8 दिसंबर जन्मदिन पर विशेषः चने चबा कर अभिनेता बने धर्मेंद्र

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  • नवीन शर्मा

हिंदी सिनेमा में  एंग्रीयंगमैन अमिताभ बच्चन का विक्की भले ही ज्यादा दिनों तक चला हो, पर कई वर्षों तक हीमैन धर्मेन्द्र का भी जलवा रहा। वे सबसे कद्दावर और हैंडसम हीरो रहे हैं। सत्तर के दशक में उनकी फिल्मों का जलवा था। मैंने उनकी पहली फिल जो सिनेमा हॉल में देखी, वो जी केंद्र के साथ वाली धर्म-वीर थी। उसका गीत आज भी याद आता है- सात अजूबे इस दुनिया में आठवीं अपनी जोड़ी़..। ये राजा-महाराजाओं की कहानी पर बनी मारधाड़ वाली औसत फिल्म थी। पर बालमन को वो अच्छी लगी थी। ये वही धर्मेंद्र हैं, जिन्हें अपने करियर की इतनी चिंता थी कि खाने के नाम पर वह सिर्फ चने चबा कर काम चला लिया करते थे। दिन भर काम की तलाश में पैदल चलते थे। एक बार तो भूख के मारे धर्मेंद्र ने ईस्सबगोल की पूरी डिब्बी खा ली थी। बाद में हालत बिगड़ी तो डाक्टर ने कहा कि इन्हें दवा नहीं, भोजन की जरूरत है।

दिल्लगी से लगा फिल्मों का रोग

धर्मेंद्र का असली  नाम धरम सिंह देओल है। इनके पिता स्कूल हेडमास्टर थे। पंजाब के अपने गांव से मीलों दूर धर्मेन्द्र ने एक सिनेमाघर में सुरैया की फिल्म ‘दिल्लगी’ देखी और इससे वे इतने प्रभावित हुए कि अपना करियर उन्होंने फिल्मों में बनाने का निश्चय किया। धर्मेन्द्र ने 40 दिनों तक रोजाना ‘दिल्लगी’ देखी और इस फिल्म देखने के लिए मीलों पैदल चले।

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टैलेंट हंट से आए फिल्मों में

धर्मेन्द्र को फिल्मों का नशा चढ़ चुका था। उन्हें जब पता चला कि फिल्मफेअऱ  पत्रिका नई प्रतिभा की खोज कर रही है तो उन्होंने भी फॉर्म भेजा। धर्मेन्द्र ने अभिनय नहीं सीखा था। इसके बावजूद वह तमाम प्रतिभाशाली लोगों को पीछे छोड़ते हुए टैलेंट हंट में चुन लिए गए।

पहचान बनाने के लिए कई रातें सिर्फ चना खाकर काटी 

इसके बाद भी धर्मेन्द्र को फिल्मों में पहचान बनाने के लिए  उन्हें जम कर संघर्ष करना पड़ा। कई बार सिर्फ चने खाकर बेंच पर सोकर उन्हें रात बितानी पड़ी। फिल्म निर्माताओं के दफ्तर में चक्कर लगाने के लिए वे मीलों पैदल चलते थे, ताकि पैसे बचा सकें और उससे कुछ खा सकें। एक बार धर्मेन्द्र के पास भोजन के लिए पैसे नहीं थे। थके-हारे वे अपने रूम पहुंचे, जहां टेबल पर उनके रूम पार्टनर का ईसबगोल का पैकेट रखा हुआ था। भूख मिटाने के लिए धर्मेन्द्र ने पूरा ईसबगोल खा लिया। सुबह हालत खराब हो गई और डॉक्टर के पास उन्हें ले जाया गया। डॉक्टर ने सारा माजरा सुन कहा कि इन्हें दवा की नहीं, भोजन की जरूरत है।

