झारखंड में तेजी से विकसित हो रही है नयी शैली की बैद्यनाथ पेंटिंग

0
डॉ आरके नीरद वरिष्ठ पत्रकार अौर जनजातीय जीवन-संस्कृति के गहरे जानकार हैं। झारखंड की कला-संस्कृति पर प्रायः ढाई दशकों से काम कर रहे हैं।...

दंगा रोकने निकले पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का मिला था शव

0
जयंती पर विशेष नवीन शर्मा कलम की ताकत क्या होती है और निडर और निष्पक्ष पत्रकारिता किस तरह की जा सकती है, इसकी प्रेरणा हम...
वसंत पंचमी  के दिन  सरस्वती पूजा का विधान भारत की प्राचीन परम्परा है। लेकिन पूजा का तात्पर्य जाने बिना भारत के लोग पूजा किए जाते हैं।

सरस्वती काल्पनिक देवी नहीं, प्राचीन सरस्वती नदी का मानवीकरण है

0
ध्रुव गुप्त सरस्वती कोई काल्पनिक देवी नहीं,  प्राचीन सरस्वती नदी का मानवीकरण और वैदिक भारत में विद्या, बुद्धि, साहित्य और संगीत के क्षेत्र में...
सर्व धर्म

परस्पर सहयोग में सिर्फ ‘एकेश्वरवाद’ बाधा नहीं है

0
हेमंत हिंदू-इस्लाम, हिंदू-ईसाई, इस्लाम-ईसाई के बीच परस्पर सहयोग में सिर्फ ‘एकेश्वरवाद’ बाधा नहीं है, एकेश्वरवाद के साथ मूर्ति पूजा का प्रॉब्लम जुड़ा है! इसका...

बांग्ला में लेखन, पर हिन्दी में सर्वाधिक पढ़े गये शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय

0
पुण्यतिथि पर विशेष नवीन शर्मा शरत चंद्र वैसे तो मूल रूप से बांग्ला के उपन्यासकार थे, लेकिन उनकी रचनाओं के अनुवाद हिंदी भाषी लोगों में खासे...
महात्मा गांधी और कस्तूरबाई

तेरह वर्ष की उम्र में हुआ था गांधी जी और कस्तूरबा का विवाह

0
राज्यवर्द्धन तेरह वर्ष की आयु में गांधी जी का ब्याह कस्तूरबा से हुआ था। गांधी जी लिखते हैं-"हम भाइयों को तो सिर्फ तैयारियों से...

मलिकाइन के पाती- पूत सपूत त का धन संचय

0
पावं लागीं मलिकार। आज मन बड़ा अंउजियाइल रहल बा, एही से नवरातन के पूजा-पाठ में अझुराइल रहला के बादो टाइम निकाल के रउरा के...

8 दिसंबर जन्मदिन पर विशेषः चने चबा कर अभिनेता बने धर्मेंद्र

0
नवीन शर्मा हिंदी सिनेमा में  एंग्रीयंगमैन अमिताभ बच्चन का विक्की भले ही ज्यादा दिनों तक चला हो, पर कई वर्षों तक हीमैन धर्मेन्द्र का भी...

एक अदद वोटर आईडी ने हमारी नागरिकता को संदिग्ध बना दिया!

0
मिथिलेश कुमार सिंह साधो! हम इस देश के नागरिक नहीं हैं। होते तो वोट जरूर करते। कुछ नहीं होता तो 'नोटा' बटन ही दबा...
रामदेव शुक्ल व्याख्यात्मक आलोचना के अंतिम स्तंभ हैं। ‘बिहारी- सतसई का पुनर्पाठ’ उनकी नवीनतम प्रकाशित आलोचना-कृति है। वे अच्छे कथाकार भी हैं।

रामदेव शुक्लः व्याख्यात्मक आलोचना के अंतिम स्तंभ

0
रामदेव शुक्ल व्याख्यात्मक आलोचना के अंतिम स्तंभ हैं। ‘बिहारी- सतसई का पुनर्पाठ’ उनकी नवीनतम प्रकाशित आलोचना-कृति है। वे अच्छे कथाकार भी हैं। ‘बिहारी- सतसई...