विश्व मंच पर मोदी ने दिखाई हैसियत, पाकिस्तान की हालत बनी पतली

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फाइल फोटो
  • राणा अमरेश सिंह

पटना। आगामी लोकसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भले ही माथापच्ची करनी पड़ रही है, परंतु  पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले पर विश्व जनमत जुटाने में थोड़ी भी देर नहीं लगी। इससे प्रधानमंत्री मोदी की अंतरराष्ट्रीय मंच पर धौंस का अहसास हुआ। विश्व मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्या  हैसियत है, इसका खुलासा जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ दस्ते पर हुए हमले के बाद साफ हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नरेंद्र मोदी के बयान ने पाकिस्तान में खलबली मचा दी है। सऊदी अरब के शाह मोहम्मद बिन सलमान ने पुलवामा की घटना के मद्देनजर पाकिस्तान की पूर्व निर्धारित अपनी यात्रा स्थगित कर दी है।

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विश्व के शक्तिशाली देश अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, जर्मनी, इजरायल ने तत्काल मदद देने के लिए हाथ बढाये हैं। पड़ोसी देश श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश ने भी भारत के सुर में सुर मिलाया है। इतना ही नहीं, 20 देशों के डिप्लोमेट ने विदेश मंत्रालय पहुंच कर सरकार के साथ मंत्रणा की और हरसंभव सहयोग करने का आश्वासन दिया।

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आजादी के 72 सालों में भारत कई छोटे-बड़े संकटों का गवाह रहा है। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अमेरिका जाकर राष्ट्रपति रिचर्ड निक्शन से मदद मांगने गयी थीं, लेकिन निक्सन ने इंदिरा गांधी से मुलाकात करने से इंकार कर दिया था। बाद में सोवियत रूस ने मदद देने का आश्वासन दिया था। मई 1999 में कारगील युद्ध के समय भी हमें खास विश्व शक्तियों ने मदद नहीं की थी। हालांकि भारत ने दोनों जंग फतह कर ली थी।

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पुलवामा प्रकरण के बाद भारत सरकार ने इस मामले में कठोर कदम उठाते हुए वैश्विक तौर पर पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इसका असर चंद घंटों में ही दिखने लगा। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से, जिनमें चीन, खाड़ी देश, जापान, यूरोपीय राष्ट्र शामिल हैं, पाकिस्तान प्रायोजित आतंक पर बातचीत की और पाकिस्तान के खिलाफ कदम उठाने पर जोर दिया। साथ ही भारत ने P5 देशों से भी इस बारे में बातचीत की। P5 संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों का समूह है, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन शामिल हैं।

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पुलवामा घटना के तुरंत बाद सरकार ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का स्टेटस वापस लेने का फैसला किया। हालांकि एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि पाकिस्‍तान से एमएफएन का दर्जा छिनने से आर्थिक तौर पर पाकिस्‍तान को कोई खास नुकसान नहीं होगा, लेकिन इससे पाकिस्‍तान और दुनिया को सख्‍त संदेश जाएगा कि भारत आतंकवाद पर कठोर कदम अपना रहा है।

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वैसे तो चीन ने भी आतंकी हमले की निंदा की और शहीदों के प्रति अपनी संवेदना जाहिर की, लेकिन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ग्लोबल टेररिस्ट लिस्ट में डालने से इनकार कर दिया है। अलबत्ता पाकिस्तान को यूरोपीय यूनियन से बड़ा झटका लगा है। यूरोपियन कमीशन ने पाकिस्तान को डर्टी-मनी ब्लैकलिस्ट नेशंस की सूची में डाल दिया है। ईयू एक्जिक्यूटिव के मुताबिक यह फैसला मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों की फाइनेंसिंग को रोकने के लिए लिया गया है। हालांकि इस फैसले का ईयू के ही कुछ देशों ने विरोध किया है। ऐसे में पाकिस्तानी कारोबारियों को कारोबार करने में कई परेशानियां उठानी पड़ेंगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि उन्हें आसानी से कर्ज नहीं मिलेगा। साथ ही, उनके के लिए बिजनेस करना अब और मुश्किल भरा हो जाएगा।

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