वाराणसी में तानसेन की तलाश में भटक रहा एक विदेशी वैज्ञानिक

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न्यूज़ीलैण्ड के बेटली पहुंचे तुलसीघाटजोह रहे हैं ध्रुपद उत्सव की बाट 

  • हरेन्द्र शुक्ला 

वाराणसी। विज्ञान के दुरूह सूत्रों की तलाश में वैज्ञानिकों को भटकते तो बहुत देखा है, पर आज सरेराह चलते-चलते बस यूं ही तुलसीघाट पर मुलाकात हो गई न्यूज़ीलैण्ड के फोटोनिक्स वैज्ञानिक थामस बेटली से, जो सुरों के मर्मज्ञ गोस्वामी तुलसीदास की साधना स्थली तुलसी तीर्थ पर  संगीत के शलाका पुरुष तानसेन की स्मृतियों को तलाश रहे थे। संगीत के पर्याय तानसेन की तलाश में हिंदुस्तान के पारंपरिक नगरों, गांवों की खाक छान रहे बेटली ने बताया कि काशी संगीत का पुरातन गढ़ है। मुझे यकीन है कि मैं यहां से तानसेन की बावस्तगी का कोई न कोई सूत्र ढूंढ लूंगा।  प्रोफेसर बेटली ने इस दौरानसंकटमोचन मंदिर के महंत, आईआईटी बीएचयू इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के अध्यक्ष और दिग्गज पखावजी प्रोफेसर विशंभरनाथ जी से भी भेंट की और उन्हें अपने मंतव्य का साझीदार बनाया।

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संगीत को लेकर विज्ञान का यह अध्येता कितना उत्कंठित है, इसका अंदाजा इसी से लगाया  जा सकता है कि उन्होंने बातचीत के दौरानकाशी के पारंपरिक उत्सव ध्रुपद मेले को लेकर अपनी जिज्ञासाएं महंत जी से साझा कीं और ध्रुपद मेले में सहभागी होने की अपनी अदम्य इच्छा की जानकारी दी ।

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प्रोफ़ेसर मिश्र ने उन्हें सादर ध्रुपद उत्सव में शामिल होने का न्योता दिया और आश्वस्त किया कि आयोजन की तिथियों के दौरान पुन: औपचारिक रूप से निमंत्रित किया जाएगा। उम्मीद  करनी चाहिए कि अगले ध्रुपद मेले में बेटलीजरूर शामिल होंगे। शुभेक्षा यह भी की कि तब तक उन्हें अपने इष्ट की तलाश पूरी हो चुकी होगी।

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