विष्णुकांत शास्त्रीः आलोचना के मशहूर हस्ताक्षर
अमरनाथ
विष्णुकांत शास्त्री हिन्दी के आलोचना के मशहूर हस्ताक्षर रहे हैं। हिन्दुत्ववादी आलोचक प्रो. विष्णुकान्त शास्त्री। वे यूपी के राज्यपाल भी रहे। राजनीति, साहित्य और...
मारीशस के लोग मानते हैं- भोजपुरी हिंदी की माता है
राजेश श्रीवास्तव
मॉरीशस में हुए मेरे दोनों व्याख्यानों में मैंने रामकथा को गलत तरह से प्रचारित किये जाने का विरोध किया। संसार के बहुत ...
फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भारतीय स्वरूपों के बीच खड़ा है
फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भिन्न भारतीय स्वरूपों के बीच खड़ा है। प्रेमचंद के बाद फणीश्वर नाथ रेणु को आंचलिक कथाकार माना गया...
यथार्थवादी उपन्यास हैं ’मैला आंचल’ और ‘परती परिकथा’
राजेंद्र वर्मा
यथार्थवादी उपन्यास, ’मैला आंचल’ और ‘परती परिकथा’ जैसे उपन्यासों में लोकजीवन की अनुपम छटा चित्रित करने वाले कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु हैं। 4.03.1921...
रवि यज्ञसेनी की 2 कविताएं- पापा अब परदेश न जाना/ अब ना जाओ दूर...
रवि यज्ञसेनी
पापा अब परदेश ना जाना
हम रूखा-सूखा खा लेंगे।
दूर हुए अपने गाँवो से,
दूर खेत-खलिहानों से,
दूर तीज-त्योहार हुए,
और बासंती मेलों से।
पापा मेरी फिक्र ना...
रमेश चंद्र की लघु कथाः रेप सीन देने वाली लड़की कौन थी
मुम्बई। अंधेरी की अंधेर गलियां। रात के ग्यारह बजे होंगें। मैडम स्मिता की मर्सिडीज अब तक न पहुंची थी। सेट रेडी था। कैमरे लग...
दया पवार की आत्मकथा अछूत महार समाज के संघर्ष की गाथा है
राम धनी द्विवेदी
दया पवार की आत्मकथा अछूत पढ़ते समय ऐसा लगा कि दूसरों की पीड़ा हम उस गहराई तक अनुभव नहीं कर सकते,...
भगवान श्रीकृष्ण अपने समय के सबसे बड़े डिप्लोमैट थे
(अखिलेश मयंक के लखनऊ पर आधारित शीघ्र प्रकाश्य उपन्यास का एक अंश)
यार शीरीन ! दुनिया में क्या ऐसा कोई तरीका नहीं कि मेरा सांवला...
बांग्ला में लेखन, पर हिन्दी में सर्वाधिक पढ़े गये शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय
पुण्यतिथि पर विशेष
नवीन शर्मा
शरत चंद्र वैसे तो मूल रूप से बांग्ला के उपन्यासकार थे, लेकिन उनकी रचनाओं के अनुवाद हिंदी भाषी लोगों में खासे...
रेखना मेरी जान : ग्लोबल वार्मिंग की पृष्ठभूमि में खिले प्रेम के फूल
नवीन शर्मा
रतनेश्वर सिंह अपने उपन्यास रेखना मेरी जान ग्लोबल वार्मिंग जैसे अलार्मिंग मुद्दे को प्रमख कथा में गूंथ कर हिंदी भाषी पाठकों को...



















