दंगा रोकने निकले पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का मिला था शव

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जयंती पर विशेष नवीन शर्मा कलम की ताकत क्या होती है और निडर और निष्पक्ष पत्रकारिता किस तरह की जा सकती है, इसकी प्रेरणा हम...

और कोलकाता में खबरों का ट्रेंड सेटर बन गया प्रभात खबर

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आप लगातार पढ़ रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की संस्मरणों पर आधारित पुस्तक मुन्ना मास्टर बने एडिटर- की धारावाहिक कड़ियां। इसी कड़ी में...
ओमप्रकाश अश्क

प्रभात खबर कोलकाता में प्रचार-प्रसार का नायाब नुस्खा अपनाया

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अतीत के अनुभव और वर्तमान के यथार्थ पर ही भविष्य की इबारत लिखी जाती है। इसे कई बार महसूस किया तो बाज दफा दरकिनार...

और गांव की गंध छोड़ चल पड़े काली के देस कामाख्या

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बहुतेरे पाठक ओमप्रकाश अश्क के वर्तमान से तो परिचित हैं, पर उनका अतीत कितना संघर्षपूर्ण रहा है, इसकी झलक उनकी प्रस्तावित पुस्तक- मुन्ना मास्टर...
दया पवार की आत्मकथा अछूत महार समाज के संघर्ष की गाथा है 

दया पवार की आत्मकथा अछूत महार समाज के संघर्ष की गाथा है 

राम धनी द्विवेदी दया पवार की आत्‍मकथा अछूत पढ़ते समय ऐसा लगा कि दूसरों की पीड़ा हम उस गहराई तक अनुभव नहीं कर सकते,...

सुधांशु शेखर की कविता- कब निकलेगा समाधान प्रिये !

सुधांशु शेखर इस लॉक डाउन के चंगुल से कब निकलेगा समाधान प्रिये ! तुम लॉक डाउन की बढ़ती डेट मैं वस्तु का घटता दाम प्रिये ! तुम ग्रीन...

अरे रामा रिमझिम बरसे बदरिया कि नांहि घरे आए संवरिया ना

मिथिलेश कुमार सिंह सावन ने दस्तक दे दी है और हम दिमाग से मिर्जापुर में हैं। बड़े शहरों में ऐसे मौसम आनी- जानी होते...

उसे मत मारो ओशो के निजी सचिव आनंद शीला की दास्तान

नवीन शर्मा ओशो रजनीश की पूर्व निजी सचिव मां आनंद शीला ने अपने संस्मरण ‘उसे मत मारो, भगवान रजनीश के साथ मेरे जीवन की...
"मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश" नामक पंक्ति  प्रसिद्ध कविता 'सरोज-स्मृति' में है। यह कवि निराला का आत्म कथन है। स्वयं की उद्घोषणा है।

“मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश” पंक्ति निराला का आत्मकथन है

भारत यायावर  "मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश" नामक पंक्ति  प्रसिद्ध कविता 'सरोज-स्मृति' में है। यह सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का आत्म कथन है। स्वयं...
कविता अखबारी दायित्व नहीं निभाती जिससे उसे सामयिकता की कसौटी पर परखा जाय

कविता अखबारी दायित्व नहीं निभाती जिससे उसे सामयिकता की कसौटी पर परखा जाय

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कोर्ट भला कविता के रुप में दी गई गवाही मानता है क्या ? रविकेश मिश्रा पटना: कविता की गवाही भला कोर्ट क्यों माने ? कविता...