कुछ ही देर में बिहार का 10 वीं बार बजट पेश करेंगे सुशील मोदी 

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कोरोना संकट पर बीजेपी कार्यकर्ताओं से उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने टेली कान्फ्रेंसिंग से 19 सत्रों में तकरीबन 27  घंटे तक बातचीत की।
कोरोना संकट पर बीजेपी कार्यकर्ताओं से उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने टेली कान्फ्रेंसिंग से 19 सत्रों में तकरीबन 27  घंटे तक बातचीत की।

पटना। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी वित मंत्री के नाते 10 वीं बार बिहार विधान मंडल में मंगलवार को (आज) वर्ष 2019-20 का वार्षिक बजट पेश करेंगे। इस बार बजट पूर्व उद्योग-व्यापार व परिवहन प्रक्षेत्र के अलावा शहरी व ग्रामीण निकाय के प्रतिनिधियों तथा कृषि, सहकारिता, वानिकी, मत्स्य व मुर्गीपालक किसानों के साथ अलग-अलग बैठक कर के तथा सार्वजनिक तौर पर आनलाइन व आफलाइन सुझाव हासिल कर उसके अनुरूप बजट तैयार किया गया है। 2005-06 में एनडीए की सरकार बनने के बाद चुनावी वर्ष को छोड़ कर राज्य में बजट उपस्थापन के बाद विनियोग विधेयक के द्वारा 31 मार्च तक पूर्ण बजट पारित कराने की परम्परा रही है। वर्ष 2019 के चुनावी वर्ष होने के कारण बिहार विधान मंडल का सत्र अल्पावधि का है, जिससे चालू सत्र में मांगवार विचार किया जाना संभव नहीं है। अतः वर्ष 2019-20 के बजट उपस्थापन के बाद अगामी 15 फरवरी को लेखानुदान संबंधी प्रस्ताव पर वाद-विवाद के बाद मतदान होगा और तत्सम्बन्धी 4 माह के खर्च के लिए विनियोग विधेयक पारित कराया जायेगा।

वर्ष 2019-20 में लेखानुदान के रूप में कुल बजट प्राक्कलन में से निर्वाचन, गृह एवं आपदा प्रबंधन मद की सम्पूर्ण राशि  तथा शेष मदों के एक तिहाई यानी 33 प्रतिशत व्यय करने हेतु प्रस्तावित की जायेगी।

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सुशील मोदी ने अपने एक ट्वीट में लालू-राबड़ी और तेजस्वी का नाम लिये बगैर कहा कि जिनके माता-पिता के शासन में बिहार सरकार का बजट 30 हजार करोड़ से आगे नहीं बढ़ा, वे एनडीए सरकार में एक लाख करोड़ से ज्यादा के बजट वाली अर्थव्यवस्था की आलोचना किस मुंह से कर रहे हैं? वे न विकास कर सकते हैं, न फूटी आँखों से भी विकास को देख सकते हैं।

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वे नहीं देखते कि आज बिहार के हर गांव में बिजली पहुंच गई है और गांव के गरीब-किसान लालटेन-युग से बाहर आ चुके हैं। उनके घर भी गैस पर खाना बनने लगा है। 11फीसद से भी ज्यादा की विकास दर को अर्थव्यवस्था का सबसे खराब दौर बताने से पहले तेजस्वी यादव को अपनी समझ विकसित करनी चाहिए।

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने शरद यादव को लेपेटे में लिया। कहा कि शरद यादव जी अब घोटाला करने और फर्जीवाड़ा पकड़ने में फर्क नहीं कर पाते। वे 60 हजार करोड़ के चिटफंट घोटाले पर चुप रहते हैं और इस घोटाले में आरोपी ममता बनर्जी की रैली में शामिल होते हैं। बिहार में वे उस पार्टी के साथ हैं, जिसके प्रमुख लालू प्रसाद 1000 हजार करोड़ के चारा घोटाला के चार मामलों में सजायाफ्ता होने के कारण चुनाव भी नहीं लड़ सकते। बिहार में 800 करोड़ का फर्जीवाड़ा पकड़ने के लिए शरद यादव को केंद्र सरकार के तहत काम करने वाली जीएसटी इंटेलिजेंस टीम की तारीफ करनी चाहिए। सरकार इस मामले में किसी को नहीं बख्शेगी।

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