कोलकाता की पहचान और भक्तों की जान हैं बाबा भूतनाथ !

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कोलकाता की पहचान और भक्तों की जान हैं बाबा भूतनाथ, यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी। भूतनाथ के दर्शन हर कोई चाहता है।
कोलकाता की पहचान और भक्तों की जान हैं बाबा भूतनाथ, यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी। भूतनाथ के दर्शन हर कोई चाहता है।
  • शिखर चंद जैन
शिखर चंद जैन
शिखर चंद जैन

कोलकाता की पहचान और भक्तों की जान हैं बाबा भूतनाथ, यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी। भूतनाथ के दर्शन हर कोई चाहता है। कल-कल बहती गंगा और गंगा को सिर पर धरने वाले बाबा भूतनाथ कोलकाता शहर की खास पहचान हैं। गंगा का किनारा, नीमतल्ला महाश्मशान और बाबा भूतनाथ। बगल में ही महाकवि कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर का समाधि स्थल और दूसरे किनारे पर बाँधाघाट का नया मंदिर यानी शिवमंदिर, जिसमें चांदी की परत चढ़े शिवलिंग, भगवान शिव की अत्यंत विशाल मूर्ति, जिसका उद्घाटन हमारे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था, द्वादश ज्योतिर्लिंग की प्रतीकात्मक मूर्तियाँ, बाबा श्याम, राणीसती दादी व अन्य देव, सब साथ-साथ एक ही जगह हों तो उस स्थान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए बड़ाबाजार से सटे पोस्ता बाजार के बिलकुल नजदीक बसा यह पवित्र स्थान किसी महातीर्थ से कम नहीं है।

हुगली नदी के तट पर बना बाबा भूतनाथ का मंदिर कभी श्मशान के बीच में हुआ करता था। यहां कभी चिता की आग ठंडी नहीं पड़ती थी। गंगा के किनारे आज भी मंदिर के एक तरफ बिजली से और दूसरी तरफ लकड़ियों पर शव का दाह संस्कार किया जाता है। नाम ही काफी है भूतों के नाथ बाबा भूतनाथ। नीमतल्ला स्थित इस मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों भक्त पहुंचते हैं। सोमवार को तो यह संख्या हजारों में तब्दील हो जाती है।

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गंगा का तट
गंगा का तट

शिवरात्रि के दिन और श्रावण मास में यहां मेले जैसा माहौल बना रहता है। हमेशा अलग-अलग तरह की झांकी सजाई जाती है और बाबा का अलौकिक श्रृंगार किया जाता है। बताया जाता है कि यह शिवलिंग करीब 200 साल पुराना है। पहले यह स्थान श्मशानेर बाबा (श्मशान के बाबा) के नाम से जाना जाता था। लेकिन आज यहां बाबा का भव्य मंदिर है, जहां भूतनाथ के शिवलिंग के साथ गणेश, पार्वती, हनुमान, महाकाल भैरव और नंदी की भी पूजा होती है। रोज सुबह चार बजे बाबा की मंगला आरती होती है। उसी समय से मंदिर का दरवाजा खुल जाता है।

बाबा भूतनाथ की आरती शाम को आज भी चिता की आग से की जाती है। लोग बताते हैं कि यह परंपरा 200 साल पुरानी है, जो आज भी कायम है। सुबह-शाम आरती के लिए आग नीमतल्ला श्मशान घाट से लाई जाती है।

कुछ भक्तों से बातचीत करने पर पता चला कि बाबा के कई  भक्त रोजाना सुबह और कार्यालय से आते समय बाबा भूतनाथ का दर्शन जरूर करते हैं। कई ऐसे भक्त हैं, जो रोजाना प्रात: 4 बजे गंगा स्नान के साथ बाबा का अभिषेक करते हैं। कई ऐसे भी भक्त हैं, जो बाबा का दर्शन करने के बाद ही अपने कार्यालय जाते हैं। इसके अलावा बाबा के भक्तों में वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने सप्ताह का कोई भी एक दिन निर्धारित कर रखा है। उस दिन कोई भी जरूरी कार्य हो, उसे निपटाने के बाद या उससे पहले बाबा के दर्शन करने के बाद ही अपने घर जाते हैं।

वैसे सोमवार भगवान शंकर का दिन माना जाता है, लेकिन श्मशान में वास करने वाले बाबा भूतनाथ को मानने वाले अपनी सुविधा और आस्था के मुताबिक़ शनिवार और रविवार को भी बाबा भूतनाथ के दरबार में हाजिरी देते हैं। कोलकाता-हावड़ा के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में कोई काला टीका लगाये व्यक्ति दिख जाता है तो सामने वाले के मुंह से अनायास ही निकल पड़ता है- बाबा भूतनाथ के दर्शन करके आ रहे हैं क्या?

बाबा द्‌वारा किये गये एक-एक चमत्कार सुनने को मिलते हैं। इसमें सबसे बड़ा चमत्कार पुत्र रत्न की प्राप्ति, दूसरा सबसे बड़ा चमत्कार डॉक्टर द्वारा जवाब देने के बाद भी रोगी का स्वस्थ हो जाना, तीसरा सबसे बड़ा चमत्कार मांगलिक होने के बावजूद शादी होना और सफल वैवाहिक जीवन, चौथा चमत्कार व्यवसाय में बढ़ोत्तरी, पांचवां चमत्कार संकल्प पर आधारित अन्न-धन का भंडार लगना और सुखी परिवार होना। और जिनको कुछ नहीं मिला, वे भी बाबा से दुखी नहीं होते हैं। उनका कहना है- बाबा के घर देर है अंधेर नहीं। बाबा ने बहुतों को फर्श से अर्श पर पहुंचाया है।

बाबा भूतनाथ का मंदिर ऐसी जगह है, जहां दर्शन करने के लिये ही विशेष रूप से ही जाया जायेगा। राह चलते दर्शन हो जाये, यह संभव नही है। क्योंकि  यह मंदिर कोलकाता के पश्चिमी छोर यानी गंगातट पर शमशान के पास स्थित है। तभी तो बाबा के भक्त कहते हैं- श्मशानों के वासी हो, भूतों का है साथ/ तेरा गंगा किनारे डेरा ओ बाबा भूतनाथ!

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