ओमप्रकाश अश्क

और इस तरह प्रभात खबर के कार्यकारी संपादक बने ओमप्रकाश अश्क

0
ओमप्रकाश अश्क ने अपने कार्यकारी संपादक बनने की रोचक कहानी आत्मकथा पर आधारित अपनी प्रस्तावित पुस्तक- मुन्ना मास्टर बने एडिटर- में बतायी है। कैसे...
मैथिली 8वीं अनुसूची में हिन्दी के पाठ्यक्रम में विद्यापति क्यों? यह सवाल उठाया है कलकत्ता यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अमरनाथ ने। उनके सवाल में दम भी है।

मैथिली 8वीं अनुसूची में हिन्दी के पाठ्यक्रम में विद्यापति क्यों?

0
अमरनाथ मैथिली 8वीं अनुसूची में हिन्दी के पाठ्यक्रम में विद्यापति क्यों? यह सवाल उठाया है कलकत्ता यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अमरनाथ ने। उनके सवाल में...

और आखिरकार कारोबार खबर की अकाल मौत हो गयी

0
पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की प्रस्तावित पुस्तक- मुन्ना मास्टर बने एडिटर- की अगली कड़ी पेश है। यह उस दौर की बात है, जब श्री अश्क...

कहां गइल मोर गांव रे, बता रहे वरिष्ठ पत्रकार शेषनारायण सिंह

0
 शेष नारायण सिंह  1975 में जब मैंने संत तुलसीदास डिग्री  कालेज, कादीपुर (सुल्तानपुर) की प्राध्यापक की नौकरी छोडी थी तो एक महत्वपूर्ण फैक्टर यह...

नहीं रहे नीरजः आंसू जब सम्मानित होंगे, मुझको याद किया जाएगा !

0
ध्रुव गुप्त हिंदी के महाकवि गोपाल दास नीरज का देहावसान हिंदी गीतों के एक युग का अंत है। 93 साल की उम्र एक...
बांग्ला उपन्यास की यात्रा उन्नीसवीं शती के उत्तरार्द्ध में आरंभ हुई। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय से बांग्ला उपन्यास को जीवन मिला था।

बांग्ला उपन्यास की यात्रा उन्नीसवीं शती के उत्तरार्द्ध में आरंभ हुई

0
कृपाशंकर चौबे बांग्ला उपन्यास की यात्रा उन्नीसवीं शती के उत्तरार्द्ध में आरंभ हुई। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय से बांग्ला उपन्यास को जीवन मिला था। उनके उपन्यास...

नीरज जी को सुनने के लिए सुबह तक जमावड़ा अब भी याद आता है

0
राजेंद्र तिवारी नीरज जी को श्रद्धांजलि.....बचपन में मैं और मेरे बड़े भाई नीरज जी को सुनने के लिए दशहरे के मेले में सुबह तक...
फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भिन्न भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है। प्रेमचंद के बाद फणीश्‍वर नाथ रेणु को आंचलिक कथाकार माना गया है।

फणीश्वरनाथ रेणु से जेपी आंदोलन के दौरान हुई बातचीत के अंश

0
सुरेंद्र किशोर फणीश्वरनाथ रेणु से जेपी आंदोलन (1974) के दौरान उनकी जेल यात्रा से लौटने के बाद ‘प्रतिपक्ष’ के लिए मैंने लंबी बातचीत की...

मारीशस  के लोग मानते हैं- भोजपुरी हिंदी की माता है

0
राजेश श्रीवास्तव मॉरीशस में हुए मेरे दोनों व्याख्यानों में मैंने रामकथा को गलत तरह से प्रचारित किये जाने का विरोध किया। संसार के बहुत ...
मलिकाइन के पाती

अब न आते हैं खत लिख कर, थोड़ा लिखना अधिक समझना

0
मिथिलेश कुमार सिंह आदमी बहुत आगे बढ़ चुका है। चांद, सूरज, मंगल, अमंगल- जाने कितने ग्रह-उपग्रह उसके रडार पर हैं। सूरज और चांद और...