रामदेव सिंह ने लिखी पुस्तक समीक्षा

“चांदखोल पर थाप’ यानि बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी! 

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रामदेव सिंह "चांदखोल पर थाप' कवि और निबंधकार राजमणि मिश्र की यह किताब लगभग एक वर्ष से मेरे सफरी बैग में सफर करती रही...
मैला आँचल क्या है? मैला आँचल भारत माता का है और यह ग्रामवासिनी है। यह मलीन है, उदास है, दुखी है। भारत माता हमारी मातृभूमि और उस पर रहने वाले लोग हैं।

मैला आँचल का संदेश  क्या है, आइए जानते हैं इस बारे में

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भारत यायावर  मैला आँचल का संदेश क्या है? यह जानने के पहले यह जानना जरूरी है कि मैला आँचल क्या है? मैला आँचल भारत माता...
'दुखाँ दी कटोरी : सुखाँ दा छल्ला'- प्रो. रूपा सिंह की अद्भुत कहानी है।

‘दुखाँ दी कटोरी : सुखाँ दा छल्ला’- प्रो. रूपा सिंह की अद्भुत कथा-यात्रा

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'दुखाँ दी कटोरी : सुखाँ दा छल्ला'- प्रो. रूपा सिंह की अद्भुत कहानी है। इस कहानी के बहाने प्रो. मंगला रानी ने रूपा के...
फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भिन्न भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है। प्रेमचंद के बाद फणीश्‍वर नाथ रेणु को आंचलिक कथाकार माना गया है।

कोरोना और COVID-19 सेे ऊब गये हों तो रेणु को जरूर पढ़ लें

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कोरोना, कोरोना वायरस और COVID-19 या नोवेल कोरोना सुनते-सुनते अगर आप ऊब गये हैं तो थोड़ा फणीश्वर नाथ रेणु के बारे में भी पढ़...
फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भिन्न भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है। प्रेमचंद के बाद फणीश्‍वर नाथ रेणु को आंचलिक कथाकार माना गया है।

फणीश्वरनाथ रेणु से जेपी आंदोलन के दौरान हुई बातचीत के अंश

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सुरेंद्र किशोर फणीश्वरनाथ रेणु से जेपी आंदोलन (1974) के दौरान उनकी जेल यात्रा से लौटने के बाद ‘प्रतिपक्ष’ के लिए मैंने लंबी बातचीत की...
फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भिन्न भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है। प्रेमचंद के बाद फणीश्‍वर नाथ रेणु को आंचलिक कथाकार माना गया है।

फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ सार्वजनिक उपस्थिति के कलाकार थे

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जन्मदिन के अवसर पर फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ को याद करते हुए फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ पैदायशी कलाकार और किस्सागो तो थे ही, वैसे ही पैदायशी आंदोलनकारी...

साहित्यिक सौंदर्यता के साथ-साथ वो फिल्मी हिरोइन से भी अधिक खूबसूरत थीं

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साहित्य की अप्रतीम शख्यियत अमृता जयंती पर विशेष नवीन शर्मा वैसे तो अमृता प्रीतम पंजाबी लेखिका हैं लेकिन हिंदी भाषाके पाठकों में भी वे खासी...

बूचड़खाने में काम करके कार्निलुइस कैसे बने पत्रकार, पढ़िये ‘निराला’ के इस लेख में

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पेशे से पत्रकार हैं और आदिवासी विषयों पर रिपोर्टिंग करते हैं रांची: कल मैं कार्निलुइस मिंज को सुन रहा था। उम्र के हिसाब से कार्निलुइस...
जैनेन्द्र कुमार

जैनेन्द्र कुमार की जीवनी : अनासक्त आस्तिक 

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प्रेमकुमार मणि  मैं जब युवा था, तब प्रेमचंद और जैनेन्द्र को लेकर मेरे मन में कभी कभार उधेड़-बुन होता था। प्रश्न उठता था कि...
कृष्ण बिहारी मिश्र (दायें) के साथ लेखक निराला

जब हिंदी के कमर एतना नाजुक बा, त ओकरा टूटिये जाये में भलाई बा

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बुढ़उती, भोजपुरी और गांधी जी के बारे में कृष्ण बिहारी मिश्र की बेबाक बतकही  निराला केहू कहल कि भोजपुरी आठवां अनुसूची में शामिल हो जाई...