मारीशस  के लोग मानते हैं- भोजपुरी हिंदी की माता है

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राजेश श्रीवास्तव मॉरीशस में हुए मेरे दोनों व्याख्यानों में मैंने रामकथा को गलत तरह से प्रचारित किये जाने का विरोध किया। संसार के बहुत ...
ओमप्रकाश अश्क

और अब प्रभात खबर का पटना संस्करण बना अगला पड़ाव

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मुन्ना मास्टर बने एडिटर- पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की प्रस्तावित पुस्तक हैं। इसे हम लगातार क्रमिक रूप से प्रकाशित कर रहे हैं। गुवाहाटी, रांची, कोलकाता...

और आखिरकार कारोबार खबर की अकाल मौत हो गयी

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पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की प्रस्तावित पुस्तक- मुन्ना मास्टर बने एडिटर- की अगली कड़ी पेश है। यह उस दौर की बात है, जब श्री अश्क...
'गीत कभी गाता हूँ मैं, गीत कभी गाता मुझको' के बहाने गीतकार वीरेंद्र जी को याद किया है वरिष्ठ पत्रकार-साहित्यकार हरीश पाठक ने।

‘गीत कभी गाता हूँ मैं, गीत कभी गाता मुझको’ के बहाने वीरेंद्र की याद

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'गीत कभी गाता हूँ मैं, गीत कभी गाता मुझको' के बहाने गीतकार वीरेंद्र जी को याद किया है वरिष्ठ पत्रकार-साहित्यकार हरीश पाठक ने। इसी...
कबीर ज्ञान और प्रेम के कवि थे। उनकी कविता हाय-हाय और हाहाकार  वाली कविता नहीं है, उल्लास की कविता है। वह दिन-रात रोना-बिसूरना नहीं जानते।

कबीर की कविता हाय-हाय और हाहाकार वाली कविता नहीं है

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कबीर ज्ञान और प्रेम के कवि थे। उनकी कविता हाय-हाय और हाहाकार  वाली कविता नहीं है, उल्लास की कविता है। वह दिन-रात रोना-बिसूरना नहीं...
ओमप्रकाश अश्क

और अविनाश जी की हो गई विदाई, अश्क को मिली पटना की कमान

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वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क का पटना आगमन 1997 के मध्य में हुआ और अगले पड़ाव की ओर वह जून 1999 में प्रस्थान कर गये।...
मीडिया का शिक्षक हो तो पुष्पेंद्रपाल सिंह जैसा। पुष्पेंद्रपाल सिंह पिछले पांच वर्षों से मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग के उपक्रम मध्यप्रदेश माध्यम के प्रधान संपादक हैं।

मीडिया का शिक्षक हो तो पुष्पेन्द्र पाल सिंह जैसा

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मीडिया का शिक्षक हो तो पुष्पेंद्रपाल सिंह जैसा। पुष्पेंद्रपाल सिंह पिछले पांच वर्षों से मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग के उपक्रम मध्यप्रदेश माध्यम...

नहीं रहे नीरजः आंसू जब सम्मानित होंगे, मुझको याद किया जाएगा !

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ध्रुव गुप्त हिंदी के महाकवि गोपाल दास नीरज का देहावसान हिंदी गीतों के एक युग का अंत है। 93 साल की उम्र एक...
मलिकाइन के पाती

अब न आते हैं खत लिख कर, थोड़ा लिखना अधिक समझना

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मिथिलेश कुमार सिंह आदमी बहुत आगे बढ़ चुका है। चांद, सूरज, मंगल, अमंगल- जाने कितने ग्रह-उपग्रह उसके रडार पर हैं। सूरज और चांद और...

बार-बार मन पूछे मेरा, बोलो भाई- कहां गइल मोर गांव रे!

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ओमप्रकाश अश्क गांव छूटा तो लगभग सब कुछ गुम हो गया। ऐसा अब लगता है। यह अलग बात है कि गांव भी किसी लोभ...