बर्थडे स्पेशलः हिंदी सिनेमा के सुरीले गीतकार येसुदास

0
556
  • नवीन शर्मा

के.जे. येसुदास हिंदी फिल्मों के सबसे सुरीले गायकों में शामिल हैं। वे इस लिहाज से खास हैं कि गैर हिंदी भाषी होने के बाद भी वे इतने शुद्ध उच्चारण के साथ हिंदी गीत गाते हैं कि आप पकड़ नहीं पाएंगे कि कोई गैर हिंदी भाषी गायक गा रहा है। येसुदास का जन्म 10 जनवरी, 1940 को केरल के फोर्ट कोच्चि में हुआ था। उनके पिता अगस्टिन जोसेफ प्रसिद्ध मलयालम शास्त्रीय संगीतकार और नाटक करनेवाले अभिनेता थे। येसुदास अभी 4-5 साल ही थी जब ऑगस्टीन जोसेफ को ये लग गया कि उनके बेटे में संगीत के बीज हैं। उन्होंने अपने बेटे को सिखाना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे बेटा बड़ा हुआ, उन्होंने उसे बस एक ही सीख दी कि उसे आने वाले तमाम सालों तक एक बात को छोड़ कर और किसी चीज की फिक्र नहीं करनी है। उसकी पढ़ाई अच्छी हो या ना हो, वो अच्छी तरह अंग्रेजी बोल पाए या ना बोल पाए, बस उसे संगीत सीखते रहना है। वहां किसी तरह की गड़बड़ नहीं होनी चाहिए। इसके बाद त्रिपुनित्तरा में संगीत अकादमी में दाखिल हो गए। सात साल की उम्र में फोर्ट कोची में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में संगीत के लिए स्वर्ण पदक जीता। उन्हें असली पहचान मिली 70 के दशक के आखिरी सालों में. फिल्म थी- छोटी सी बात. बासु चटर्जी की उस फिल्म का संगीत सलिल चौधरी ने दिया था। इसमें उन्होंने येसुदास को मौका दिया। उनका गाया गाना सुपरहिट हिट हुआ। गाने के बोल थे- जानेमन जानेमन तेरे दो नयन, चोरी चोरी लेकर गए देखो ये मेरा मन।

येसुदास को प्रख्यात संगीतकार चेम्बई वैद्यनाथ भागवतार ने प्रशिक्षण दिया। कर्नाटक संगीत के विशेषज्ञ होने के साथ वे हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में भी कुशल हैं। उन्होंने सुंदर गीतों को प्रस्तुत करने के लिए दोनों कर्नाटक संगीत और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को मिलाया, उन्होंने अपने लंबे और शानदार कैरियर के दौरान विदेशी भाषाओं रूसी, अरबी, लैटिन और अंग्रेजी में गाने भी गाए।

- Advertisement -
फिल्मों में पार्श्व गायन

1960 के दशक के मध्य में येसुदास ने प्लेबैक गायन शुरू किया। सबसे पहले उन्होंने कोलीवुड की फिल्मों में गायन शुरू किया, और कुछ समय बाद उन्होंने 1970 के दशक के मध्य के दौरान बॉलीवुड में प्लेबैक गायन भी शुरू किया। सोवियत संघ सरकार द्वारा डॉ. के.जे. येसुदास को पूर्व सोवियत संघ में संगीत समारोहों में प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया गया था। 1970 में उन्होंने केरल के संगीत नाटक अकादमी का नेतृत्व किया, जो अकादमी के इतिहास में पद धारण करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे।

येसुदास की जोड़ी राजकमल के साथ भी  सुपरहिट साबित हुई । इस जोड़ी ने सावन को आने दो फिल्म में यादगार संगीत दिया। इसके बाद 1981 में सई परांजपे ने फिल्म बनाई- चश्मेबद्दूर। इस फिल्म को अपार कामयाबी मिली थी। इस फिल्म में कहां से आए बदरा और काली घोड़ी ये दो गाने येसुदास ने  हेमंती शुक्ला ने गाया था। यूं तो हेमंती बंगाली गायिका थीं लेकिन उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए भी कुछ गिने चुने गाने गाए थे।

रवींद्र जैन ने पहुंचाया शोहरत की बुलंदियों पर

येसुदास को बतौर गायक रवींद्र जैन के संगीत से भी काफी नाम मिला। फिल्म चित्तचोर के सदाबहार गीत येसुदास और रवींद्र जैन की जोड़ी का शानदार उदाहरण हैं। गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा गीत आज भी लोग सुनते हैं। निर्देशक बासु चटर्जी की फिल्मों में येसुदास ने काफी हिट गाने गाए। सुरमई अंखियों में नन्हा मुन्ना एक सपना दे जा रे, जब दीप जले आना…जब शाम ढले जाना, गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा मैं तो गया मारा, तू जो मेरे सुर में सुर मिला ले, आज से पहले आज से ज्यादा खुशी आजतक नहीं मिली, मधुबन खुशबु देता है, चांद जैसे मुखड़े पे बिंदिया सितारा, मोहब्बत बड़े काम की चीज है, कोई गाता मैं सो जाता आदि।

यह भी पढ़ेंः जयंती पर नमनः अदभुत अविस्मरणीय अब्दुल कलाम

अपनी म्यूजिक कंपनी शुरू की

80 के दशक में येसुदास ने अपनी एक म्यूजिक कंपनी भी शुरू की। उनकी प्लेबैक सिंगिग चलती रही। 1970 में, येसुदास ने चेन्नई में थारंगीनी संगीत कंपनी की स्थापना की। यह स्टीरियो प्रभाव के साथ मलयालम फिल्म गाने दर्ज करने का एक अग्रणी प्रयास था। डॉ. के.जे. येसुदास और उनकी पत्नी प्रभा वर्तमान में चेन्नई और फ्लोरिडा, यू.एस.ए. में रहते हैं।

यह भी पढ़ेंः आरडी बर्मन ने दिया हिंदी फिल्म संगीत को नया मुकाम

सात बार मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

येसुदास की गायकी लोकप्रिय तो थी ही उनकी गायकी को सम्मान भी मिला। उन्होंने 7 बार नेशनल अवॉर्ड जीता। 5 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता। संगीत की दुनिया के और कई दूसरे बड़े सम्मानों से उन्हें नवाजा गया। भारत सरकार ने पद्मश्री के बाद पद्मभूषण और पद्मविभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा।

यादगार गीत
  • जानेमन-जानेमन तेरे दो नयन – छोटी सी बात (1975)
  • गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा – चितचोर (1976)
  • जब दीप जले आना – चितचोर (1976)
  • तू जो मेरे सुर में – चितचोर (1976)
  • का करूँ सजनी – स्वामी (1977)
  • मधुबन खुशबू देता है – साजन बिना सुहागन (1978)
  • इन नजारों को तुम देखो – सुनैना (1979)
  • दिल के टुकड़े-टुकड़े करके – दादा (1979)
  • चाँद जैसे मुखड़े पे बिंदिया सितारा – सावन को आने दो
  • कहाँ से आए बदरा – चश्मेबद्दूर (1981)
  • सुरमई अखियों में – सदमा (1983)

यह भी पढ़ेंः झारखंड ने 4 साल में कर दिया कुछ ऐसा, जिस पर इतरा रहे सीएम

- Advertisement -