पशुपालन से आय को बढ़ावा देने की बिहार सरकार ने बनायी योजना

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पटना। बिहार के सहकारी तंत्र के अंतर्गत महेशखुंट, खगड़िया में एक 300 मिट्रीक टन दैनिक क्षमता के पशु आहार संयंत्र का 36.23 करोड़ की लागत से निर्माण किया जाना है। भागलपुर जिला स्थित 60 हजार लीटर दैनिक क्षमता की डेयरी की क्षमता को 2 लाख लीटर दैनिक क्षमता में उन्नयित किया जाएगा। राज्य के सभी जिलों में कुल 3027 स्वचालित डाटा प्रोसेसर आधारित दुग्ध संग्रहण इकाईयों की स्थापना की गई है, इससे दुग्ध समितियों में उत्पादकों द्वारा आपूर्तित दूध के वजन और फैट एवं वसा रहित ठोस स्वचालित ढंग से हो सकेगी। राज्य के गांवों में दुग्ध समितियों के उत्पादकों से प्राप्त दूध को ठंडा कर उसकी गुणवत्ता बनाए रखने के उद्देश्य से 1000 लीटर दैनिक क्षमता के 20 एवं 500 क्षमता के 10 बल्क मिल्क कूलरों की स्थापना की गई है। राज्य के दुधारु पशुओं को पशु पालकों के दरवाजे पर ही कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नेशनल प्रोग्राम फॉर बोभाईन ब्रीडिंग के तहत 725 मैत्री केंद्रों की स्थापना की गई है।

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बिहार सरकार ने पशुधन संबंधी धन संबंधी आवश्यकताओं एवं इसके राष्ट्रीय लक्ष्य़ को देखते हुए 15 वर्षों का पशु प्रक्षेत्र विश्लेषण करने के उपरांत 5 वर्षीय लाइव स्टॉक मास्टर प्लान तैयार किया है। पशुपालन से अब सिर्फ दूध का ही संबंध नहीं है बल्कि गाय के गोबर और गोमूत्र से बने जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट, वायो पेस्टिसाइट्स जैसे बायो फर्टिलाइजर का निर्माण कर जैविक खेती में इसका उपयोग किया जा रहा है। किसानों को दूध से होने वाली आमदनी के अलावा गोबर और गोमूत्र से भी अच्छी आमदनी की गुंजाइश होगी।

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अंतर्राष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की टीम एवं पशुधन प्रक्षेत्र से संबंधित विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है। इस मास्टर प्लान का उद्देश्य पशु उत्पाद से संबंधित भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति करना है। साथ ही गरीबी घटाना एवं आर्थिक विकास ग्रामीण लोगों के खाद्य एवं पोषण की सुरक्षा में सुधार, व्यापारिक क्षमता बढ़ाना, औद्योगिककरण एवं रोजगार सृजन में योगादन एवं सामाजिक समरूपता लाना है। इसके लिए कॉम्फेड की, पशुपालन प्रक्षेत्र की एवं मत्स्य प्रक्षेत्र की कई योजनाएं चलायी जानी है।

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कॉम्फेड द्वारा उत्पादित दूध के पावडर को छोटे पैक में उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने हेतु बिहारशरीफ स्थित नालंदा डेयरी में मशीनों की स्थापना की गई है। कॉम्फेड की बिहारशरीफ डेयरी संयंत्र द्वारा दूध के अतिरिक्त एप्पल ड्रिंक को टेट्रापैक में उपलब्ध कराने की क्षमता प्राप्त कर ली गई है। डेयरी संयंत्रों द्वारा दूध को तत्काल 1 डिग्री तक ठंडा कर देने से उसकी गुणवत्ता को लंबी अवधि तक संरक्षित रखा जा सकता है, जो लंबी दूरी तक परिवहन में सहायक साबित होता है। इसकी तीन इकाइयों की स्थापना नेशनल मिशन फॉर प्रोटीन सप्लिमेंट के तहत की गई है। दूध की गुणवत्ता को तीव्रतम गति से अत्याधुनिक तरीके से जांच करने के लिए स्वचालित मिल्को स्कैनर की 8 इकाईयों की स्थापना की गई है। इससे दूध के घनत्व, फैट, प्रोटीन, वसा रहित ठोस, लैक्टोज़, केसिन, कुल ठोस, कुल एसीडिटी, साइट्रिक एसिड, फ्रीड फैटी एसिड तथा यूरिया इत्यादि की जांच की जाती है।

सहरसा, मधेपुरा एवं पटना जिलों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत 4 प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय का उद्घाटन हाल ही में किया गया है। राज्य के 17 जिलों पटना, बक्सर, कैमूर, गया, औरंगाबाद, अरवल, भागलपुर, मुंगेर, जमुई, सहरसा, पूर्णिया, किशनगंज, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, सीवान, पश्चिम चंपारण एवं दरभंगा में प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालयों का शिलान्यास भी किया गया। इससे पशु चिकत्सालय एवं औषधालयों की स्थापना एवं सुदृढ़ीकरण की योजना को बल मिलेगा। समेकित बकरी विकास योजना एवं लेयर मुर्गी फार्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य के विभिन्न जिलों में 13 नवनिर्मित मत्स्य बीज हेचरी का उद्घाटन किया गया है। पटना जिले के मसौढ़ी एवं बख्तियारपुर में फीश फीड मिल का उद्घाटन किया गया है।

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विगत दो वर्षों में समग्र गब्य विकास योजनानंतर्गत राज्य के समान वर्ग के लाभुकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर 3916 डेयरी इकाई तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लाभुकों को 66.66 प्रतिशत अनुदान पर क्रमशः 1272 डेयरी इकाई एवं 376 डेयरी इकाई की स्थापना कर अनुदान वितरित किया गया है।

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