मलिकाइन के पाती- पोखरा में मछरी, नौ-नौ कुटिया बखरा

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पावं लागीं मलिकार। गांव-जवार के हाल ठीक बा मलिकार। घरो-परिवार में सभे नीक-नीरोग बा। कई दिन से पांड़े बाबा के दुअरा खाली वोट के बतकही होता। के केने जाता, के केने जाये के तेयारी में बा। केकर गिरोह बड़ियार बा आ केकर कमजोर हो गइल बा। सबेरे से नौ बजे ले लोग एह जाड़ में उहां के दुआर पर बइठ के खाली इहे कुल बतियावत बा। के-के प्रधान मंतरी बने के चाहत बा। के नीमन होई, के बाउर कहाई। राहुल गान्ही के केहू नीमन कहत बा त केहू बेजायं बतावे में लागल बा। बेसी लोग मोदी जी के आगे सभका के कमजोर बतावे वाला बा। काल्ह अइसन धूमगज्जड़ मचल कि हम माड़ पसावल छोड़ के भागल अंगना से दोगहा में अइनी। हमरा बुझाइल कि कवनो झूर-झमेला हो गइल। अइला पर देखनी कि वोट के बतकही में हुड़दंग मचल बा। ई कुल सुनत-सुनत हमरा एगो कहाउत इयाद पर गइल। नरहन वाली हमरा नानी के नाना के नतिन पतोह ई कहाउत भर दिन में कवनो ना कवनो बात में जरूर कहत रहे- पोखरा में मछरी, नौ-नौ कुटिया बखरा। एही कहाउत के हमनी इहां कहल जाला- पोखरा खोनाये के पहिलहीं घरियार के डेरा।

अबही वोट परल ना, वोट के तारीखो अबहीं तय नइखे भइल आ लोग प्रधानमंतरी बनावे-खोजे लागल बा। रउरे नू एक बेर हमरा के समझवले रहनी मलिकार कि पहिले एमपी-एमएलए चुनाला आ ऊ लोग आपस में बइठ के मुखमंतरी आ परधानमंतरी के चुनेला। केतना नीमन तरीका बा। अब त लोग वोट के पहिलहीं ई कहे लागत बा कि फलना पाटी जीती त फलना परधानमंतरी भा मुखमंतरी बनिहें।

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पांड़े बाबा काल्ह कहत रहवीं कि खरमास बाद देखिह लोगिन कवना गंतिया बेंग अइसन नेतवा कवनो कूद के एने आई, कवनो ओने जाई। ई कुल खाली वोट के टिकट पावे खातिर होई। उहें के बतावत रहवीं कि मोदी जी के पाटी में पांच जाना के टिकट कटाई। जेकर कटाई, ऊ चुप थोड़हीं बइठी। उहां के बतावत रहवीं कि बिहार में दू गो गिरोह बन गइल बा नेता लोग के। एगो में तीन गो पाटी बा आ दोसरका में पांच गो। तीन गो में त सीट बंटा गइल बा, बाकिर ई मालूम अबहीं ले केहू के नइखे कि जवन पांच जाना के टिकट कटाई, ऊ के-के होई। पांच पाटी वाला गिरोह में अबही ले सीट त नइखे बंटाइल, बाकिर केहू अपना के कमजोर माने के तेयार नइखे। सभका बड़की बरारीये चाहीं। गरई-टेंगरा भा झींगा-पोठिया बने के केहू तइयार नइखे।

जाये दीं मलिकार, हमहू का लेके बइठ गइनी। पूछे-बतावे के चाहीं हाल-चाल, त नेतवन के कुकुरहपट सुनावे-बतावे लगनी। रउरा से एगो नीहोरा बा मलिकार। अपना बिहार में दारू-ताड़ी नीतीश जी बंद क दिहले बाड़े। जे धराई, ओकरा जेल में जांत पीसे के कानून बना दिहले बाड़े। नया साल आवे वाला बा। केहू के संघत में पड़ के कवनो गलती जनि करब। ई हमार निहोरा बा। ओइसे भरोसा बा रउरा पर।

जानत बानी मलिकार, दारू लोग के पी जाला, दारू के लोग ना पीये। रउरा हिसाब जोर के देखब। हम त नन्हका से ई ना कहवीं कि कवन चीज के हिसाब जोड़वावत बानी, बाकिर जोड़वा लिहवीं। रउरो जोड़ के देखब। कवनो पियक्कड़ के बीस बरिस के उमिर में दारू पीये के आदत धरा गइल आ ऊ रोज सौ रुपिया के दारू पीयत होखे त बीस बरिस बाद, माने 40 के उमिर तक जात-जात ऊ सात लाख तीस हजार के दारू पी जाई। बैंक के बियाज जोड़ दीं त ई रकम पचास लाख ले पहुंच जाई। अब रउरे बताईं मलिकार कि 50 लाख रुपिया से एगो इस्कूल बन सकेला। दूगो लड़िकन के डागदर-इंजीयर बनावल जा सकेला। कोठी कीनल-बनवावल जा सकेला। काहें लोगवा ई बात ना बूझेला? एतने ले ना मलिकार। दारू पीये वाला के मिलेला का। बेमारी मंगनी में मिल जाला। घर-परिवार आ समाज में मुंह चोरावे के परेला। पाती लमहर हो गइल। अब बकियवा अगिली बेर। राउरे, मलिकाइन

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