कोहली साहब, प्रयोग की कोई गुंजाईश नहीं, अब तो थोड़ा सीरियस हो जाइये

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कोहली साहब, प्रयोग की कोई गुंजाईश नहीं, अब तो थोड़ा सीरियस हो जाइये

लम्बे अरसे हार से मिले ज़ख्म को टीम इंडिया सहलाती रहेगी

बेंगलुरु: चिन्नास्वामी स्टेडियम में इंडिया और साउथ अफ्रीका के बीच तीसरा ट्वेंटी20 भारतीय नज़रिये से एंटी क्लाइमैक्स पर ख़त्म हुआ। दर्शक आये थे विराट कोहली के लड़के उन्हें एंटरटेन करेंगे। मगर हुआ ठीक उल्टा। क्विंटन डी कॉक के लड़के एंटरटेन करके चले गए।

दरअसल साउथ अफ्रीका ने आज टीम इंडिया को नौ विकेट से करारी शिकस्त दी। भले कोहली एंड कंपनी कहती रही कि खेल में सब चलता है,  मगर वास्तविकता ये है कि लम्बे अरसे तक इस हार से मिले ज़ख्म टीम इंडिया सहलाती रहेगी, टीस उठती रहेगी। अगर कहा जाए कि कोहली के प्रयोग से इंडिया हारी है तो भी गलत न होगा।

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कोहली खुद भी बेशर्मी से कहते हैं कि वर्ल्ड कप ट्वेंटी20 से पहले टॉस जीत कर पहले बैटिंग करने का प्रयोग ज़रूरी था। कमाल की बात है, आप सीरीज़ में क्लीन स्वीप करने के कगार पर खड़े हों और आपको प्रयोग की सूझ रही है। भुगत लिया न नतीजा। चलो, रिकॉर्ड तो बना।

बेंगलुरु की पिच पर ट्वेंटी 20 में टॉस जीत कर पहले बैटिंग चुनने वाले पहले कप्तान बने कोहली। बधाई हो! चलो टॉस जीता और पहले बैटिंग चुनी, ठीक। मगर ये कौन सा प्रयोग है कि उठा-उठा कर मारो, भले ही आउट हो जाओ। एक नहीं पूरे नौ बैट्समैन बड़ी शॉट मारने के चक्कर में आउट हुए। खुद कप्तान कोहली भी। अब आप भले ही ऋषभ पंत को कोसते रहे कि उसने आज फिर एक और मौका गंवाया।

अरे भई, इसमें भला ऋषभ का क्या कसूर? वो तो फिर भी 19 रन बना गया, कोहली और रोहित शर्मा तो नौ-नौ रन ही बना सके। उनसे अच्छा तो रविंद्र जडेजा रहा। उसने भी 19 रन बनाये। बेचारा अकेला शिखर धवन अपना रोल जस्टिफाई कर सका, 25 गेंदों पर 36 रन बनाये, अब इससे ज़्यादा वो भी क्या करता? बच्चे की जान लोगे क्या? इंडिया का 139 पर नौ का स्कोर देख कर कौन सी ऐसी विपक्षी टीम होगी जो खुश नहीं होगी, बल्लियां नहीं उछलेंगी।

अकेले मैन ऑफ़ सीरीज़ कप्तान क्विंटन डी कॉक ने ही काम तमाम कर दिया। उसने किसी को दौड़ाया नहीं। बस चौके और छक्के लगाता रहा, 52 गेंद पर 79 नॉट आउट जिसमें छह चौके और पांच छक्के। ऐसे में फील्डरों को दौड़ने की ज़रूरत बहुत कम पड़ी।

साउथ अफ्रीका ने इंडियन खिलाड़ियों को ज़्यादा थकने नहीं दिया, सत्रहवें ओवर में एक विकेट खोकर ज़रूरी 140 रन बना लिए। सीरीज़ एक-एक से बराबर। चलो अच्छा हुआ, न हारे न हम हारे। अब तीन टेस्ट मैच की तैयारी। वर्ल्ड चैंपियनशिप से जुड़ी सीरीज़ है। कोहली साहब, प्रयोग की कोई गुंजाईश नहीं है। अब थोड़ा सीरियस हो जाओ।

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