दिल भी तेरा हम भी तेरे से फिल्मी सफर का आगाज

अर्जुन हिंगोरानी की फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे (1960) से धर्मेन्द्र ने अपने करियर की शुरुआत की। हिंगोरानी परिवार का धर्मेन्द्र ने ताउम्र एहसान माना और उनकी कई फिल्मों में काम करने के बदले नाममात्र का पैसा लिया।

पहलवानी करने की सलाह देते थे निर्माता

धर्मेन्द्र का डील-डौल पहलवानों जैसा था। जिसको देख कई निर्माताओं ने उन्हें अभिनय छोड़ अखाड़े जाने की सलाह दी। कई ने कहा कि पहलवान, गांव लौट जाओ।  फूल और पत्थर धर्मेन्द्र के करियर की पहली बड़ी हिट थी। इसमें उन्होंने शर्टलेस होकर दर्शकों को चौंका दिया, लेकिन इसके लिए उन्हें आलोचना भी झेलनी पड़ी।

मीना कुमारी से नजदीकियां

फूल और पत्थर की शूटिंग के दौरान फिल्म अभिनेत्री मीना कुमारी से उनकी नजदीकियां चर्चा का विषय रहीं। मीना कुमारी के साथ रहते हुए उन्हें शायरी का शौक भी लगा और उन्हें सैकड़ों शेर याद हो गये। धर्मेन्द्र और मीना कुमारी की नजदीकियों से मीना के पति कमाल अमरोही नाराज हुए। वर्षों बाद उन्होंने धर्मेन्द्र को लेकर ‘रजिया सुल्तान’ बनाई। एक दृश्य में उन्होंने धर्मेन्द्र का मुंह काला करवाया। कहा जाता है कि उन्होंने इस तरह का सीन जानबूझ रख कर धर्मेन्द्र से बदला लिया।

हास्य और रोमांटिक फिल्में भी की

धर्मेन्द्र को भले ही एक्शन हीरो के रूप में जाना जाता है, लेकिन धर्मेन्द्र ने कई  रोमांटिक और हास्य फिल्में भी की हैं। खासकर अमिताभ बच्चन के साथ बनाई गई ‘चुपके चुपके लाजवाब कामेडी फिल्म थी। उसमें बॉटनी के प्रोफेसर की भूमिका निभाने वाले धर्मेंद्र की संस्कृतनिष्ठ हिंदी सुन कर दर्शक हंस कर लोटपोट हो जाते हैं।

दिलीप कुमार बोले, अगले जन्म में धर्मेंद्र जैसा होना चाहेंगे

हिंदी फिल्म इतिहास के सबसे खूबसूरत हीरो में से धर्मेन्द्र एक माने जाते हैं। उनकी सेहत और चेहरे की चमक देख महान अभिनेता दिलीप कुमार ने एक बार कहा था कि वे अगले जन्म में धर्मेन्द्र जैसी शख्सियत पाना चाहते हैं।

बहन की कसम की वजह से नहीं की जंजीर 

जंजीर फि़ल्म की कहानी के राइट्स धर्मेंद्र के पास काफी दिनों तक थी। उसे उन्होंने सलीम ख़ान से 17,500 रुपये में खऱीद लिया था। धर्मेंद्र बताते हैं कि फि़ल्म उनके पास पड़ी रही। इससे पहले उन्होंने प्रकाश मेहरा के साथ ‘समाधि’ की थी। धर्मेंद्र ने पूरा कि़स्सा बयां करते हुए कहा, ”प्रकाश मेहरा ने कहा, मुझे दे दो कहानी, मैंने दे दी। उन्हीं दिनों मेरी कजिऩ ने प्रकाश मेहरा से एक फि़ल्म बनाने को कहा था, उन्होंने मना कर दिया तो मेरी बहन ने मुझे क़सम दे दी कि प्रकाश मेहरा के साथ फि़ल्म नहीं करोगे। इसी वजह से मैंने फि़ल्म छोड़ दी।’धर्मेंद्र ने आगे कहा कि मुझे फि़ल्म छोडऩे का दु:ख है।

