जन्मदिन के अवसर पर डा. राम मनोहर लोहिया की याद में कुछ बातें

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  • सुरेंद्र किशोर

वर्ष 1967 में 12 अक्तूबर को लोहिया का निधन हो गया। उस समय वे करीब 57 साल के ही थे। नई दिल्ली के वेलिंगटन अस्पताल में उनके प्रोस्टेट का आपरेशन विफल रहा था। डाक्टरों की लापारवाही सामने आई थी।

लोहिया अपना आपरेशन जर्मनी में करवाना चाहते थे, पर पैसे का जुगाड़ नहीं हो सका था।सिर्फ 12 हजार रुपए लगने थे। उन्हें जर्मनी के एक विश्वविद्यालय ने भाषण देने के लिए बुलाया था। आने-जाने का खर्च विश्व विद्यालय दे रहा था। तब बिहार सहित कई राज्यों की सरकारों में उनके दल के मंत्री थे। लोहिया अपने दल के सर्वोच्च नेता थे। पर, उन्होंने कह रखा था कि मेरे आपरेशन के लिए चंदा वहां से नहीं आएगा, जिन राज्यों में हमारी पार्टी के मंत्री हैं। वे चाहते थे कि बंबई के मजदूर चंदा कर के पैसे भेजें। पर चंदा आने में देर हो गई और दिल्ली में ही आपरेशन कराना पड़ा था।

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आज का दौर तो नेताओं की डायरियों का है। किसी को पैसों की कोई कमी महसूस नहीं होती है। कभी जैन हवाला डायरी सामने आती है तो कभी कर्नाटका डायरी! कभी सहारा डायरी तो कभी बिड़ला डायरी। कभी किसी ‘डायरी वालों’ का बाल बांका नहीं होता।

लोहिया जैसे नेता आज होते तो क्या होता? आज की राजनीति को देख कर  आत्महत्या कर ली  होती। लोहिया ने कहा था कि राजनीति में रहने वालों को अपना परिवार खड़ा नहीं करना चाहिए। वे खुद कुंवारे रहे।

उनका कोई बैंक खाता नहीं था। न ही अपना कोई मकान बनाया और न अपने लिए कार तक खरीदी। पर, जब लोकसभा में बोलने के लिए खड़ा होते थे तो सत्ताधारी बेंच सहम जाता था। उत्तर प्रदेश में मारवाड़ी पिछड़े समुदाय में नहीं आते। फिर भी लोहिया ने नारा दिया, ‘पिछड़े पावें सौ में साठ।’

जर्मनी से पी.एच.डी. व कई पुस्तकों के लेखक लोहिया का आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान था। लोहिया रिक्शे की सवारी नहीं करते थे। कहते थे कि आदमी को आदमी खींचता है, यह ठीक नहीं। वे यदाकदा साइकिल की पिछली सीट पर बैठ कर एक जगह से दूसरी जगह जाते थे।

साठ के दशक में रांची में उनकी पार्टी की बैठक थी। एक कार्यकर्ता के बारे में उन्हें सूचना मिली कि वह शराब बेचता है। उन्होंने उसे बुलाया। पूछा, शराब बेचते हो? उसने हां कहा। कहा कि मेरा भोजनालय है, जिसमें शराब भी बिकती है। लोहिया ने कहा कि यदि हमारी पार्टी में रहना हो तो शराब की दुकान बंद करके आओ। उसने शराब बेचनी बंद कर दी। और आज? इस देश में कितने नेता बचे हैं, जो  मदिरा पान नहीं करते? हालांकि कुछ जरूर बचे होंगे। इतनी भी गिरावट नहीं आई है!

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