पूर्वांचल विश्वविद्यालयः कुलपति के चमचों ने थामा धमकी का तमंचा

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  • पत्रकारिता के छात्र को दी फेल करने की धमकी
  • उसका कसूर बस इतना था कि खबर लाइक कर दी

जौनपुर। “रेत का किला बन कर रह गया है पूर्वांचल विश्वविद्यालय” पिछले हफ्ते जब न्यू मीडिया के प्लेटफार्म पर छायाया तो कुलपति से अधिक उनके चमचे बिलबिला उठे। पहली पोस्ट में गाजीपुर के एक विद्यालय के समारोह में वीसी के बिगड़े बोल और कैंपस की अनियमितता का बयान किया गया था। पहली खबर से बिलबिलाए वीसी के एक चमचे ने कैंपस के जनसंचार विभाग के एक प्रखर छात्र को फेल करने की धमकी दे डाली। यह धमकी छात्र को तमंचे से निकली फायरिंग सरीखी महसूस हुई। हालांकि पत्रकारिता सीख रहे उस छात्र के पास “ढाल” पहले से थी। उसका कसूर बस इतना था कि उसने संबंधित खबर को लाइक किया था।

उक्त छात्र ने बताया कि उसे अफसोस इस बात का नहीं है कि फेल करने की धमकी किसी ने दी, क्योंकि जिस तरह से यहाँ शिक्षकों की नियुक्ति हुई है और कक्षाओं में वे जो पढ़ाते हैं, उनसे पढ़े यहीं के कई गोल्ड मेडलिस्ट छात्र आज भी नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। अफसोस इस बात का है कि जो शिक्षा मैं ग्रहण कर रहा हूँ, उसी जौनपुर शहर में तमाम बड़े बैनर वाले अखबारों  और चैनलों के प्रतिनिधि भी विवि रूपी मैले हो चुके गंगाजल में डुबकी लगा रहे हैं। किसी को नियुक्ति कराने का लालच है तो किसी को विज्ञापन के नाम पर मोटी रकम की मिलने की उम्मीद। अब ऐसे विवि में अध्ययन कर और ऐसे प्रोफेशन में नौकरी करने का सपना टूटता नज़र आ रहा है।

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पहली ख़बर का असर यह हुआ है कि हफ्ते भर से वीसी के चमचों, शागिर्दों में जहां खलबली है, वहीं बाकी के लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि पहली खबर को एक दूसरे को पढ़ा कर लोग चर्चाओं का बाजार शीतलहर में भी गर्म किये हुए हैं। लोगों को बोलने के लिए आधार चाहिए था, जो मिल गया है।

इसी बीच विभिन्न संगठन भी मैदान में उतर गए हैं। इनमें जौनपुर के जफराबाद इलाके के छात्रनेता अजीत कुमार यादव उर्फ ‘बाबा’ और तिलकधारी महाविद्यालय के छात्र नेता उद्देश्य सिंह ने विभिन्न अनियमितताओं को लेकर वीसी का पुतला फूंका था। इधर कांग्रेस की युवा टीम ने वीसी हटाओ अभियान के तहत पिस्टल (नकली) वितरण कर के प्रतीक आंदोलन की शुरुआत की, जिसका अंत क्रमिक अनशन में करने की योजना है।

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इधर बीच विवि परिसर में युवा महोत्सव के नाम पर गोलमाल और कैंपस सेलेक्शन की खानापूर्ति को बड़ी कंपनी के नाम पर कंसल्टेंसी लाने की योजना ज़ोर पकड़ चुकी है। इसका विरोध तमाम मेधावी छात्र  और छात्रनेता कर रहे हैं। इनका कहना है कि कैंपस सेलेक्शन के लिए बड़ी कंपनियों को सीधे लाना चाहिए लेकिन इसकी क्षमता  विवि के पास नहीं है। शायद पीयू को खुद के द्वारा दी गई छात्रों को डिग्री पर भरोसा नहीं है!

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