विष्णुकांत शास्त्रीः आलोचना के मशहूर हस्ताक्षर
अमरनाथ
विष्णुकांत शास्त्री हिन्दी के आलोचना के मशहूर हस्ताक्षर रहे हैं। हिन्दुत्ववादी आलोचक प्रो. विष्णुकान्त शास्त्री। वे यूपी के राज्यपाल भी रहे। राजनीति, साहित्य और...
रूसी शोध छात्रों की टोली जब रेणु के गांव जाने की जिद पर अड़...
रूसी शोध छात्रों की टोली फणीश्वरनाथ रेणु पर शोध कार्य करने आयी थी। इनमें दो लड़कों के साथ चार लड़कियां रेणु से मिलने पटना...
उसे मत मारो ओशो के निजी सचिव आनंद शीला की दास्तान
नवीन शर्मा
ओशो रजनीश की पूर्व निजी सचिव मां आनंद शीला ने अपने संस्मरण ‘उसे मत मारो, भगवान रजनीश के साथ मेरे जीवन की...
राजकिशोर को लोगों ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि
वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर निधन पर साहित्यकारों, पत्रकारों, प्राध्यापकों ने अलग-अलग तरीके से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। पेश हैं उनके उद्गार, जो सोशल मीडिया...
बांग्ला उपन्यास की यात्रा उन्नीसवीं शती के उत्तरार्द्ध में आरंभ हुई
कृपाशंकर चौबे
बांग्ला उपन्यास की यात्रा उन्नीसवीं शती के उत्तरार्द्ध में आरंभ हुई। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय से बांग्ला उपन्यास को जीवन मिला था। उनके उपन्यास...
रेणु बहुत कम उम्र से ही बेनीपुरी के व्यक्तित्व से प्रभावित थे
भारत यायावर
रेणु बहुत कम उम्र से ही रामवृक्ष बेनीपुरी के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित थे। वे स्कूली उम्र से 'जनता 'साप्ताहिक के पाठक...
बांग्ला दलित आत्मकथाओं का इतिहास और साहित्यकार यतीन बाला
कृपाशंकर चौबे
बांग्ला दलित आत्मकथाओं के आकलन-अध्ययन के क्रम में साहित्यकार यतीन बाला का नाम उल्लेखनीय है। उनका आत्मकथात्मक आख्यान ‘शिकड़ छेंड़ा जीवन’ 353...
जयंती पर विशेषः आवारा मसीहा के अमर रचनाकार शरतचन्द्र
नवीन शर्मा
शरत चंद्र बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनका जन्म हुगली जिले के देवानंदपुर में हुआ। वे अपने माता-पिता की नौ संतानों में...
हिन्दी भाषा के एक दुर्लभ प्रसंग का उद्घाटन- हिन्दी तेरी वह दशा !
उन्नीसवीं शताब्दी में उर्दू का इतना प्रसार और दबदबा था कि हिन्दी उसके नीचे दबी हुई थी। उसके उन्नायक तब दो ही लेखक थे-...
फणीश्वरनाथ रेणु से जेपी आंदोलन के दौरान हुई बातचीत के अंश
सुरेंद्र किशोर
फणीश्वरनाथ रेणु से जेपी आंदोलन (1974) के दौरान उनकी जेल यात्रा से लौटने के बाद ‘प्रतिपक्ष’ के लिए मैंने लंबी बातचीत की...