बिहार में किसी भी वक्त बिखर सकता है विपक्ष का महागठबंधन

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राहुल गांधी व तेजस्वी यादव की फाइल फोटो
राहुल गांधी व तेजस्वी यादव की फाइल फोटो

पटना। बिहार में किसी भी वक्त बिखर सकता है विपक्ष का महागठबंधन। राजद बुरे वक्त का शिकार है। झारखंड में अन्नपूर्णा देवी के बाद गिरिनाथ सिंह भी भाजपा के हो गये। बिहार में उसका गठबंधन तार-तार होने की हालत में पहुंच गया है। कांग्रेस से अनबन को ले संकेत तो ये मिल रहे हैं कि किसी भी वक्त बिहार में बिखर सकता है महागठबंधन।

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बिहार में राजद के नेतृत्व में बने विपक्षी दलों के महागठबंधन के बिखरने की जमीन तैयार हो चुकी है। वजह बनेंगी लोकसभा की दरभंगा, बेगूसराय समेत कई सीटें। कांग्रेस की बिहार इकाई के नेताओं का दर्द दिल्ली में अपने आलाकमान के सामने छलक उठा। जमीनी हकीकत जानने के बाद आलाकमान ने उत्तर प्रदेश की राह अपनाने की अनौपचारिक तैयारी कर ली है। सिर्फ औपचारिक घोषणा बाकी रह गयी है।

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कांग्रेस की बिहार इकाई के कुछ नेताओं पर लालू प्रसाद से मिल कर खेल बिगाड़ने का आरोप है। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि बेगूसराय में भाकपा के उम्मीदवार कन्हैया कुमार को महागठबंधन समर्थन दे, लेकिन राजद ने अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी। दरभंगा सीट पर अब्दुल बारी सिद्दीकी को उतार दिया, जहां से टिक्ट की प्रत्याशा में कीर्ति झा आजाद भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए हैं। ऐसी कई सीटें हैं, जिन्हें लेकर महागठबंधन में घमासान मचा है।

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घमासान राजद सुप्रीमो लालू के घर में भी मचा है। अव्वल गुरुवार को प्रत्याशियों की घोषणा के लिए राजद ने प्रेस कांफ्रेस बुलाया, पर अगले दिन के लिए टाल दिया। इसी दौरान लालू के लाल तेज प्रताप यादव ने अलग पार्टी बना कर उम्मीदवार घोषित करने की बात कह दी। यानी महागठबंधन के अगुआ दल में ही अभी घमासान मचा है। सहयोगी कांग्रेस की नाराजगी अलग है। चुनाव से पहले ही भारी उथल-पुथल के दौर से महागठबंधन गुजर रहा है।

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