'दुखाँ दी कटोरी : सुखाँ दा छल्ला'- प्रो. रूपा सिंह की अद्भुत कहानी है।

‘दुखाँ दी कटोरी : सुखाँ दा छल्ला’- प्रो. रूपा सिंह की अद्भुत कथा-यात्रा

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'दुखाँ दी कटोरी : सुखाँ दा छल्ला'- प्रो. रूपा सिंह की अद्भुत कहानी है। इस कहानी के बहाने प्रो. मंगला रानी ने रूपा के...
साहित्य के मुख्य विषय इस वर्ष क्या होंगे? अगर संवेदना साहित्य की आत्मा है तो निश्चत ही इस पर विचार होना चाहिए।

साहित्य के मुख्य विषय इस वर्ष क्या होंगे?

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साहित्य के मुख्य विषय इस वर्ष क्या होंगे? अगर संवेदना साहित्य की आत्मा है तो निश्चत ही इस पर विचार होना चाहिए। कलकत्ता विश्वविद्यालय...

रेखना मेरी जान : ग्लोबल वार्मिंग की पृष्ठभूमि में खिले प्रेम के फूल

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नवीन शर्मा रतनेश्वर सिंह अपने उपन्यास रेखना मेरी जान ग्लोबल वार्मिंग जैसे अलार्मिंग मुद्दे को प्रमख कथा में गूंथ कर हिंदी भाषी पाठकों को...
अलका सरावगी के उपन्यास 'कुलभूषण का नाम दर्ज़ कीजिये'- पर वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया ने अपनी टिप्पणी दर्ज की है।

अलका सरावगी के उपन्यास ‘कुलभूषण का नाम दर्ज़ कीजिये’- पर ममता कालिया की टिप्पणी

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अलका सरावगी के उपन्यास 'कुलभूषण का नाम दर्ज़ कीजिये'- पर वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया ने अपनी बेबाक टिप्पणी दर्ज की है। सीधे कहें तो...
ओमप्रकाश अश्क

जब पटना प्रभात खबर में रहते दुखी करने वाले कुछ मौके आये

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आप वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की संस्मरणों पर आधारित प्रस्तावित पुस्तक- मुन्ना मास्टर बने एडिटर- का धारावाहिक अंश लगातार पढ़ते रहे हैं। थोड़े व्यतिक्रम...
फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भिन्न भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है। प्रेमचंद के बाद फणीश्‍वर नाथ रेणु को आंचलिक कथाकार माना गया है।

फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है

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फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भिन्न भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है। प्रेमचंद के बाद फणीश्‍वर नाथ रेणु को आंचलिक कथाकार माना गया...

जब गलतियों के लिए हरिवंश जी की डांट सुननी पड़ी

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एक अंतराल के बाद पेश है वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की प्रस्तावित पुस्तक- मुन्ना मास्टर बने एडिटर- की अगली कड़ी अखबार का आदमी आमतौर पर...
ओमप्रकाश अश्क

और प्रभात खबर में वाउचर पेमेंट वालों को कांट्रैक्ट लेटर मिला

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वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की संस्मरणों पर आधारित प्रस्तावित पुस्तक- मुन्ना मास्टर बने एडिटर की अगली कड़ी जब कोई बूढ़ा बरगद धराशायी होता है तो...

इतिहास के आईने में बिहारः सुगांव डायनेस्टी और विद्यापति 

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लेखक-पत्रकार संजय ठाकुर की अप्रकाशित इतिहास की पुस्तक- विद्यापति और सुगांव (अतीत के आईने में चम्पारण) का एक अंश  पूर्वी चम्पारण जिला के सुगौली प्रखंड के ...

कहां गइल मोर गांव रे, बता रहे वरिष्ठ पत्रकार शेषनारायण सिंह

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 शेष नारायण सिंह  1975 में जब मैंने संत तुलसीदास डिग्री  कालेज, कादीपुर (सुल्तानपुर) की प्राध्यापक की नौकरी छोडी थी तो एक महत्वपूर्ण फैक्टर यह...