मलिकाइन के पातीः चले के लूर ना अंगनवें टेढ़

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पांव लागीं मलिकार। केतना दिन से सोचत रहनी हां कि आज पाती पठायेब, काल्ह पठायेब, बाकिर जाड़ अइसन केंकुरा दिहले रहलस हा कि कवनो लिखनीहारे ना मिलत रहले हां। काल्ह रात के बोरसी सुनगवले रहवीं त पांड़े बाबा के नतिनिया बइठ के तापे लगुवे। हमरा खेयाल अउवे कि काहें ना एकरे से लिखवा लीं। कहवीं त ऊ तेयार हो गउवे। कहुवे कि ए इया, घसटेउवा फोनवा लिआईं, ओही से लिख दे तानी। पेन से लिखे के आदत छूटल जाता औ ठंडा से हाथ कठुआ गइल बा। ई कहीं मलिकार कि नीतीश जीउवा एगो अइसन नीमन काम कइले बा कि घंटा-दू घंटा छोड़ के चौबीसो घंटा लाइन गंउवों में रहता। पहिले त कब आइल आ कब गइल बुझाते ना रहे।

ए मलिकार, रउरा से एगो बात पूछे के रहल हा। पांड़े बाबा का दुअरा त रोजे एई पर बतकही होता। जेतना बड़जतिया लोग गुजरात वाला मोदी जी के गरियावत रहल हा, अब कहत बा कि मोदी जी नीमन काम कइले बाड़े। अब पढ़ाई-नौकरी में बड़ जात के लोग के रिजवेशन (रिजर्वेशन) क दिहले बाड़े मोदी जी। कुछ लोग इहो कहत रहुवे कि रिजवेशन से का होई, जब नोकरिये ना मिली। केतने पढ़ल-लिखल इंजीनियर-डाक्टर घूमत बा लोग। मास्टरी के टरेनिंग कइल केतना लोग भरमत बा। सरकार पढ़ाई खातिर पइसा त बांटत बिया, बाकिर पढ़ला के बाद नोकरिये नइखे मिलत। रामचंदरपुर के चनेसर काका के भितभेरवा वाला बड़कू दामाद आइल बाड़े। ऊ बतावत रहुअन कि सरकारी नोकरी केतना दिन से बंद बा। जेकरा नोकरी मिलतो बा, ऊ ठीका पर काम करत बा। पिलसिम (पेंशन) सरकार नवका बहाल लोग के देते नइखे। अइसन हाल में रिजवेशन (रिजर्वेशन) के का मतलब बा।

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हमरा नइखे बुझात मलिकार कि रिजवेशन के अब कवन जरूरत बा। दुनिया में पढ़ल-लिखन गेयानी लोग के रिजवेशन के कवन जरूरत बा। अइसन लोग अपना देश में नोकरी ना मिलला पर अमिरका आ अइसने दोसरा कवनो देस में चल जाता। अपने घरे देखीं ना मलिकार, पढ़ल-लिखल सबे बा। रउरा त अब रिटायर होखे पर अइनी। कवनो रिजवेशन से अबही ले रउरा नोकरी कइनी का। बेटा पढ़-लिख लिहलस त ओकरा कवनो रिजवेशन से नोकरी मिलल बा का। बेटी पढ़ के अपना गोड़ पर खड़ा हो गइली सन, ओकनी के त कवनो रिजवेशन के जरूरते ना परल। दोसरा लोग के रिजवेशन के एतना फिकिर काहें बा।

हमरा त बुझाता मलिकार कि नेतवा लोग के रिजवेशन के नाम पर लड़ावत-भिड़ावत रहतारे सन। एह नाम पर नान्ह जात-बड़ जात अपने लड़ी-कटी आ मरी त ओकनी के नेतागीरी चमकावे के मोका मिल जाई। ओह घरी के बतकही हमरा इयाद बा मलिकार, जब कवनो मंडल के बतकही होत रहे। देश में केतने मार-काट मचल रहे। केतना लोग कटा-मरा गइल। फेर नया पर बड़ जात के रिजवेशन के बतकही शुरू भइल बा। फेर मार-काट मची। नेता लोग के एतने फिकिर बा त सभका के नोकरी देबे के सोचे के चाहीं। एकरा खातिर कल-कारखाना खोले-खोलवावे के चाहीं।

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आज एतने भर मलिकार। नतिनिया लिखत में कई बेर मुंह बिचका भइल। बुझाता रात ढेर हो गइल बा आ ओकरा जाड़ कोड़ले बा।

राउरे, मलिकाइन

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