बिहार, बंगाल समेत देशभर के विपक्षी दलों में मचा है घमासान

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विपक्षी एकजुटताः फाइल फोटो
विपक्षी एकजुटताः फाइल फोटो
  • मिथिलेश कुमार सिंह
मिथिलेश कुमार सिंह
मिथिलेश कुमार सिंह

नयी दिल्ली। बिहार, बंगाल समेत देशभर के विपक्षी दलों में मचा है घमासान। भाजपा को लोकसभा में मिला भारी बहुमत विपक्षी दलों पर भारी पड़ रहा है। विपक्षी खेमे में आरोप-प्रत्यारोप और जोड़-तोड़ शुरू है। भाजपा को इसके लिए कोई मशक्कत भी नहीं करनी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश में मायावती और अखिलेश यादव की राहें जुदा हो चुकी हैं। पश्चिम बंगाल में तृण मूल कांग्रेस के तीन विधायक भाजपा में जा चुके हैं तो एक सीपीएम के विधायक ने भी भाजपा का पल्लू थाम लिया है। इससे इतर बिहार में अलग किस्म की खिचड़ी पक रही है।

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मायावती ने उत्तर प्रदेश में अपनी हार का ठीकरा अखिलेश यादव की समाजवावादी पार्टी पर ही फोड़ दिया। उन्होंने सपा से पल्ला छुड़ाते हुए आरोप लगाया कि यादवों के वोट उनके उम्मीदवारों को ट्रांसफर नहीं हुए। मायावती ने इसके साथ ही उपचुनाव के लिए सभी रिक्त 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी। इधर अखिलेश के साथ उनके विलग हुए चाचा शिवपाल यादव आ गये हैं।

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पश्चिम बंगाल की बात करें तो वहां तृणमूल कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति है। पहले ही विपक्ष के चार विधाक भाजपा के साथ आ गये हैं। इनमें एक अर्जुन सिंह तो लोकसभा तक पहुंच गये। उनके बेटे ने भाजपा के टिकट पर विधायकी हासिल कर ली। इतना ही नहीं, जिस भाटपाड़ा नगरपालिका से अर्जुन सिंह आते हैं, रातोंरात उस नगरपालिका पर भाजपा का कब्जा हो गया। 26 पार्षद एक साथ भाजपा में पाला बदल कर चले गये।

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पश्चिम बंगाल में भाजपा का काम देख रहे कैलाश विजय वर्गीय ने कहा है कि सात चरणों में लोकसभा के चुनाव हुए थे, तो हमने अपनी सीटें 18 कर लीं। इसी तरह सात चरणों में बंगाल से विपक्ष का नामोनिशान मिटा देंगे। नरेंद्र मोदी ने भी लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि तृण मूल कांग्रेस के 40 विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। उसका ट्रेलर भाजपा दिखा भी चुकी है। विजयवर्गीय के मुताबिक अभी 6 चरण बाकी हैं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि ममता बनर्जी अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सकेंगी।

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बिहार में बने महागठबंधन के अगुआ दल आरजेडी में तो सन्नाटा पसरा है। अगर कोई बोल रहा है तो वह सीधे तौर पर नेतृत्व के खिलाफ। एक विधायक ने तेजस्वी यादव से विधानसभा में नेता का पद छोड़ने तक की मांग कर दी है। वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश कुमार को ही महागठबंधन संभालने के लिए कह दिया है। हार की समीक्षा के लिए बुलायी बैठक से कांग्रेस ने किनारा कर लिया। महागठबंधन के एक कद्दावर नेता हम (से) के जीतन राम मांझी ने तो यहां तक कह दिया कि तेजस्वी आरजेडी के नेता हो सकते हैं, वे महागठबंधन के नेता नहीं हो सकते। मांझी इफ्तार के बहाने नीतीश से मिल आये और अपनी पार्टी के इफ्तार में नीतीश को भी शामिल कराया। यानी बिहार में भी विपक्ष की हालत ठीक नहीं।

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कर्नाटक में भी घमासान मचा है। जनता दल (सेकुलर) को गठबंधन में घुटन महसूस हो रही है। कर्नाटक में जनता दल (सेकुलर) के साथ कांग्रेस सरकार चला रही है। जनता दल (सेकुलर) के राज्य अध्यक्ष ए.एच विश्वनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। समझा जाता है कि कर्नाटक में भी विपक्ष में बड़ी टूट होगी और टूटने वाले भाजपा का दामन थामेंगे। इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि कर्नाटक में भाजपा सरकार बना सकती है।

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मध्य प्रदेश में भी हालात ऐसे ही बन रहे हैं। कांग्रेस वहां बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और निर्दलीयों के समर्थन से सरकार चला रही है। यहां कांग्रेस को सबको संभालने में दिक्कत हो रही है। गुजरात में कांग्रेस के विधायकों के भाजपा में शामिल होने की अटकलें चल रही हैं। हरियाणा में भी विपक्ष में असंतोष है।

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