संस्कृत वैज्ञानिकों की पसंद, जानिए इसके बारे में रोचक तथ्य

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संस्कृत वैज्ञानिकों की पसंद है। यह बात शायद सब लोग नहीं जानते। आइए, जानिए इसके बारे में कुछ रोचक तथ्य कि क्यों यह वैज्ञानिकों को पसंद है। संस्कृत के बारे में इन तथ्यों को जान कर आपको भारतीय होने पर गर्व होगा। हाल ही में हिन्दी की अनिवार्यता को लेकर जब दक्षिण के राज्यों में विरोध हो रहा था तो नासा ने संस्कृत को प्रमोट करने के लिए आर्थिक सहयोग का ऐलान किया। इसके पीछे तर्क यही था कि इसे वैज्ञानिकों की कूटभाषा बनाया जा सकता है। आज हम आपको संस्कृत के बारे में कुछ ऐसे तथ्य बता रहे हैं, जो किसी भी भारतीय का सर गर्व से ऊंचा कर देंगे।

यह तो सभी जानते हैं कि संस्कृत आदिभाषा मानी गयी है। इसको सभी भाषाओं की जननी माना जाता है। यानी दूसरी भाषाएं संस्कृत की कोख से ही पैदा हुई हैं। शायद यही वजह है कि संस्कृत उत्तराखंड की आधिकारिक भाषा बनायी गयी है। अरब के लोगों के हस्तक्षेप से पहले संस्कृत भारत की राष्ट्रीय भाषा थी।

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भले हम कहें कि संस्कृत कठिन भाषा है, यह आम बोलचाल की भाषा नहीं बन सकती, लेकिन NASA के मुताबिक, संस्कृत धरती पर बोली जाने वाली सबसे स्पष्ट भाषा है। संस्कृत में दुनिया की किसी भी भाषा से ज्यादा शब्द है। वर्तमान में संस्कृत के शब्दकोष में 102 अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्द हैं।

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संस्कृत किसी भी विषय के लिए एक अद्भुत खजाना है। जैसे हाथी के लिए ही संस्कृत में 100 से ज्यादा शब्द हैं। NASA के पास संस्कृत में ताड़पत्रों पर लिखी 60,000 पांडुलिपियां हैं, जिन पर नासा रिसर्च कर रहा है। फोर्ब्स मैगज़ीन ने जुलाई,1987 में संस्कृत को Computer Software के लिए सबसे बेहतर भाषा माना था।

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किसी और भाषा के मुकाबले संस्कृत में सबसे कम शब्दों में वाक्य पूरा हो जाता है। संस्कृत दुनिया की अकेली ऐसी भाषा है, जिसे बोलने में जीभ की सभी मांसपेशियों का इस्तेमाल होता है। अमेरिकन हिंदू यूनिवर्सिटी के अनुसार संस्कृत में बात करने वाला मनुष्य बीपी, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल आदि रोग से मुक्त हो जाएगा। संस्कृत में बात करने से मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है, जिससे कि व्यक्ति का शरीर सकारात्मक आवेश (PositiveCharges) के साथ सक्रिय हो जाता है।

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संस्कृत स्पीच थेरेपी में भी मददगार है। यह एकाग्रता को बढ़ाती है। कर्नाटक के मुत्तुर गांव के लोग केवल संस्कृत में ही बात करते हैं। सुधर्मा संस्कृत का पहला अखबार था, जो 1970 में शुरू हुआ था। आज भी इसका ऑनलाइन संस्करण उपलब्ध है।

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जर्मनी में बड़ी संख्या में संस्कृतभाषियों की मांग है। जर्मनी के 14 विश्वविद्यालयों में संस्कृत पढ़ाई जाती है। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब वे अंतरिक्ष यात्रियों को मैसेज भेजते थे तो उनके वाक्य उलट हो जाते थे। इस वजह से मैसेज का अर्थ ही बदल जाता था। उन्होंने कई भाषाओं का प्रयोग किया, लेकिन हर बार यही समस्या आई। आखिर में उन्होंने संस्कृत में मैसेज भेजा, क्योंकि संस्कृत के वाक्य उल्टे हो जाने पर भी अपना अर्थ नही बदलते हैं। जैसे- अहम् विद्यालयं गच्छामि। विद्यालयं गच्छामि अहम्। गच्छामि अहम् विद्यालयं। उक्त तीनों के अर्थ में कोई अंतर नहीं है।

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आपको जानकर हैरानी होगी कि Computer द्वारा गणित के सवालों को हल करने वाली विधि यानी Algorithms संस्कृत में बने हैं, ना कि अंग्रेजी में। नासा के वैज्ञानिकों द्वारा बनाए जा रहे 6th और 7th जेनरेशन (पीढी़) Super Computers संस्कृत भाषा पर आधारित होंगे, जो 2034 तक बन कर तैयार हो जाएंगे। संस्कृत सीखने से दिमाग तेज हो जाता है और याद करने की शक्ति बढ़ जाती है। इसलिए London और Ireland के कई स्कूलों में संस्कृत को अनिवार्य विषय बना दिया है। इस समय दुनिया के 17 से ज्यादा देशों के कम से कम एक विश्वविद्यालय में तकनीकी शिक्षा के पाठ्यक्रम में संस्कृत पढ़ाई जाती है।

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