में सर्वाधिक पढ़े गये शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय

पुण्यतिथि पर विशेष नवीन शर्मा शरत चंद्र वैसे तो मूल रूप से बांग्ला के उपन्यासकार थे, लेकिन उनकी रचनाओं के अनुवाद हिंदी भाषी लोगों में खासे...
फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भिन्न भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है। प्रेमचंद के बाद फणीश्‍वर नाथ रेणु को आंचलिक कथाकार माना गया है।

फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है

फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भिन्न भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है। प्रेमचंद के बाद फणीश्‍वर नाथ रेणु को आंचलिक कथाकार माना गया...

कहां गइल मोर गांव रे, बता रहे वरिष्ठ पत्रकार शेषनारायण सिंह

 शेष नारायण सिंह  1975 में जब मैंने संत तुलसीदास डिग्री  कालेज, कादीपुर (सुल्तानपुर) की प्राध्यापक की नौकरी छोडी थी तो एक महत्वपूर्ण फैक्टर यह...