इंदिरा गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट के एक जज को राज्यसभा भेजा था

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इंदिरा गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज को राज्यसभा बेजा था, अब रंजन गोगोई की आलोचना हो रही है
इंदिरा गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज को राज्यसभा बेजा था, अब रंजन गोगोई की आलोचना हो रही है

इंदिरा गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट के एक जज को राज्यसभा भेजा था। रिटायर्ड चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा भेजे जाने की आलोचना करने वाले यह भी जान लें। आलोचना करने वालों की दलील है कि राम मंदिर पर सरकार के मनोनुकूल फैसला देने का उन्हें पारितोषिक मिला है। लेकिन इतिहास गवाह है कि रंजन गोगोई का मामला पहला नहीं है। इसके पहले भी औसी बात हुई है। एक भ्रष्ट मुख्यमंत्री को बचाने वाले जज को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी राज्यसभा भेजा था।

  • सुरेंद्र किशोर
सुरेंद्र किशोर, वरिष्ठ पत्रकार
सुरेंद्र किशोर, वरिष्ठ पत्रकार

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्य सभा का सदस्य बनाने का कुछ लोगों द्वारा विरोध हो रहा है। पर, विरोध करने का नैतिक हक कम से कम कांग्रेस को तो बिलकुल नहीं है! क्योंकि इंदिरा गांधी ने 1983 में सुप्रीम कोर्ट के जज बहरूल इस्लाम को इनाम स्वरूप राज्य सभा भेजा था।

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बहरूल इस्लाम ने एक कांग्रेसी मुख्यमंत्री पर एक बैंक घोटाले में मुकदमा चलाने से रोक दिया था। जबकि, उस मुख्यमंत्री के खिलाफ गवाह भी उपलब्ध था और कागजी सबूत भी। यदि उस बैंक घोटाले में उस शीर्ष नेता को सजा हो गई होती तो बाद वर्षों में जो बड़े पैमाने पर बैंक घोटाले हुए, वे संभवतः नहीं होते।

दूसरी ओर, यह कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने राम मंदिर के बारे में जो निर्णय दिया, उसके इनाम स्वरूप उन्हें राज्य सभा में मनोनीत किया गया। यदि इसे मान भी लिया जाए तो रंजन गोगोई ने देश हित में ही तो काम किया था। उनका निर्णय देश में शांति स्थापना के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।

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उससे पहले के सैकड़ों सालों में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर दोनों पक्षों के हजारों लोगों की जानें जा चुकी थीं। आज उस मंदिर-मस्जिद को लेकर देश में कोई तनाव नहीं है। वैसे भी संविधान के अनुच्छेद -142 में मिले अधिकार का उपयोग करते हुए  ही सबसे बड़ी अदालत ने राम मंदिर पर निर्णय दिया है।

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दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट के बहरूल इस्लाम और आर.बी. मिश्र की पीठ के बहुमत जजमेंट से देश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला। उस केस में विमत जजमेंट लिखने वाले तुलजापुरकर ने सबूत और गवाहों की चर्चा की थी। याद रहे कि उसी मुख्यमंत्री को एक अन्य बड़े घोटाले में कोर्ट ने बाद के वर्षों में  सजा दी थी।

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जहां तक राफेल मामले में रंजन गोगोई के रुख का सवाल है तो उसमें कोई घोटाला भी है, इस बात का सबूत कहां है? यहां तक कि उस संबंध में जब कपिल सिब्बल से सवाल किया गया तो उनका जवाब क्या था? सिब्बल ने कहा था कि राफेल सौदे को लेकर यदि मुझे कोई सबूत हाथ लगेगा तो मैं पी.आई.एल. जरूर दाखिल कर दूंगा। सिब्बल साहब को आज तक कोई सबूत नहीं मिला। किसी अन्य को मिले तो दाखिल कर दें। अब तो गोगई साहब वहां नहीं हैं!!

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