फणीश्वर नाथ रेणु ने कथा की अलग प्रणाली विकसित की

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फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भिन्न भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है। प्रेमचंद के बाद फणीश्‍वर नाथ रेणु को आंचलिक कथाकार माना गया है।
फणीश्वरनाथ रेणु का कथा संसार दो भिन्न भारतीय स्‍वरूपों के बीच खड़ा है। प्रेमचंद के बाद फणीश्‍वर नाथ रेणु को आंचलिक कथाकार माना गया है।

फणीश्वर नाथ रेणु कथा की नैरेटिव या आख्यानक पद्धति के साथ नाटकीयता का समन्वय कर विरासत को कायम रखते हुए कथा की अलग प्रणाली को विकसित करते हैं। वे पुरखों से मिली  कथा की परम्परागत विरासत को कायम रखते हुए उसमें रसमयतानाटकीयता के साथ-साथ गीतात्मक  वृत्त के निर्माता  हैं। बता रहे वरिष्ठ स्तंभकार-साहित्यकार भारत यायावरः

  • भारत यायावर 
भारत यायावर
भारत यायावर

मेरीगंज भारत के एक पिछड़े गाँव का प्रतीक है। बावजूद इसके वह प्रतीक भर नहीं होकर वास्तविकता में एक भरा-पूरा गाँव है। सतत आन्दोलित। जीते-जागते विचित्र स्वभाव और स्वरूप के लोगों से निर्मित। गाँव है  और उसमें अनेक जाति-वर्ण के लोग हैं। गाँव में पिछड़ापन है। रेणु के शब्द लेकर कहें, एकदम देहाती भुच्च वातावरण है। गाँव में गरीबी है। भुखमरी है। अशिक्षा है। कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु  का अपना बनाया हुआ गाँव!  वह परम्परा में नवीनता और अनूठापन को स्थापित करने का हिमायती है। वह पुरखों से मिली  कथा की परम्परागत विरासत को कायम रखते हुए उसमें रसमयता,  नाटकीयता के साथ-साथ गीतात्मक   वृत्त का निर्माता  है।

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मैला आँचल का प्रारम्भिक वाक्य है  : गाँव में यह खबर तुरत बिजली की तरह फैल गई- मलेटरी ने बहरा चेहरे को गिरफ्फ कर लिया है और लोबिनलाल के कुएँ से बाल्टी खोलकर ले गए हैं। यह वाक्य लिखकर रेणु अपनी कथाभूमि में पाठकों का प्रवेश करवाते हैं।  आगे वे मेरीगंज गाँव का परिचय परम्परागत आख्यान कहने की शैली में करते हैं। लेकिन गौर से देखें तो लगेगा कि नाटक में सूत्रधार द्वारा कहे गए संक्षिप्त कथन की तरह यह लगेगा। इसके बाद कथा का दृश्य रूप प्रकट होता जाता है।

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फणीश्वर नाथ रेणु को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लिखा एक दुर्लभ पत्र
फणीश्वर नाथ रेणु को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लिखा एक दुर्लभ पत्र

कथा का प्रारम्भ एक खबर के फैलने से होती है, फिर तहसीलदार के इस कथन से इस खबर का खण्डन होता है, “लोबिन बाल्टी कहाँ से लाया था? जरूर चोरी की बाल्टी होगी ! साले सभी चोरी करेंगे और गाँव को बदनाम करेंगे।”

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अब एक खबर और बन गई चोरी की बाल्टी होगी। तहसीलदार का घर ही अपने-आप में मालिकटोला है। वहाँ से खबर जब राजपूत टोले में पहुँची तो इस तरह पहुँची कि कायस्थ टोली के विश्वनाथ प्रसाद और ततमाटोली के बिरंची को मलेटरी के सिपाही पकड़कर ले गए हैं। ऐसी खबर सुनकर ठाकुर रामकिरपाल सिंह को खुशी हुई,  “इस बार तहसीलदारी का मजा निकलेगा। जरूर जमींदार का लगान वसूल कर खा गया है। अब बड़े घर की हवा खाएंगे बच्चे!” यादवटोली में जब खबर पहुँची तो बलिया को गिरफ्फ नहीं गिरफ्तार कर लिया गया और रस्सी से बांधकर मलेटरी वालों को भेंट चढ़ाने पहुँचे।

तरह-तरह की खबरों की अनुगूँज अलग-अलग लोगों के पास जाकर अपना स्वरूप बदल रही है। एक बेचैनी भरा वातावरण है। 1942 आन्दोलन की दहशत भरी खबरों की छाया सबके दिमाग पर हावी है। लेकिन मलेटरी वालों की जगह डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के लोग मिलते हैं तो तनाव का वातावरण सरस माहौल में बदल जाता है। खबर के चक्कर से निकल कर सच का सामना एक सहज हास्य में  बदल जाता है। इस क्रम में तरह-तरह के भावों की अभिव्यक्ति और नाटकीयता का रमणीय रूप “मैला आँचल” को विलक्षण बना देता है। रेणु कथा की नैरेटिव या आख्यानक पद्धति के साथ नाटकीयता का समन्वय कर  कथा की अलग प्रणाली को विकसित करते हैं।

इस तरह हस्ताक्षण करते रेणु
इस तरह हस्ताक्षण करते रेणु
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