बिहार में तीर को कमान पर चढ़ाने में जुट गये हैं प्रशांत किशोर

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  • राणा अमरेश सिंह

पटना। देश की सियासत पिछले तीन दशक से सूबों की सियासी गली से होकर दिल्ली पर आरूढ़ हो रही है। संकेत साफ है कि क्षेत्रीय दलों के दल-दल में फंसी कांग्रेस व भाजपा को जब सरकार बनाने की अपनी हैसियत नहीं होगी, तो एक अदद सर्वमान्य पीएम चेहरे की तलाश होगी। उसमें एक नाम सीएम नीतीश कुमार का भी होगा। जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और कुशल रणनीतिकार प्रशांत किशोर ऐसे ही अवसर की तलाश में हैं। इधर संसद में ट्रिपल तलाक और असम में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर जदयू ने भाजपा के विरोध में खड़े होने का ताल ठोंका। इससे पार्टी के सेकुलर फेस की चमक भी बढ़ी है।

सियासत प्रबंधन व जनता की नब्ज की पहचान करने वाले नामों में प्रशांत किशोर शुमार किये जाते हैं। जब से प्रशांत किशोर ने जदयू का दामन थामा है, उस दिन से इस मुहिम को अंजाम देने में वे लग गये हैं। वे नीतीश कुमार को अपना पसंदीदा नेता मानते हैं। इसलिए उन्हें लालकिले की प्राचीर पर खड़े करने की मुहिम में जुटे हैं। हालांकि वे प्रेस कांफ्रेंस में नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को खारिज करते हैं और नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनने की बात कबूलते हैं। सच यह है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं की चाल रणनीतिकार बेहतर समझते हैं।

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चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने पिछले साल सितंबर में ही जदयू की सदस्यता ली और उन्हें सीधे उपाध्यक्ष बना दिया गया। सबसे पहले चुनाव में अहम रोल अदा करने वाले युवाओं को उन्होंने जदयू से जोड़ा, ताकि पार्टी संगठन में जोश का संचार कर नीतीश कुमार के कामों-प्रयासों को जनता तक पहुंचाया जा सके। प्रबंधन में महारथ हासिल करने वाले प्रशांत किशोर टुकड़े-टुकड़े में बंटे क्षेत्रीय दलों से संपर्क साध रहे हैं। उन्हें मालूम है कि राहुल-प्रियंका के पसंदीदा नेता नीतीश कुमार है। कांग्रेस मजबूरी में राजद से बंधी है। हालिया सर्वेक्षण से पता चलता है कि गैर भाजपा व कांग्रेस की सरकार भी बन सकती है। ऐसे में प्रशांत किशोर की कोशिश यही होगी होगी कि गैर भाजपा सरकार बनने की नौबत आने पर वे नीतीश को प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर सकें।

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प्रशांत किशोर का मानना है कि नीतीश कुमार एक सेकुलर फेस हैं, जिन्हें मुसलमान दिल से स्वीकार करते हैं। वहीं वे बिहार को गुजरात की तरह विकास के रास्ते ले आये हैं। सूबे की विकास दर 11.3 फीसदी बताना सरकार की उपलब्धि मानी जायेगी। नरेंद्र मोदी की तरह नीतीश कुमार ने भी बिहार में शराबबंदी की। अब इसे देशभर में लागू करने की बात कहते हैं। दहेज उन्नमूलन की दिशा में निरंतर काम कर रहे हैं। नीतीश कुमार ने देश भर में बढ़ते परिवारवाद और वंशवाद के विरोध का राग अलाप कर युवाओं को खींचा है।

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मंगलवार को जदयू कार्यालय में बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डा. रामजतन सिन्हा के पार्टी में शामिल होने पर आयोजित स्वागत समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर युवा आगे नहीं आएंगे तो राजनीति पर चंद परिवारों का ही कब्जा रहेगा। नतीजा बिना पारिवारिक पृष्ठभूमि के साधारण लोगों का राजनीति में आना दूभर हो जाएगा। अगर युवा पीढ़ी आगे नहीं आई तो राजनीति का दायरा सिमट कर रह जाएगा।

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नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले उद्धव ठाकरे और नीतीश की पार्टी के बीच संबंधों को ठीक करने में भी प्रशांत किशोर लगे हैं, ताकि समय पर उसे कैश किया जा सके। प्रशांत किशोर ने ठाकरे से अपनी मुलाकात का कारण बिहार के लोगों के साथ मुंबई में हो रही मारपीट और हिंसा बता कर हाथ झटक लिया, जबकि हकीकत इसके विपरीत है। उन्होंने कहा, ‘इस मुलाकात में महाराष्ट्र में बिहार के लोगों की सुरक्षा को लेकर बातचीत हुई। मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि बिहार में महाराष्ट्र के लोगों की सुरक्षा के लिए जेडीयू हर कोशिश करेगी और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।

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हालांकि प्रशांत किशोर साफ कर चुके हैं कि नीतीश कुमार देश के बड़े नेता हैं। कोई भी अगर बिहार जैसे बड़े राज्य पर 15 साल तक शासन करता है तो उसका कद बड़ा हो जाता है, लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं। लेकिन प्रशांत की कोशिशें नीतीश को और आगे ले जाने की कहानी बयां करती हैं।

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