बीएचयू प्रशासन की अनियमितताओं पर उठी फिर उंगलियां 

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आईएमएस बीएचयू को एम्स समतुल्य दर्जे के बाद भी प्रोफेसर पद का प्रमोशन आरोपों के घेरे में 

  • हरेन्द्र शुक्ला 

वाराणसी। अनियमितताओं के कलंक दागदार होने के बावजूद बीएचयू प्रशासन अपने दामन की पाकीज़गी को लेकर सचेत नजर नहीं आता। पूर्व कुलपति प्रो. जी.सी त्रिपाठी के कार्यकाल में हुई अनियमित नियुक्तियों का बवंडर अभी थमा भी न था कि प्रस्तावित समतुल्य एम्स के प्रोफेसर पद के प्रमोशन को लेकर 23 जनवरी बुधवार को विश्वविद्यालय में आयोजित साक्षात्कार की विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़े हो गये। इसे विधि विरुद्ध बता कर आपत्ति जताते हुए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है। आरोप है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान को गत वर्ष 4 सितम्बर 2018 को एम्स के समतुल्य संस्थान का दर्जा दे दिया गया है। इसके साथ हीं प्रोफेसर पद पर प्रमोशन (प्रोन्नति) व नियुक्तियों में चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू को एम्स(AIIMS) के नियमावली का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।

विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और उच्च न्यायलय के अधिवक्ता श्री सौरभ तिवारी ने पत्र भेज कर केन्द्र सरकार और संबधित ओहदेदारों से इस साक्षात्कार को विधि विरुद्ध बताते हुए इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री, नीति आयोग के चेयरमैन, नीति आयोग के उपाध्यक्ष, कुलपति बीएचयू, निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू को शिकायती पत्र मेल के जरिए प्रेषित किया है।

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पत्र में यह आरोप लगाया गया है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान को गत वर्ष 4 सितम्बर 2018 को एम्स के समतुल्य संस्थान का दर्जा दे दिया गया है। इसके साथ हीं प्रोफेसर पद पर प्रमोशन (प्रोन्नति) व नियुक्तियों में चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू को एम्स(AIIMS) के नियमावली का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। लेकिन दिनांक 23 जनवरी 2019 से DACP स्कीम के तहत चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति व प्रमोशन (प्रोन्नति) के लिए साक्षात्कार का आयोजन हो रहा है, जिसमें एसोसिएट प्रोफेसर को साक्षात्कार उपरांत सीधे प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति दी जाएगी। जबकि एम्स में एसोसिएट प्रोफेसर के उपरांत एडिशनल प्रोफेसर तब प्रोफेसर पद पर प्रोन्नति दी जाती है।

ऐसे में चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू में कल से प्रोफेसर पद के लिए  होने वाला साक्षात्कार एम्स के नियमों  के विरुद्ध है तथा प्रक्रियात्मक त्रुटियों से ओतप्रोत है इसलिए इन नियुक्तियों व प्रोन्नतियों तथा कल से आयोजित हो रहे साक्षात्कार  पर तत्काल प्रभाव से रोक की आवश्यकता है।

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