इंडिया टीम उस दिन 120 रन भी नहीं बना पाई थी 

0
68
  • वीर विनोद छाबड़ा 

इंडिया टीम उस दिन 120 रन भी नहीं बना पायी थी। वेस्ट इंडीज के साथ भारतीय टीम खेल रही थी। 31 मार्च 1997 का वह दिन था। मैदान था बारबडोस का ब्रिजटाउन। वेस्ट इंडीज और इंडिया के बीच तीसरे टेस्ट का चौथा दिन। अब तक की स्थिति ये थी, वेस्ट इंडीज़ के 298 के जवाब में इंडिया ने 319 रन बनाये थे। दूसरी इनिंग में इंडीज टीम महज 140 रन ही बना पायी। इसमें अंतिम विकेट के लिए मर्व डिलोन (21) और कर्टली एम्ब्रोज़ (18 नॉट आउट) के बीच 33 रन की पार्टनरशिप का महत्वपूर्ण योगदान भी था।

अब इंडिया को जीत के लिए सिर्फ 120 रनों की जरूरत थी। पिछली शाम खराब रोशनी के कारण खेल रुका था तो इंडिया का दूसरी इनिंग में स्कोर बिना किसी नुकसान 2 रन था। वीवीएस लक्ष्मण और नवजोत सिंह सिद्धू क्रीज पर थे। पीछे सितारों की लाइन थी, राहुल द्राविड़, सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, मोहम्मद अजहरूद्दीन और नयन मोंगिया। अब जीत सिर्फ 118 रन दूर थी। इंडीज में पिछली जीत 1976 में 403 रन का लक्ष्य हासिल करके मिली थी। सब उसी सुनहरी याद में डूबे थे।

- Advertisement -

यह भी पढ़ेंः और वेस्ट इंडीज का मुकाबला जिसने भी देखा, वह धन्य हो गया 

यहां इंडिया में जीत को लेकर किसी को कोई शक नहीं था। हां, थोड़ी प्रॉब्लम पिच के साथ थी। विशेषज्ञ कह रहे थे कि जीत तो इंडिया की पक्की है, मगर बैट्समैन को एक्स्ट्रा सजग रहना होगा। मगर कोई ख़्वाब में नहीं सोच सकता था कि उस दिन इंडीज़ के बॉलर कर्टली एम्ब्रोज़, डिलोन और फ्रैंकलिन रोज हैरान करने वाले थे। इंडिया के धुरंधर अगले 35 ओवरों में मात्र 81 रन बना कर ही आउट हो गए। यानी 38 रन से हार गयी।

यह भी पढ़ेंः युवराज क्रिकेट के मैदान से विदा हुए, मगर दिल से नहीं 

जीत की उम्मीद लगाए जिस भी भारतीय ने सुना, उसका मुझ खुला का खुला रह गया। हज़ार हज़ार गालियां खायीं सभी बल्लेबाज़ों ने। आखिरी 8 विकेट तो 49 रन पर गिरे। एक लक्ष्मण (19) को छोड़ कोई अन्य बहादुर दहाई भी नहीं क्रॉस कर सका। पहली इनिंग में शानदार 92 रन बनाने वाले कप्तान सचिन तेंदुलकर सिर्फ 4 रन ही बना सके।   डिलोन ने सबसे ज्यादा गदर काटा, 22 रन पर 4 विकेट। एम्ब्रोज़ और रोज ने 3-3 विकेट लिए। कोई बता रहा था कि डिलोन और एम्ब्रोज के बीच अंतिम विकेट के लिए 33 रन की पार्टनरशिप ही निर्णायक साबित हुई।

यह भी पढ़ेंः रिम्स में मरीजों को निजी अस्पताल जैसी व्यवस्था का निर्देश

जब-जब इंडियन क्रिकेट का इतिहास लिखा जाएगा तो उस दिन को काले दिन के तौर पर याद किया जाएगा। मकसद ये है इस मैच का जिक्र करने का कि  हम कुछ भी सोचें, लेकिन क्रिकेट गॉड का अपना हिसाब है, अपना अंदाज है, अलग ही खेल है उसका।

यह भी पढ़ेंः सचिन को रिकॉर्ड बनाते देख तब ज़्यादा खुशी मिली थी 

 

- Advertisement -