नीरज जी को सुनने के लिए सुबह तक जमावड़ा अब भी याद आता है
राजेंद्र तिवारी
नीरज जी को श्रद्धांजलि.....बचपन में मैं और मेरे बड़े भाई नीरज जी को सुनने के लिए दशहरे के मेले में सुबह तक...
रेणु बहुत कम उम्र से ही बेनीपुरी के व्यक्तित्व से प्रभावित थे
भारत यायावर
रेणु बहुत कम उम्र से ही रामवृक्ष बेनीपुरी के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित थे। वे स्कूली उम्र से 'जनता 'साप्ताहिक के पाठक...
बांग्ला में लेखन, पर हिन्दी में सर्वाधिक पढ़े गये शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय
पुण्यतिथि पर विशेष
नवीन शर्मा
शरत चंद्र वैसे तो मूल रूप से बांग्ला के उपन्यासकार थे, लेकिन उनकी रचनाओं के अनुवाद हिंदी भाषी लोगों में खासे...
जयंती पर विशेषः साहित्य की अप्रतिम शख्यियत अमृता प्रीतम
नवीन शर्मा
वैसे तो अमृता प्रीतम पंजाबी लेखिका हैं, लेकिन हिंदी भाषा के पाठकों में भी वे खासा लोकप्रिय हैं। वे हिंदी फिल्मों की...
बांग्ला उपन्यास की यात्रा उन्नीसवीं शती के उत्तरार्द्ध में आरंभ हुई
कृपाशंकर चौबे
बांग्ला उपन्यास की यात्रा उन्नीसवीं शती के उत्तरार्द्ध में आरंभ हुई। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय से बांग्ला उपन्यास को जीवन मिला था। उनके उपन्यास...
बार-बार मन पूछे मेरा, बोलो भाई- कहां गइल मोर गांव रे!
ओमप्रकाश अश्क
गांव छूटा तो लगभग सब कुछ गुम हो गया। ऐसा अब लगता है। यह अलग बात है कि गांव भी किसी लोभ...
बांग्ला दलित आत्मकथाओं का इतिहास और साहित्यकार यतीन बाला
कृपाशंकर चौबे
बांग्ला दलित आत्मकथाओं के आकलन-अध्ययन के क्रम में साहित्यकार यतीन बाला का नाम उल्लेखनीय है। उनका आत्मकथात्मक आख्यान ‘शिकड़ छेंड़ा जीवन’ 353...
कर्मेन्दु शिशिरः नवजागरण के मार्क्सवादी व्याख्याकार
हिन्दी के आलोचक- जिनका 26 अगस्त को जन्मदिन है
अमरनाथ
कर्मेन्दु शिशिर हमारे समय के अत्यंत अध्ययनशील, वैज्ञानिक दृष्टि सम्पन्न और हर परिस्थिति में अपने...
प्रेमचंद के अद्वितीय व्याख्याता : कमल किशोर गोयनका
अमरनाथ
बुलंदशहर (उ.प्र.) के एक व्यवसायी परिवार में जन्मे और जाकिर हुसेन कॉलेज (साँध्य), दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे कमल किशोर गोयनका (11.10.1938 )...
बांग्ला कविता की हजार साल लंबी समृद्ध परंपरा रही है
कृपाशंकर चौबे
बांग्ला कविता की एक हजार साल की लंबी, अनेक आयामी और समृद्ध परंपरा रही है। बांग्ला कविता की यात्रा दसवीं शताब्दी से...




















