‘चमारों की गली’ कविता में कवि अदम गोंडवी ने उनके हालात का वर्णन किया है। इसे साहित्यिक जमात अपने अपने नजरिए से देखता-आंकता है।  

‘चमारों की गली’ कविता और समकालीन यथार्थ…….

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‘चमारों की गली’ कविता में कवि अदम गोंडवी ने उनके हालात का वर्णन किया है। इसे साहित्यिक जमात अपने अपने नजरिए से देखता-आंकता है।   ...
मीडिया का शिक्षक हो तो पुष्पेंद्रपाल सिंह जैसा। पुष्पेंद्रपाल सिंह पिछले पांच वर्षों से मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग के उपक्रम मध्यप्रदेश माध्यम के प्रधान संपादक हैं।

मीडिया का शिक्षक हो तो पुष्पेन्द्र पाल सिंह जैसा

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मीडिया का शिक्षक हो तो पुष्पेंद्रपाल सिंह जैसा। पुष्पेंद्रपाल सिंह पिछले पांच वर्षों से मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग के उपक्रम मध्यप्रदेश माध्यम...
कविता होने की तीन शर्तें पूरा करती हैं नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती की कविताएं। नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती ने कहा था कि महान कविता में तीन विशेषताएं होती हैं।

नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती की कविताएं कविता की तीन शर्तें पूरा करती हैं

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कविता होने की तीन शर्तें पूरा करती हैं नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती की कविताएं। नीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती ने कहा था कि महान कविता में तीन विशेषताएं होती...
नंदिनी की मधुबनी पेंडिंग

नंदिनी सिन्हाः शोध के समानांतर सृजन का जुनून

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कृपाशंकर चौबे पत्रकार नंदिनी सिन्हा ने अपने व्यक्तित्व का अकादमिक रूपांतरण कर लिया है। शोध के समानांतर सृजन का जुनून है उनमें। महात्मा गांधी...
कृपाशंकर चौबे

बांग्ला दलित आत्मकथाओं का इतिहास और साहित्यकार यतीन बाला

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कृपाशंकर चौबे बांग्ला दलित आत्मकथाओं के आकलन-अध्ययन के क्रम में साहित्यकार यतीन बाला का नाम उल्लेखनीय है। उनका आत्मकथात्मक आख्यान ‘शिकड़ छेंड़ा जीवन’ 353...
"मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश" नामक पंक्ति  प्रसिद्ध कविता 'सरोज-स्मृति' में है। यह कवि निराला का आत्म कथन है। स्वयं की उद्घोषणा है।

“मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश” पंक्ति निराला का आत्मकथन है

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भारत यायावर  "मैं कवि हूँ, पाया है प्रकाश" नामक पंक्ति  प्रसिद्ध कविता 'सरोज-स्मृति' में है। यह सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का आत्म कथन है। स्वयं...
बांग्ला उपन्यास की यात्रा उन्नीसवीं शती के उत्तरार्द्ध में आरंभ हुई। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय से बांग्ला उपन्यास को जीवन मिला था।

बांग्ला उपन्यास की यात्रा उन्नीसवीं शती के उत्तरार्द्ध में आरंभ हुई

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कृपाशंकर चौबे बांग्ला उपन्यास की यात्रा उन्नीसवीं शती के उत्तरार्द्ध में आरंभ हुई। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय से बांग्ला उपन्यास को जीवन मिला था। उनके उपन्यास...
बांग्ला कविता की एक हजार साल की लंबी, अनेक आयामी और समृद्ध परंपरा रही है। बांग्ला कविता की यात्रा दसवीं शताब्दी से शुरू होती है।

बांग्ला कविता की हजार साल लंबी समृद्ध परंपरा रही है

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कृपाशंकर चौबे बांग्ला कविता की एक हजार साल की लंबी, अनेक आयामी और समृद्ध परंपरा रही है। बांग्ला कविता की यात्रा दसवीं शताब्दी से...
कमल किशोर गोयनका

प्रेमचंद के अद्वितीय व्याख्याता : कमल किशोर गोयनका

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अमरनाथ बुलंदशहर (उ.प्र.) के एक व्यवसायी परिवार में जन्मे और जाकिर हुसेन कॉलेज (साँध्य), दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे कमल किशोर गोयनका (11.10.1938 )...
कर्मेन्दु शिशिरः नवजागरण के मार्क्सवादी व्याख्याकार

कर्मेन्दु शिशिरः नवजागरण के मार्क्सवादी व्याख्याकार

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हिन्दी के आलोचक- जिनका 26 अगस्त को जन्मदिन है अमरनाथ कर्मेन्दु शिशिर हमारे समय के अत्यंत अध्ययनशील, वैज्ञानिक दृष्टि सम्पन्न और हर परिस्थिति में अपने...