प्रभात खबर कोलकाता में प्रचार-प्रसार का नायाब नुस्खा अपनाया
अतीत के अनुभव और वर्तमान के यथार्थ पर ही भविष्य की इबारत लिखी जाती है। इसे कई बार महसूस किया तो बाज दफा दरकिनार...
अरे रामा रिमझिम बरसे बदरिया कि नांहि घरे आए संवरिया ना
मिथिलेश कुमार सिंह
सावन ने दस्तक दे दी है और हम दिमाग से मिर्जापुर में हैं। बड़े शहरों में ऐसे मौसम आनी- जानी होते...
इतनी कहियो जायिः निराला ने लिख दिया- बांधो न नाव इस ठांव बंधु
मिथिलेश कुमार सिंह
महाप्राण निराला को जिन कुछेक गीतों ने हिंदी में पूरी ताकत से स्थापित किया और उन्हें दाखिल दफ्तर होने से बचा...
तेरी चाहत का दिलवर बयां क्या करूं…………..
अरविंद चतुर्वेद
पहले से तय प्रोग्राम के मुताबिक रामधनी दुसाध और रामजी चेरो ने नलराजा के मेले में आधा-आधा सेर गुड़हिया जलेबी खाई, एक-एक...
सुधांशु शेखर की कविता- कब निकलेगा समाधान प्रिये !
सुधांशु शेखर
इस लॉक डाउन के चंगुल से
कब निकलेगा समाधान प्रिये !
तुम लॉक डाउन की बढ़ती डेट
मैं वस्तु का घटता दाम प्रिये !
तुम ग्रीन...
ऐसी खबर बनवाने का बोझ ढोता रहा, जिसका सच से सरोकार न था
वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की प्रस्तावित पुस्तक- मुन्ना मास्टर, बने एडिटर- की यह कड़ी पुस्तक में दर्ज कुछ एक्सक्लूसिव तथ्यों-अंशों में से एक है।...
तब प्रभात खबर के प्रिंटलाइन में संपादकीय प्रभारी का नाम छपा
आप जहां रहते हैं, उसके इर्द-गिर्द हर दिन, हर पल कई ऐसी चीजें घटित होती हैं कि जब कभी किस्सागोई में उन्हें समेटना चाहें...
फणीश्वरनाथ रेणु से जेपी आंदोलन के दौरान हुई बातचीत के अंश
सुरेंद्र किशोर
फणीश्वरनाथ रेणु से जेपी आंदोलन (1974) के दौरान उनकी जेल यात्रा से लौटने के बाद ‘प्रतिपक्ष’ के लिए मैंने लंबी बातचीत की...
जिद्द, जुनून और जिम्मेवारी के आगे घर-परिवार की भी परवाह नहीं की
वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की प्रस्तावित पुस्तक की धारावाहिक कड़ी
मैं बचपन से ही जिद्दी, जुनूनी और जिम्मेवारी निभाने वाले स्वभाव का रहा हूं। इसके...
नहीं रहे पद्मश्री से अलंकृत पं. श्यामलाल चतुर्वेदी
उनकी आंखों में था एक समृध्द लोकजीवन का स्वप्न
प्रो. संजय द्विवेदी
भरोसा नहीं होता कि पद्मश्री से अलंकृत वरिष्ठ पत्रकार-साहित्यकार पं. श्यामलाल चतुर्वेदी नहीं...