बीआर चोपड़ा की वक्त भी छोड़ी थी

बीआर चोपड़ा की फि़ल्म ‘वक़्त’ भी उन्हें ऑफऱ की गई थी, मगर मनपसंद किरदार ना मिलने की वजह से धर्मेंद्र ने फि़ल्म नहीं की। इस कल्ट फि़ल्म में राजकुमार, सुनील दत्त और शशि कपूर ने तीनों भाइयों का किरदार निभाया था। धर्मेंद्र ने बताया कि उन्हें राजकुमार वाला किरदार ऑफऱ किया गया था, जो सबसे बड़े भाई का था, मगर वो चाहते थे कि उन्हें मंझले भाई का रोल करने को मिले, क्योंकि एक बार बड़े भाई का रोल किया तो इसी तरह का किरदार मिलते रहेंगे, जो उस वक्त उनके करियर के लिए सही नहीं था। धर्मेंद्र कहते हैं कि चोपड़ा साहब टालते रहे तो मैंने भी फिर टाल दिया। दिलीप कुमार की धर्मेन्द्र बेहद इज्जत करते हैं। वे उन्हें अपना बड़ा भाई मानते हैं और अक्सर दिलीप कुमार से मिलने के लिए वे नियमित अंतराल से उनके बंगले पर जाते रहते हैं।

कई हीरो भी हैं इनके फैन

गोविंदा फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। जब गोविंदा की पत्नी गर्भवती थीं तब उन्होंने अपनी पत्नी को धर्मेन्द्र का फोटो दिया था ताकि उनका होने वाला बच्चा धर्मेन्द्र की तरह खूबसूरत हो। यह बात धर्मेन्द्र को पता चली तो उनकी आंखों से आंसू आ गए। रितिक रोशन भी धर्मेन्द्र के फैन हैं। बचपन में उनके कमरे में धर्मेन्द्र का बड़ा पोस्टर लगा हुआ था। कुछ वर्ष पहले रितिक के मस्तिष्क की सर्जरी हुई थी।  सलमान खान के भी प्रिय हीरो धर्मेन्द्र हैं। सलमान खान की फिल्म ‘प्यार किया तो डरना क्या’ में काम करने के बदले में धर्मेन्द्र ने एक पैसा नहीं लिया।

धर्मेन्द्र की पहली शादी मात्र 19 वर्ष की उम्र में प्रकाश कौर से हुई। धर्मेन्द्र ने अपनी पत्नी को मीडिया से सदैव दूर रखा। वहीं धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी की जोड़ी बॉलीवुड इतिहास की प्रसिद्ध जोडिय़ों में से एक है। दोनों ने लगातार कई सुपरहिट फिल्में लगातार हेमा मालिनी के साथ काम करते हुए गरम धरम ड्रीमगर्ल को दिल दे बैठे। उस समय हेमा के पीछे संजीव कुमार और जीतेन्द्र जैसे अभिनेता भी थे, लेकिन इनको पछाड़ कर धर्मेन्द्र ने बाजी मार ली ।

शोले में ठाकुर बनना चाहते थे

धर्मेंद्र शोले में ठाकुर का किरदार निभाना चाहते थे जबकि ‘शोले’ के निर्देशक रमेश सिप्पी चाहते थे कि धर्मेन्द्र, वीरू का रोल निभाए। धर्मेन्द्र नहीं माने तो रमेश ने धमकाते हुए कहा कि संजीव कुमार को वीरू बना दूंगा जो कि हेमा मालिनी का हीरो है। धमकी रंग लाई और धर्मेन्द्र फौरन वीरू का रोल निभाने के लिए तैयार हो गए। शोले की शूटिंग के दौरान रोमांटिक सीन में धर्मेन्द्र जानबूझ कर गलती करते थे ताकि हेमा के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने का मौका मिले। वे स्पॉट बॉय को भी गलती करने के पैसे देते थे। धर्मेन्द्र ने हेमा से शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन किया और इस्लाम अपनाया।

