किसान और कर्ज माफी के मुद्दे पर ही अब चुनाव लड़े जाने की तैयारी

0
123
  • राणा अमरेश सिंह

नयी दिल्ली। अब किसानों के कर्ज माफी की बदौलत हर दल अपनी नैया पार लगाना चाहता है। जात-पात और सांप्रदायवाद के कठमुल्लेपन का झंडाबरदार होने के बजाय सियासी दलों ने बहुसंख्यक जनता के बेहद नाजुक छोर को पकड़ लिया है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस हाथ में गंगा जल लेकर प्रतिज्ञा पत्र को पूरे करने की कसमें खाती दिखती है। मानो जनता का विश्वास नेताओं के घोषणा पत्र से उठ गया हो। यह दीगर बात है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा किए गये वादे को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जुमला करार दिया था। जनता में अपनी पैठ पक्की करने के लिए कांग्रेस ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने के दो घंटे और राजस्थान में 24 घंटे में किसानो के कर्ज माफ कर दिए। पहली बार किसानों की चिंता राजनीतिक दलों के एजेंडे में शुमार हुआ है। हालात ऐसे बन रहे कि किसान और कर्ज माफी के मुद्दे पर ही अब चुनाव लड़े जाने की तैयारी में हर दल जुट गगये हैं।

वहीं विदेशी मीडिया ने विश्व अर्थव्यवस्था में भारत के बढ़ते दबदबा और चुनाव में पनपते कर्ज माफी के रुझान पर तंज कसा है। न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के जीडीपी के विकास के लिए काम करते रहे तो साल 2019 का चुनाव उनको मुश्किल में डाल सकता है।  इसलिए कि भारतीय जनता में दूरदर्शिता का अभाव है।

- Advertisement -

भारतीय जन मानस जीडीपी ग्रोथ रेट का अर्थ नहीं समझता। राजकोषीय घाटे का प्रभाव किस पर होगा, भारत की जनता बिल्कुल नहीं समझती। उसने आगे लिखा, भारत का जीडीपी पिछले चार साल में 3.8 से बढ़कर 7.4 हो गया है, जो अमेरिका, इग्लैंड और जापान से भी अधिक है। जनता पेट्रोल और डीजल सस्ता चाहती है और किसानों के फसलों की कीमत अधिक दिलाने की मांग करती है। अखबार के संवाददाता ने प्रधानमंत्री मोदी को राजमर्मज्ञ नहीं, बल्कि राजनीतिज्ञ बनने की सलाह दी है।

किसानों के कर्ज माफी का वादा चुनाव जीतने का बीज मंत्र बनता जा रहा है। कम से कम पिछले दो सालों में हुए आठ विधानसभा चुनावों के नतीजों को देख कर तो ऐसा ही कहा जा  सकता है।

मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में किसानों के कर्ज माफी के वादे ने ही कांग्रेस को सत्ता पर आसीन करवाया। इसके पूर्व साल 2017 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में इस तरह का वादा कर बंपर जीत हासिल की। पंजाब में भी कांग्रेस ने कर्ज माफी की घोषणा की। वहीं भाजपा ने गुजरात में किसानों के कर्ज पर लगने वाले ब्याज चुकाने का वादा किया था। तेलंगना में टीआरएस ने किसानों के कर्ज माफी और किसानों को नगद सालाना प्रति एकड़ आठ हजार रुपये देने के बाद इस राशि को 10 हजार करने का वादा किया था। माना जा रहा है कि इस वादे ने ही टीआरएस को रिकार्ड सीटें दिलवाईं। इसी तरह कर्नाटक में भाजपा और जेडीएस ने कर्ज माफी का वादा किया था। यूपी, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ओर तमिलनाडु में 1.9 लाख करोड़ के कर्ज की माफी की घोषणा की गई।

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनते ही किसानों के 41 हजार करोड़ के कर्ज माफ कर दिए गए। अगले दिन गुजरात में भाजपा सरकार ने 6.22 लाख बकायदारों का 625 करोड़ रुपये का बिजली बिल और असम सरकार ने आठ लाख किसानों का 600 करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया। ओडिशा में 2019 में होने वाले विधानसभा पर नजर रखते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बसंत पांडा ने सत्ता में  आने पर किसानों का कर्ज माफ करने का ऐलान किया।  उधर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि देश के सभी किसानों के कर्ज माफ होने तक वह प्रधानमंत्री को सोने नहीं देंगे।

यह भी पढ़ेंः किसानों को सशक्त बना रही है केंद्र की भाजपा सरकार: राजीव  

हालिया हिंदी पट्टी के तीन विधानसभा चुनावों में मात खाने वाली भाजपा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 दिसंबर को होने वाली जीएसटी बैठक से पहले ही लीक से हट कर 99% वस्तुओं पर जीएसटी 18% या उससे कम करने की घोषणा कर दी। यद्यपि ऐसी घोषणा करने का अधिकार वित्त मंत्री को है।

यह भी पढ़ेंः उन्नत खेती की तकनीक सीखने झारखंड के किसान इजरायल गये

- Advertisement -