रेखना मेरी जान : ग्लोबल वार्मिंग की पृष्ठभूमि में खिले प्रेम के फूल
नवीन शर्मा
रतनेश्वर सिंह अपने उपन्यास रेखना मेरी जान ग्लोबल वार्मिंग जैसे अलार्मिंग मुद्दे को प्रमख कथा में गूंथ कर हिंदी भाषी पाठकों को...
बांग्ला में लेखन, पर हिन्दी में सर्वाधिक पढ़े गये शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय
पुण्यतिथि पर विशेष
नवीन शर्मा
शरत चंद्र वैसे तो मूल रूप से बांग्ला के उपन्यासकार थे, लेकिन उनकी रचनाओं के अनुवाद हिंदी भाषी लोगों में खासे...
मैथिली 8वीं अनुसूची में हिन्दी के पाठ्यक्रम में विद्यापति क्यों?
अमरनाथ
मैथिली 8वीं अनुसूची में हिन्दी के पाठ्यक्रम में विद्यापति क्यों? यह सवाल उठाया है कलकत्ता यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अमरनाथ ने। उनके सवाल में...
अज्ञेय के बहाने स्वैराचार पर एक बेबाक टिप्पणी
प्रियंका सिंह
सन् 1967 में श्री भारतभूषण अग्रवाल ने 'अज्ञेय' को एक प्रश्नावली दी थी, जिसका लिखित उत्तर 'अज्ञेय' को देना था। यह प्रश्नावली...
कविता अखबारी दायित्व नहीं निभाती जिससे उसे सामयिकता की कसौटी पर परखा जाय
कोर्ट भला कविता के रुप में दी गई गवाही मानता है क्या ?
रविकेश मिश्रा
पटना: कविता की गवाही भला कोर्ट क्यों माने ? कविता...
जयंती पर विशेषः ओशो आधुनिक युग का विद्रोही संन्यासी
नवीन शर्मा
आचार्य रजनीश जो बाद में ओशो के नाम से जाने जाते हैं, वे आधुनिक भारत की सबसे चर्चित और और विवादास्पद आध्यात्मिक...
नहीं रहे नीरजः आंसू जब सम्मानित होंगे, मुझको याद किया जाएगा !
ध्रुव गुप्त
हिंदी के महाकवि गोपाल दास नीरज का देहावसान हिंदी गीतों के एक युग का अंत है। 93 साल की उम्र एक...
यथार्थवादी उपन्यास हैं ’मैला आंचल’ और ‘परती परिकथा’
राजेंद्र वर्मा
यथार्थवादी उपन्यास, ’मैला आंचल’ और ‘परती परिकथा’ जैसे उपन्यासों में लोकजीवन की अनुपम छटा चित्रित करने वाले कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु हैं। 4.03.1921...
जिद्द, जुनून और जिम्मेवारी के आगे घर-परिवार की भी परवाह नहीं की
वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की प्रस्तावित पुस्तक की धारावाहिक कड़ी
मैं बचपन से ही जिद्दी, जुनूनी और जिम्मेवारी निभाने वाले स्वभाव का रहा हूं। इसके...
‘दुखाँ दी कटोरी : सुखाँ दा छल्ला’- प्रो. रूपा सिंह की अद्भुत कथा-यात्रा
'दुखाँ दी कटोरी : सुखाँ दा छल्ला'- प्रो. रूपा सिंह की अद्भुत कहानी है। इस कहानी के बहाने प्रो. मंगला रानी ने रूपा के...




















