राम मनोहर लोहिया विश्व पत्रकारिता पर सजग दृष्टि रखते थे
कृपाशंकर चौबे
राम मनोहर लोहिया ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने समाजवाद की स्थापना के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए पत्रकारिता को भी उपकरण...
IMF की रिपोर्ट ने भारत के लिए जगाई उम्मीद की किरण
संजय पाठक
IMF की रिपोर्ट ने भारत के लिए उम्केमीद की किरण जगाई है। वैसे किरण अभी धुंधली है, लेकिन आने वाले समय में...
मलिकाइन के आइल पातीः का बरखा जब कृषि सुखानी
पावं लागीं मलिकार।
राउर पाती के बाट जोहत आंख सिरा गइल। अइसन जनि करीं, मलिकार। रउरा त जनबे करीले कि सूतत-उठत रउरे चेहरा दिमाग में...
गांव की संस्मरण कथा- सूरजमुखी के पीछे तितली और टोकरी में इन्द्रधनुष
गांव की संस्मरण कथा की शृंखला शुरू की है वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार अरविंद चतुर्वेद ने। गांव की संस्मरण कथा की एक कड़ी आप...
सीता ने पृथ्वी से अपने को अपनी गोद में ले लेने की जब प्रार्थना की
गोपेश्वर सिंह
दूरदर्शन पर चल रहे हिंदी धारावाहिक 'उत्तर रामायण' की कल रात अंतिम कड़ी देखकर मन अत्यंत भावुक हो गया। अपनी पवित्रता की...
हिंदी पत्रकारिता के पितामह गणेश शंकर विद्यार्थी ने दी थी सीख
प्रवीण बागी
हिंदी पत्रकारिता के पितामह गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपने अखबार प्रताप के पहले अंक में पत्रकारिता की अवधारणा प्रस्तुत की थी। वह...
अरुण कमल गहरे अर्थ में प्रतिबद्ध कवि, बेहतर जीवन की आकुलता
कृपाशंकर चौबे
अरुण कमल गहरे अर्थ में प्रतिबद्ध कवि हैं और उनकी प्रतिबद्धता की जड़ें ठेठ भारतीय आबोहवा और जमीन में हैं। जो सामने...
धर्मा प्रोडक्शन के संस्थापक थे करण जौहर के पिता यश जौहर
नवीन शर्मा
धर्मा प्रोडक्शन के संस्थापक थे करण जौहर के पिता यश जौहर। करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन हाउस ने एक से बढ़ कर...
रामदेव शुक्लः व्याख्यात्मक आलोचना के अंतिम स्तंभ
रामदेव शुक्ल व्याख्यात्मक आलोचना के अंतिम स्तंभ हैं। ‘बिहारी- सतसई का पुनर्पाठ’ उनकी नवीनतम प्रकाशित आलोचना-कृति है। वे अच्छे कथाकार भी हैं। ‘बिहारी- सतसई...
कसम से तीसरी कसम तक के मायने समझने के लिए इसे पढ़ें
भारत यायावर
कसम क्या है? एक प्रण,एक संकल्प, एक प्रतिज्ञा, एक वचन, एक आत्मसंयम की उद्घोषणा! कुछ लोग बात-बात पर कसम खाते हैं। कुछ...




