धर्मेन्द्र ने अपने लंबे करियर में तमाम नामी निर्देशकों के साथ काम किया। जिनमें बिमल रॉय, ऋषिकेश मुखर्जी, यश चोपड़ा, बीआर चोपड़ा, रमेश सिप्पी, मनमोहन देसाई जैसे दिग्गज शामिल हैं। गुलजार ने धर्मेन्द्र को लेकर ‘देवदास’ फिल्म आरंभ की थी, जो कुछ दिनों की शूटिंग के बाद बंद हो गई।

टाइम्स मैगजीन ने दुनिया के दस खूबसूरत पुरुषों में चुना 

धर्मेन्द्र को टाइम्स मैगजीन ने दुनिया के दस खूबसूरत पुरुषों में जगह दी थी।  80 और 90 के दशक में धर्मेन्द्र ने एक्शन भूमिकाएं निभाईं और उनके द्वारा बोला गया संवाद ‘कुत्ते तेरा खून पी जाऊंगा’ बहुत मशहूर हुआ। पहली पत्नी से धर्मेन्द्र को दो बेटियां (विजयेता और अजीता) तथा दो बेटे (सनी और बॉबी) हैं। दूसरी पत्नी से उन्हें दो बेटियां (ईशा और आहना) हैं।  बॉबी देओल ने तो अपने एक बेटे का नाम धरम रखा है।

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70 के दशक में वे सबसे महंगे सितारों में से एक थे। शालीमार और रजिया सुल्तान जैसी महंगी फिल्मों के बुरी तरह फ्लॉप होने पर धर्मेन्द्र का करियर खत्म मान लिया गया था, लेकिन उन्होंने जबरदस्त वापसी की। 1987 में 52 वर्ष की उम्र में धर्मेन्द्र की 11 फिल्में रिलीज हुईं जिसमें से 7 सफल रहीं। एक अध्ययन के अनुसार ‘हाइएस्ट ग्रासिंग स्टार ऑफ ऑल टाइम’ की लिस्ट में धर्मेन्द्र का नंबर चौथा है।  2004 में धर्मेन्द्र ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट से बीकानेर से चुनाव लड़ा था और विजयी हुए थे।

डांस नहीं आना और शराब कमजोरी रही  

शराब धर्मेन्द्र की कमजोरी रही है और शराब को लेकर उनके कई किस्से हैं । धर्मेन्द्र ने कुछ बी ग्रेड फिल्मों में भी काम किया है। जब आलोचना बेटे सनी देओल तक पहुंची तो सनी के कहने पर उन्होंने इस तरह की फिल्मों में काम करना बंद कर दिया।डांस हमेशा धर्मेन्द्र की कमजोरी रहा है। वे गानों में अपनी स्टाइल से डांस करते थे। उनके कुछ सिग्नेचर मूव्ज़ है जिसकी नकल कई सितारों ने की है। ‘मैं जट यमला पगला दीवाना’ में उनका यह डांस देखते ही बनता है। धर्मेन्द्र ने अपने बेटों के साथ अपने, यमला पगला दीवाना और यमला पगला दीवाना 2 में काम किया है।

कभी नहीं मिला फिल्मफेयर अवार्ड

धर्मेन्द्र पुरस्कारों के मामले में अनलकी रहे हैं। चार बार फिल्मफेअर पुरस्कार के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी, एक बार श्रेष्ठ सहायक अभिनेता की श्रेणी और श्रेष्ठ कॉमेडियन की श्रेणी में धर्मेन्द्र का नामांकन हुआ, लेकिन उन्हें कभी यह पुरस्कार हासिल नहीं हुआ। उन्होंने फिल्मफेअर लाइफटाइम अचिवमेंट अवॉर्ड्स के दौरान कहा कि कई बार उन्हें इस उम्मीद के साथ नया सूट सिलवाया कि अवॉर्ड मिलेगा, लेकिन नहीं मिला।

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