बांग्ला कविता की एक हजार साल की लंबी, अनेक आयामी और समृद्ध परंपरा रही है। बांग्ला कविता की यात्रा दसवीं शताब्दी से शुरू होती है।

बांग्ला कविता की हजार साल लंबी समृद्ध परंपरा रही है

कृपाशंकर चौबे बांग्ला कविता की एक हजार साल की लंबी, अनेक आयामी और समृद्ध परंपरा रही है। बांग्ला कविता की यात्रा दसवीं शताब्दी से...

‘मैंने ‘निराला’ की मौत देखी है… अब मैं कविताएं नहीं लिखूंगा’

मिथिलेश कुमार सिंह 'मैंने 'निराला' की मौत देखी है/ भवानी प्रसाद मिश्र को देखा है गीत बेचते/ अब मैं कविताएं नहीं लिखूंगा।' दशकों पहले...
अलका सरावगी के उपन्यास 'कुलभूषण का नाम दर्ज़ कीजिये'- पर वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया ने अपनी टिप्पणी दर्ज की है।

अलका सरावगी के उपन्यास ‘कुलभूषण का नाम दर्ज़ कीजिये’- पर ममता कालिया की टिप्पणी

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अलका सरावगी के उपन्यास 'कुलभूषण का नाम दर्ज़ कीजिये'- पर वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया ने अपनी बेबाक टिप्पणी दर्ज की है। सीधे कहें तो...
ओमप्रकाश अश्क

प्रभात खबर से मेरे इस्तीफे ने जीवनदान दिया अविनाश जी को

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वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की संस्मरणों पर आधारित पुस्तक का एक अंश सहमति और संवाद का साथ मिल जाये तो जीवन में किसी तरह की...

बार-बार मन पूछे मेरा, बोलो भाई- कहां गइल मोर गांव रे!

ओमप्रकाश अश्क गांव छूटा तो लगभग सब कुछ गुम हो गया। ऐसा अब लगता है। यह अलग बात है कि गांव भी किसी लोभ...
जैनेन्द्र कुमार

जैनेन्द्र कुमार की जीवनी : अनासक्त आस्तिक 

प्रेमकुमार मणि  मैं जब युवा था, तब प्रेमचंद और जैनेन्द्र को लेकर मेरे मन में कभी कभार उधेड़-बुन होता था। प्रश्न उठता था कि...

कुमार जगदलवी की चुनिंदा पांच कविताएं

  इंसानियत ही मजहब हम-तुम, जब भी मिलें अपने, आपे में मिलें तुम, तुम में ही रहो मैं, खुद ही में रहूँ। तुम अपने अक़ीदे में रहो मैं, अपने यकीं...
फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भिन्न भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है। प्रेमचंद के बाद फणीश्‍वर नाथ रेणु को आंचलिक कथाकार माना गया है।

फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ सार्वजनिक उपस्थिति के कलाकार थे

जन्मदिन के अवसर पर फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ को याद करते हुए फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ पैदायशी कलाकार और किस्सागो तो थे ही, वैसे ही पैदायशी आंदोलनकारी...

अज्ञेय के बहाने स्वैराचार पर एक बेबाक टिप्पणी

प्रियंका सिंह सन् 1967 में श्री भारतभूषण अग्रवाल ने 'अज्ञेय' को एक प्रश्नावली दी थी, जिसका लिखित उत्तर 'अज्ञेय' को देना था। यह प्रश्नावली...
"मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश" नामक पंक्ति  प्रसिद्ध कविता 'सरोज-स्मृति' में है। यह कवि निराला का आत्म कथन है। स्वयं की उद्घोषणा है।

“मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश” पंक्ति निराला का आत्मकथन है

भारत यायावर  "मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश" नामक पंक्ति  प्रसिद्ध कविता 'सरोज-स्मृति' में है। यह सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का आत्म कथन है। स्वयं...