डॉन ब्रैडमैन ने 89 साल पहले एक दिन में 300 रन बनाये थे 

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डॉन ब्रैडमैन
डॉन ब्रैडमैन
  • वीर विनोद छाबड़ा 

डॉन ब्रैडमैन ने लगभग 89 साल पहले एक दिन में 300 रन बनाये थे। ऑस्ट्रेलिया के 21 साल के युवा बल्लेबाज़ डॉन इंग्लैंड में सनसनी मचा रहे थे। विदेशी होने के बावजूद इंग्लैंड के घर-घर में उनकी चर्चा थी। उनके मुखर विरोधी भी उन्हें मान दे रहे थे। पांच टेस्ट की उस सरीज़ में उन्होंने 974 रन बनाये थे, जिसमें चार शतक थे। आज तक एक टेस्ट सीरीज़ में इतने रन किसी अन्य ने नहीं बनाये हैं। हर किसी की ज़ुबां पर एक ही शब्द था, हैरतअंगेज़।

लीड्स के तीसरे टेस्ट में उनकी 334 रन की इनिंग तो अतुलनीय रही। 11 जुलाई की उस सुबह जब डॉन क्रीज़ पर आये तो इनिंग ग्यारह गेंद पुरानी हो चुकी थी। आर्ची जैक्सन एक रन पर आउट हो गए थे। डॉन की दहशत हेराल्ड लारवुड और मौरिस टेट जैसे फ़ास्ट बोलेरों के दिलो-दिमाग पर छाई थी। दरअसल, डॉन सीरीज़ में अब तक दो शतक (131 और 254) ठोक चुके थे। सबके दिल में एक ही जिज्ञासा थी, इस बार डॉन के बल्ले से कितने रनों की बौछार होगी? क्या कोई नया रिकॉर्ड बनेगा? और जल्दी ही डॉन ने बोलरों की पिटाई करनी शुरू की। देखते ही देखते लंच तक 106 रन बना डाले डॉन ने, यानी एक और शतक, लगातार तीन टेस्ट में तीन शतक।

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मगर इसके साथ ही उन्होंने एक और विचित्र कारनामा अंजाम दिया। टेस्ट के पहले ही दिन लंच से पहले शतक। उनके पहले सिर्फ विक्टर ट्रंपर और चार्ली मैकार्टनी ही ऐसा कर सके थे और ये दोनों ही ऑस्ट्रेलियन थे। रिकॉर्ड के लिए नोट कर लें कि डॉन के बाद सिर्फ़ तीन बल्लेबाज़ ही ये रिकॉर्ड बना सके हैं, पाकिस्तान के माजिद ख़ान, ऑस्ट्रेलिया के डेविड वार्नर और इंडिया के शिखर धवन।

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बहरहाल, अभी डॉन के बल्ले से ढेर रन निकलने थे। टी-ब्रेक पर उनका स्कोर था 220 रन और खेल ख़त्म होने तक ऑस्ट्रेलिया का स्कोर था 3 विकेट पर 458 रन, जिसमें अकेले डॉन के खाते में थे, 309 रन। यानी एक दिन में 300 रन। वाकई अद्भुत और अविश्वनीय। और आज भी ये रिकॉर्ड अछूता है। उनके बहुत निकट सिर्फ़ दो बल्लेबाज़ पहुंचे हैं, इंग्लैंड के वॉली हैमंड और इंडिया के वीरेंद्र सहवाग। 1933 में हैमंड न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध 336 पर नॉट आउट रहे जिसमें 295 रन उन्होंने एक ही दिन में बनाये। और 2009 में सहवाग श्रीलंका के विरुद्ध एक दिन में 284 बना सके। दुर्भाग्य से वो तिहरा शतक नहीं बना पाए। अगले दिन वो 293 रन पर आउट हो गए।

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ताया जाता है कि जिस दिन डॉन ने एक दिन में तीन सौ रन बनाने का कारनामा अंजाम दिया तो सुरक्षा कर्मी बड़ी मुश्किल से उन्हें ड्रेसिंग रूम तक पहुंचा सके थे। लोग चाहते थे कि लीड्स की सड़कों पर उनका जुलूस निकाला जाए। लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसलिए कि वो बहुत थक चुके थे और उन्हें अगले दिन भी बैटिंग करनी थी। उन्होंने शॉवर लिया और चाय की चुस्कियों के साथ संगीत में खो गए। संगीत उनका सकून देता था, इसे वो दिमाग का   सर्वश्रेष्ठ व्यायाम मानते थे। खुद को एकाग्रचित करने की उनकी ये स्टाईल थी।

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अगले दिन डॉन ज़्यादा रन नहीं बना सके और 334 पर आउट हो गए। इस यादगार रिकॉर्ड इंनिग में उन्होंने सिर्फ एक चांस दिया जब 273 के स्कोर पर विकेटकीपर डकवर्थ ने उनका ज़मीन को लगभग छूता हुआ एक मुश्किल कैच छोड़ा। अगले टेस्ट में डॉन का बल्ला खामोश रहा। मगर उसके बाद यानी आखिरी टेस्ट में उन्होंने 232 की एक और शानदार इनिंग खेली। स्मरण रहे कि डॉन के ज़माने में हेलमेट और भांति भांति के बॉडी गार्ड जैसे सुरक्षा कवच नहीं हुआ करते थे।

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