सुशील मोदी की सलाह- तकनीक से कृषि उत्पादकता बढ़ाएं युवा

0
98

पटना। ‘एल. एन. मिश्रा न्यू इंडिया चेंज मेकर अवार्ड’ समारोह को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बिहार के नौजवानों से अपील की कि वे अपनी योग्यता, प्रतिभा और इनोवेशन से राज्य की कृषि उत्पादकता को बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन और जल संकट जैसी समस्याओं का समाधान ढ़ूंढ़ें। श्री मोदी ने कहा कि दुनिया चौथी औद्योगिक क्रांति के दौर से गुजर रही है। यह जमाना रोबोटिक, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, नैनो टैक्नोलॉजी और 3 डी प्रिंटिंग का है। भारत पहली व दूसरी औद्योगिक क्रांति के लाभ से वंचित रहा और तीसरी का भी समुचित लाभ नहीं उठा पाया। अब हम चौथी औद्योगिक क्रांति का लाभ उठाने में सक्षम हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले 12 वर्षों में दुनिया में जितना इनोवेशन हुआ, उतना पिछले हजार वर्षों में भी नहीं हुआ था। ओला कैब, फ्लिपकार्ट, पेटीएम, मेक माई ट्रिप, जोमैटो और योए जैसे भारतीय युवाओं के इनोवेशन ने देश व दुनिया को बदलने में अपनी महती भूमिका निभाई है।

- Advertisement -

यह भी पढ़ेंः भाजपा में मची भगदड़, पहले शत्रुघ्न व कीर्ति बागी बने, अब उदय सिंह

एल.एन. मिश्रा कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट ने डॉ. प्रहलाथन के.के. जैसे युवा को न्यू इंडिया चेंज मेकर अवार्ड प्रदान कर उन युवाओं के लिए मिशाल कायम की है, जो अपने लगन, मेहनत और इनोवेशन से समाज के बदलने में लगे हैं। समारोह में डॉ. जगन्नाथ मिश्र की 22वीं पुस्तक “बिहार बढ़कर रहेगा“ के लोकार्पण पर कहा कि देश में शायद ही ऐसा कोई दूसरा राजनेता हो, जिसने अपने जीवनकाल में इतनी पुस्तकें लिखी हों।

यह भी पढ़ेंः रोड शो के बाद अनंत सिंह को आस, हर हाल में मिलेगा हाथ का साथ

सुशील मोदी के ट्वीट

  • मुख्य चुनाव आयुक्त ने बिहार के हर बूथ पर ईवीएम को वीवीपैट से जोड़ने और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने का वादा कर निष्पक्ष चुनाव का भरोसा मजबूत किया है, लेकिन जिन्होंने  मतपत्र वाले चुनावी दौर में तेल पिलायी लाठियों के बल पर बूथ लूट कर 15 साल राज किया, वे अपनी लालटेन के साथ लोकतंत्र को फिर बैलेट युग में लौटाने के लिए चुनाव आयोग से व्याकुल याचनाएं कर रहे हैं। बिहार के हर गांव में एनडीए सरकार बिजली पहुंचा चुकी है और जनता ईवीएम से परिचित हो चुकी है। अब न बैलेट पेपर का जमाना लौटेगा, न लालटेन जलेगी।
  • जब भाजपा जीतती है, तब लोग ईवीएम पर संदेह करते हैं, लेकिन जब कांग्रेस और दूसरे विरोधी दलों की जीत होती हैं, तब ईवीएम की जगह से बैलेट पेपर से चुनाव की मांग करने वालों को सांप सूंघ जाता है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और हाल के चुनावों में कांग्रेस की तीन राज्यों में जीत के बाद कोई ईवीएम के खिलाफ ज्ञापन देने क्यों नहीं गया? विरोधी दलों में से किसी ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ करने की चुनाव आयोग की चुनौती स्वीकार क्यों नहीं की? ईवीएम मुद्दे पर विरोधी दलों का नजरिया चुनावी लोकतंत्र को कमजोर करने की गहरी साजिश का हिस्सा है।

यह भी पढ़ेंः तीन साल बाद भारत में सिर्फ 36% बूढ़े रह जाएंगे, 64% होंगे जवान

- Advertisement -