केरल की बाढ़ प्राकृतिक आपदा घोषित, झारखंड के सीएम की अपील

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रांची। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि केरल में आई भीषण बाढ़ और तबाही से पूरा देश स्तब्ध है। दुख और चुनौती की इस घड़ी में झारखण्ड की सवा तीन करोड़ जनता के साथ-साथ पूरा देश केरल के साथ खड़ा है। राज्य सरकार 5 करोड़ रुपये राहत के लिए केरल मुख्यमंत्री राहत कोष में भेज रही है। मुख्यमंत्री ने समाज सेवी संस्थाओं के साथ-साथ आम जनता से अपील की है कि अपने-अपने स्तर से भी इस विपदा की घड़ी में लोग केरल के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आएं। मुख्यमंत्री ने बाबा बैद्यनाथ से प्रार्थना की कि जल्द भगवान शिव इस प्रकृतिक विपदा से केरल के बाढ़ पीड़ितों को राहत दें। केरल की बाढ़ को केंद्र सरकार ने गंभीर प्राकृतिक आपदा घोषित कर दिया है।

आफत की बारिश थमने से थोड़ी राहत भले ही मिली है, लेकिन अब बेघर लोगों के पुनर्वास और पानी उतरने के बाद बीमारियों को फैलने से रोकने की चुनौती खड़ी हो गई है। अब तक 357 लोगों की इस आपदा में मौत हो चुकी है। तकरीबन 10 लाख विस्थापितों को 5,645 राहत शिविरों में रखा गया है।

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बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही डेंगू, मलेरिया, हैजा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। शिविरों में महामारी फैलने के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने 3,757 चिकित्सा शिविर भी स्थापित कर दिए हैं। साथ ही हर पंचायत में पांच स्वास्थ्य अधिकारी भी तैनात किये गये हैं। राज्य के सभी 14 जिलों से आरेंज अलर्ट हटा दिया गया है, जबकि इडुक्की, कोझिकोड और कन्नूर में यलो अटर्ल जारी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि अब तक महामारी फैलने की कोई खबर नहीं है। हालांकि, हर दिन महामारी की शुरुआती जांच के निर्देश दे दिए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बताया कि उन्होंने राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा से इस बारे में बात की है। वह हालात पर लगातार नजर रखे हैं। मौसम विभाग के अनुसार, केरल में इस मानसून में सामान्य से 42 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। सर्वाधिक प्रभावित इडुक्की में सामान्य से 92 फीसदी ज्यादा और पलक्कड़ में 72 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।

इधर सेना की दक्षिणी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल डीआर सोनी ने कहा कि बचाव अभियान जारी रहेगा। एक-एक व्यक्ति को सुरक्षित निकालना सेना की जिम्मेदारी है। जहां आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता, वहां लोगों की मदद के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। छतों और दुर्गम स्थानों पर फंसे लोगों को निकालने के लिए सेना के हेलीकाप्टरों की मदद ली जा रही है। मलबे में फंसे घरों को साफ करने के प्रयास भी शुरू हो गए हैं, ताकि उन्हें रहने लायक बनाया जा सके।

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