डा. राम मनोहर लोहिया का संदेश- ‘‘बिजली की तरह कौंधो

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डा. राम मनोहर लोहिया ने संदेश दिया- ‘‘बिजली की तरह कौंधो और सूरज की तरह स्थायी हो जाओ।’’ 1967 की गैर कांग्रेसी सरकारों को उन्होंने यही संदेश दिया था।
डा. राम मनोहर लोहिया ने संदेश दिया- ‘‘बिजली की तरह कौंधो और सूरज की तरह स्थायी हो जाओ।’’ 1967 की गैर कांग्रेसी सरकारों को उन्होंने यही संदेश दिया था।
  • सुरेंद्र किशोर
सुरेंद्र किशोर, वरिष्ठ पत्रकार
सुरेंद्र किशोर, वरिष्ठ पत्रकार

डा. राम मनोहर लोहिया ने संदेश दिया- ‘‘बिजली की तरह कौंधो और सूरज की तरह स्थायी हो जाओ।’’ 1967 की गैर कांग्रेसी सरकारों को उन्होंने यही संदेश दिया था। पर, ऐसा हो नहीं सका। क्योंकि उनकी सरकारों को यह लगा कि यदि व्यापक जनहित में कोई चैंकाने वाला काम कर देंगे तो सरकार गिर भी सकती है।

डा. राम मनोहर लोहिया मशहूर स्वतंत्रता सेनानी व समाजवादी विचारक थे। उनकी पौरूष ग्रंथि के आपरेशन के बाद अस्पताल की भारी बदइंतजामी रही। वे सेप्टिसीमिया से पीड़ित हो गए। उसी कारण 12 अक्तूबर, 1967 को दिल्ली के वेलिंग्टन अस्पताल में उनका निधन हो गया। बाद में विशेषज्ञों ने बताया कि उन्हें बचाया जा सकता था।

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मोरारजी देसाई के शासनकाल में चिकित्सा में लापरवाही की जांच भी हुई। पर, कहते हैं कि संबंधित दोषी चिकित्सक एक वी.वी.आई.पी. का काफी करीबी निकल गया। परिणामस्वरूप उसे कुछ नहीं हुआ। सघन जांच से पता चलता कि लोहिया डाक्टरों की लापारवाही से मरे या उन्हें जानबूझ कर मरने दिया गया?

डा. लोहिया जर्मनी में अपना आपरेशन कराना चाहते थे। जर्मनी के एक विश्वविद्यालय ने भाषण देने के लिए उन्हें बुलाया था। जाने-आने का खर्च वह संस्थान दे रहा था। आपरेशन के लिए बारह हजार रुपए की जरूरत थी। उन्होंने अपने दल के एक मजदूर नेता से कहा था कि  वह मजदूरों से चंदा लेकर रुपए का इंतजाम कर दे। पर, वह मजदूर नेता समय पर पैसे का बंदोबस्त नहीं कर सका।

इस कारण जल्दीबाजी में दिल्ली के ही वेलिंग्टन अस्पताल में उन्हें भर्ती कराना पड़ा। उस समय कई प्रदेशों में ऐसी गैर सरकारी सरकारें बन चुकी थीं, जिनमें लोहिया के दल के मंत्री थे। डा. लोहिया ने अपने दल द्वारा शासित प्रदेशों के अपने  नेताओं से कह रखा था कि वे मेरे इलाज के लिए कोई चंदा वसूली का काम नहीं करें। इसमें सरकारी पद के दुरूपयोग का खतरा है।

धर्म और राजनीति के बारे में डा. लोहिया धारणा बिल्कुल साफ थी। डा. लोहिया का कहना था- दरअसल देखा जाए तो धर्म दीर्घकालीन राजनीति है और राजनीति अल्पकालीन धर्म है। यह है बढ़िया धर्म और बढ़िया राजनीति की परिभाषा। धर्म है अच्छाई को करना और अच्छाई की तारीफ करना और राजनीति है बुराई से लड़ना और बुराई की निन्दा करना।

डा. लोहिया कहा करते थे कि जिन्हें राजनीति में काम करना है, उन्हें अपना परिवार खड़ा नहीं करना चाहिए। डा. लोहिया के इस कथन का महत्व आज बौद्धिक रूप से अनेक ईमानदार लोगों को आसानी से समझ में आ सकता है। आज लगभग पूरे देश की राजनीति को परिवारवाद-वंशवाद के जहर ने आज ग्रस लिया है।

साठ के दशक की बात है। रांची में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की बैठक हो रही थी। किसी ने डा. लोहिया को बताया कि फलां कार्यकर्ता शराब बेचता है। डा. लोहिया ने उसे बुलाकर पूछा। उसने कहा कि मेरे भोजनालय में शराब भी बिकती है। इस पर लोहिया ने उससे कहा कि तुम शराब बेचोगे तो हमारी पार्टी में नहीं रह सकते। वह तुरंत अपने होटल गया। शराब की बिक्री तुरंत बंद करवाई। लौटकर लोहिया को यह सूचना दे दी।

डा. लोहिया ने 1967 में चुनाव के वक्त कह दिया कि देश में सामान्य नागरिक कानून लागू होना चाहिए। खुद लोहिया एक ऐसे क्षेत्र से लोस चुनाव के उम्मीदवार थे, जहां मुसलमानों की अच्छी-खासी आबादी थी। उनके एक समाजवादी मित्र  ने उनसे कहा कि ‘‘डाक्टर साहब, आपने ऐसा बयान क्यों दे दिया? अब तो आप चुनाव हार जाएंगे।’’ इस पर लोहिया ने कहा- मैं सिर्फ चुनाव जीतने के लिए  राजनीति में नहीं हूं। देश बनाने के लिए हूं।

जब लोहिया सांसद बने तो उनकी मित्र व मैनकाइंड पत्रिका की संपादक प्रो. रमा मित्र ने उनसे कहा कि अब आप कार खरीद लीजिए। लोहिया ने उनसे कहा कि हिसाब लगाओ। मेरा अभी टैक्सी का महीने का खर्च कितना है? कार खरीदने पर कितना खर्च आएगा? यदि पहले से कम खर्च आएगा तो कार खरीद लूंगा। चूंकि खर्च ज्यादा आ रहा था, इसलिए लोहिया अंत अंत तक टैक्सी का ही इस्तेमाल करते रहे।

लोहिया के बारे में 1967 की एक बात डा. खगेंद्र ठाकुर ने मुझे बताई थी। खगेंद्र जी ने एक दिन भागलपुर बस स्टैंड पर लोहिया को देखा। वे दिल्ली से ट्रेन से आए थे और दुमका वाली बस में सवार थे। पूछा तो बताया कि दुमका जा रहे हैं। वे अपने मित्र व मशहूर स्वतंत्रता सेनानी रामनंदन मिश्र से मिलने जा रहे थे। दरभंगा जिले के मूल निवासी मिश्र जी अपने पुत्र के साथ दुमका में रहते थे। याद रहे कि 1967 में बिहार में गैरकांग्रेसी सरकार थी। डा. लोहिया के दल के कर्पूरी ठाकुर उप मुख्य मंत्री, वित्त मंत्री और शिक्षा मंत्री थे। किसी अन्य दल का शीर्षस्थ नेता क्या भागलपुर से दुमका बस से जाता?

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