भाजपा पर असहिष्णुता का आरोप, पर खुद कितनी सहिष्णु है माकपा?

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  • के विक्रष्णुम राव

आरोप लगता रहा भाजपा पर कि वह असहिष्णुता से लबरेज है। अब इसी रोग ने संक्रामक बनकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को ग्रस लिया है। अर्थात भाजपा के कीटाणु माकपा में प्रवेश कर गये। नतीजे में पूर्व विधायक, माकपा की शक्तिशाली केन्द्रीय समिति के सदस्य तथा महाराष्ट्र इकाई के राज्य सचिव नरसय्या आदम को माकपा से निलंबित कर दिया गया है। कारण बस इतना कि नरसय्या ने अपने भाषण में नरेंद्र मोदी को “प्रिय” कहा और भाजपायी मुख्यमंत्री (देवेन्द्र फड़नवीस) को “बहादुर” शब्द से नवाजा। नरसय्या ने आशा प्रकट की कि 2022 को मई दिवस पर मोदी जी फिर प्रधानमंत्री बन कर सोलापुर पधारेंगे। यह पूरा माजरा है 9 जनवरी का है, जब बीड़ी मजदूरों के लिये 30 हजार मकानों (प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत) की नींव मोदी ने रखी थी। तीन वर्षों में मकानों के तैयार हो जाने का लक्ष्य है। माकपा नेता ने मंच से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया और आशा की कि इन मकानों को आवंटित भी नरेंद्र मोदी के ही हाथों तीन वर्षों बाद हो। अर्थात नरेंद्र मोदी भाजपायी प्रधानमन्त्री बने रहें।

नरसय्या के इस बयान का कारण भी समुचित है। विगत दो दशकों से सोलापुर के बीड़ी मजदूरों के आवास हेतु माकपा नेता प्रयासरत रहे। मगर हर बार सुशील कुमार शिंदे की पत्नी, जिन्हें नरसय्या विधानसभा चुनाव में पराजित करते रहे, अड़ंगा लगाती रहीं। बनी-बनायी योजना ठप्प होती रही। कांग्रेसी वायदे भी खूब हुए।

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सुशील कुमार शिन्दे मनमोहन सिंह के गृह मंत्री रहे, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे, उपराष्ट्रपति का निर्वाचन लड़ चुके हैं। अपना प्रभाव इस्तेमाल कर शिन्दे महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार द्वारा बीड़ी मजदूर आवास योजना को निरस्त अथवा विलंबित लगातार कराते रहे। नरसय्या के दिल में इसलिए अपार दर्द उठता रहा। तब स्वयं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मनमोहन सिंह चुप्पी साधे रहे। अचरज यही कि इसी दौर में माकपा की मदद से कांग्रेस केंद्र में सत्तासीन रही थी। तुलना में इस जनवरी माह में भाजपायी प्रधानमन्त्री और मुख्यमंत्री ने त्वरित गति से योजना स्वीकृत करायी और चालू भी कर दी।

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इस पूरे मसले का एक पहलू यह भी है कि माकपा के दो दिग्गज नेता महासचिव सीताराम येचुरी तथा पूर्व महासचिव प्रकाश करात एक दूसरे को नीचा दिखाने के सतत संघर्ष में राज्य इकाइयों को मटियामेट करने में ओवरटाइम करते रहे हैं। नरसय्या के निलंबन को करात गुट ने कराया, जबकि वे येचुरी के दाहिने हाथ हैं। करात का प्रयास था कि इस वरिष्ठ माकपा श्रमिक नेता को निष्कासित कर दिया जाये। येचुरी और नरसय्या तेलुगुभाषी हैं। अर्थात पार्टी में अब आतंरिक लोकतंत्र, विरोधी के प्रति सहिष्णुता, मतभेद से मनभेद न पैदा कराना जैसे भाव लुप्त हो गये हैं। (फेसबुक वाल से)

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