"मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश" नामक पंक्ति  प्रसिद्ध कविता 'सरोज-स्मृति' में है। यह कवि निराला का आत्म कथन है। स्वयं की उद्घोषणा है।

“मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश” पंक्ति निराला का आत्मकथन है

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भारत यायावर  "मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश" नामक पंक्ति  प्रसिद्ध कविता 'सरोज-स्मृति' में है। यह सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का आत्म कथन है। स्वयं...

और गांव की गंध छोड़ चल पड़े काली के देस कामाख्या

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बहुतेरे पाठक ओमप्रकाश अश्क के वर्तमान से तो परिचित हैं, पर उनका अतीत कितना संघर्षपूर्ण रहा है, इसकी झलक उनकी प्रस्तावित पुस्तक- मुन्ना मास्टर...
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

इतनी कहियो जायिः निराला ने लिख दिया- बांधो न नाव इस ठांव बंधु

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मिथिलेश कुमार सिंह महाप्राण निराला को जिन कुछेक गीतों ने हिंदी में पूरी ताकत से स्थापित किया और उन्हें दाखिल दफ्तर होने से बचा...
‘चमारों की गली’ कविता में कवि अदम गोंडवी ने उनके हालात का वर्णन किया है। इसे साहित्यिक जमात अपने अपने नजरिए से देखता-आंकता है।  

‘चमारों की गली’ कविता और समकालीन यथार्थ…….

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‘चमारों की गली’ कविता में कवि अदम गोंडवी ने उनके हालात का वर्णन किया है। इसे साहित्यिक जमात अपने अपने नजरिए से देखता-आंकता है।   ...
कमल किशोर गोयनका

प्रेमचंद के अद्वितीय व्याख्याता : कमल किशोर गोयनका

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अमरनाथ बुलंदशहर (उ.प्र.) के एक व्यवसायी परिवार में जन्मे और जाकिर हुसेन कॉलेज (साँध्य), दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे कमल किशोर गोयनका (11.10.1938 )...

कहां गइल मोर गांव रे, बता रहे वरिष्ठ पत्रकार शेषनारायण सिंह

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 शेष नारायण सिंह  1975 में जब मैंने संत तुलसीदास डिग्री  कालेज, कादीपुर (सुल्तानपुर) की प्राध्यापक की नौकरी छोडी थी तो एक महत्वपूर्ण फैक्टर यह...
फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भिन्न भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है। प्रेमचंद के बाद फणीश्‍वर नाथ रेणु को आंचलिक कथाकार माना गया है।

फणीश्वरनाथ रेणु से जेपी आंदोलन के दौरान हुई बातचीत के अंश

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सुरेंद्र किशोर फणीश्वरनाथ रेणु से जेपी आंदोलन (1974) के दौरान उनकी जेल यात्रा से लौटने के बाद ‘प्रतिपक्ष’ के लिए मैंने लंबी बातचीत की...

घर-परिवार से दूर पहली बार साथियों संग ऐसे मना होली का त्योहार

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होली का त्योहार करीब है। चुनाव की गहमागहमी ने होली की रौनक भी बढ़ा दी है। प्रसंगवश वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की प्रस्तावित पुस्तक-...

‘मैंने ‘निराला’ की मौत देखी है… अब मैं कविताएं नहीं लिखूंगा’

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मिथिलेश कुमार सिंह 'मैंने 'निराला' की मौत देखी है/ भवानी प्रसाद मिश्र को देखा है गीत बेचते/ अब मैं कविताएं नहीं लिखूंगा।' दशकों पहले...
प्रेमचंद और फणीश्वरनाथ रेणु  गांव और शहर दोनों के कथाकार हैं। इन्हें सिर्फ गांव में ही सिमटा देना एक साजिश है, इनके साथ न्याय नहीं। न प्रेमचंद सिर्फ लमही के कथाकार हैं और न रेणु सिर्फ औराही हिंगना के। ये भारतीय कथाकार हैं। इन्हें इसी रूप में जानना तथा मानना उचित है।

प्रेमचंद और फणीश्वरनाथ रेणु महज गंवई कथाकार नहीं

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प्रेमचंद और फणीश्वरनाथ रेणु  गांव और शहर दोनों के कथाकार हैं। इन्हें सिर्फ गांव में ही सिमटा देना एक साजिश है, इनके साथ न्याय...