गांव की संस्मरण कथा की शृंखला शुरू की है वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार अरविंद चतुर्वेद ने। गांव की संस्मरण कथा की एक कड़ी आप पढ़ चुके हैं।

गांव की संस्मरण कथा- सूरजमुखी के पीछे तितली और टोकरी में इन्द्रधनुष

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गांव की संस्मरण कथा की शृंखला शुरू की है वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार अरविंद चतुर्वेद ने। गांव की संस्मरण कथा की एक कड़ी आप...

20 लाख शब्द लिख चुके हैं पत्रकार व शिक्षक बी.के. मिश्र

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सुरेंद्र किशोर   कोई व्यक्ति लगातार 47 साल से मुख्य धारा की पत्रकारिता में हो और उसके  लेखन को लेकर कभी कोई विवाद न हो,तो...

और आखिरकार कारोबार खबर की अकाल मौत हो गयी

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पत्रकार ओमप्रकाश अश्क की प्रस्तावित पुस्तक- मुन्ना मास्टर बने एडिटर- की अगली कड़ी पेश है। यह उस दौर की बात है, जब श्री अश्क...
कृपाशंकर चौबे डॉ. अम्बेडकर ने चार फरवरी 1956 को साप्ताहिक ‘प्रबुद्ध भारत’ निकाला। हर अंक में पत्रिका के शीर्ष की दूसरी पंक्ति में लिखा होता था- डा. अम्बेडकर द्वारा प्रस्थापित।

डॉ. अम्बेडकर ने ‘प्रबुद्ध भारत’ निकाला और समाज में एकता पर दिया जोर

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कृपाशंकर चौबे डॉ. अम्बेडकर ने चार फरवरी 1956 को साप्ताहिक ‘प्रबुद्ध भारत’ निकाला। हर अंक में पत्रिका के शीर्ष की दूसरी पंक्ति में लिखा...

विज्ञान की नजर में भारतीय भाषाएं और सर्वांगीण स्वास्थ्य

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डॉ. मनोहर भण्डारी पढ़ने में यह अटपटा और अविश्वसनीय लगेगा कि भारतीय भाषाएं पढ़ने से सर्वांगीण स्वास्थ्य का क्या कोई नाता भी हो...

नवरात्र पर विशेषः जगदम्बा मंदिर, जहां होती हैं भक्तों की मुरादें पूरी

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लखीसराय। बड़हिया का विख्यात मां बाला त्रिपुरसुन्दरी जगदम्बा मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था और विश्वास का केन्द्र बना हुआ है। ऐसी मान्यता है कि मां...

मिसेज इंडिया यूनिवर्स में मिसेज हम्बल बनीं बिहार की सपना

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पटना। बुरा वक्त तो सबका आता हैं। कोई बिखर जाता है, कोई निखर जाता है। वक्त सबको मिलता है जिंदगी बदलने के लिये। जिंदगी...

जयंती पर विशेषः ओशो आधुनिक युग का  विद्रोही संन्यासी

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नवीन शर्मा आचार्य रजनीश जो बाद में ओशो के नाम से जाने जाते हैं, वे आधुनिक भारत की सबसे चर्चित और और विवादास्पद आध्यात्मिक...

जयंती पर विशेषः तमस में उजियारे का नाम भीष्म साहनी

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नवीन शर्मा भीष्म साहनी हिंदी साहित्यकारों में विशिष्ट स्थानीय रखते हैं। सात अगस्त 1915 को रावलपिंडी में इनका जन्म हुआ था। वे हिन्दी फ़िल्मों...
मुक्तिबोध ने 1950 में ही इस बात को अच्छी तरह ताड़ लिया था कि भारत की सामाजिक रूढ़िवादी ताकतें आने वाले समय में राम की राजनीति कर सकती हैं।

मुक्तिबोध को पता था कि रूढ़िवादी राम की राजनीति कर सकते हैं

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मुक्तिबोध ने 1950 में ही इस बात को अच्छी तरह ताड़ लिया था कि भारत की सामाजिक रूढ़िवादी ताकतें आने वाले समय में राम...