विपिन रावत की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत क्या चीन की साजिश थी ?

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सीडीएस विपिन रावत की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत क्या चीन की साजिश थी ? यह सवाल इसलिए कि चीन के दुश्मन ताईवान के सेनाध्यक्ष भी इसी तर्ज पर मारे गये थे।
सीडीएस विपिन रावत की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत क्या चीन की साजिश थी ? यह सवाल इसलिए कि चीन के दुश्मन ताईवान के सेनाध्यक्ष भी इसी तर्ज पर मारे गये थे।
विपिन रावत की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत क्या चीन की साजिश थी ? यह सवाल इसलिए कि चीन के दुश्मन ताईवान के सेनाध्यक्ष भी इसी तर्ज पर मारे गये थे। वैसे एलटीटीई र आईएसआई की ओर भी शक की सुई जा रही है। मामले की जांच के आदेश दे दिये गये हैं। जांच के बाद भी यह बात स्पष्ट हो पायेगी।
  • आचार्य श्री विष्णुगुप्त 

चीन अपने दो पड़ोसी देशों को अपना निकटतम दुश्मन मानता है। एक है भारत और दूसरा है ताईवान। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि ताईवान और भारत के सेना प्रमुख हेलीकॉप्टर दुर्घटना में ही मारे गये। यह सिर्फ संयोग नहीं है। यह चीन की कारस्तानी का एक प्रमाण हो सकता है। यह माना जाना चाहिए कि हमारे दिवंगत सेना प्रमुख विपिन रावत के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चीन ने अपनी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर दुर्घटना को अंजाम दिया है। चीन अपने विरोधी देशों पर तरह-तरह के हमले करने के लिए कुख्यात रहा है। टेक्नोलॉजी उसका सबसे बड़ा हथियार है। चीन ने धमकी दी थी कि भारत उसे उकसाये नहीं, वर्ना भारत को दुष्परिणाम झेलना पडेगा। जनरल विपिन रावत के ही करिश्मा का सुखद परिणाम था कि चीन सामरिक महाशक्ति होने के बावजूद भारतीय सेना को झुका नहीं सका था और भारतीय सेना ने अदम्य साहस का परिचय देकर चीन के सैनिकों को पीछे हटने के लिए विवश किया था।

ताईवान कभी चीन का ही हिस्सा था। माओत्से तुंग ने जब चीन पर अपना कब्जा जमाया तो फिर ताईवान अलग हो गया। आज ताईवान का स्वतंत्र अस्तित्व है। ताईवान का स्वतंत्र अस्तित्व चीन को स्वीकार नहीं है और चीन को अखरता है। ताईवान को मिटाने की चीन भरपूर कोशिश करता है। ताईवान के सेना अध्यक्ष ने चीन को चेतावनी दी थी कि अगर उस पर हमला किया तो फिर चीन को भारी नुकसान पहुंचाया जायेगा। इसके कुछ ही दिनों के बाद ताईवान के सेना प्रमुख का हेलीकाप्टर विपिन रावत के हेलीकाप्टर की तरह ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। ताईवान के सेना प्रमुख अपने कई जनरलों सहित मारे गये थे।

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चीन ने ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित की है, जो बिना हमला किये ही किसी विमान और हेलीकाप्टर में गड़बड़ी पैदा कर दुर्घटना को अंजाम दे सकती है। विमान और हेलीकाप्टर सेंसेटिव होते हैं, कंप्यूटराइज्ड होते हैं। सेंसेटिव होने और कंप्यूटराइज्ड होने के कारण साइबर क्राइम की तरह आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जा सकता है। ताईवान का जब हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और ताईवान के सेना प्रमुख मारे गये थे, तब भी चीन की इस टेक्नोलॉजी करतूत की ओर उंगली उठायी गयी थी।

हमारी सेना के अंदर चीन-पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों के गुलामों की घुसपैठ कम नहीं है। हर साल कई लोग पाकिस्तान को सूचना देने के आरोप में पकड़े जाते हैं। चीन और पाकिस्तान के लिए काम करने वाले लोग भी आसानी से हेलीकाप्टर में छेड़खानी कर दुर्घटना को अंजाम दे सकते हैं। कोई अदना सा टेक्नीशियन भी किसी हेलीकॉप्टर या विमान में छेड़खानी कर सकता है। चीन और पाकिस्तान से पैसे लेकर भारतीय सेना में काम करने वाले टेक्नीशियन और अन्य जासूसों ने भी विपिन रावत के हेलीकाप्टर में छेड़खानी की होगी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।

हमारी सेना की समस्या यह है कि सेना के पास अधिकतर सामान चीनी हैं। कांग्रेस की सरकार में चीनी उपकरणों की खरीद बड़े पैमाने पर हुर्इ्र थी। चीनी उपकरण जासूसी का भी एक बड़ा साधन होते हैं। चीन अपने उत्पादित उपकरणों से दुनिया की जासूसी भी करता है। अपने उपकरणों के माध्यम से चीन दुश्मन देश की सेना पर साइबर हमले भी करता है। अब भी भारतीय सेना के दूरसंचार और अन्य विंग में चीनी उपकरणों की भरमार है। ऐसी खबरें आती ही रहती हैं।

अब प्रश्न जांच को लेकर है। लोग बोल रहे हैं कि जांच गंभीर होनी चाहिए और जांच में कोई दोषी पाया गया तो उसे सजा मिलनी चाहिए। विपिन रावत जी के हेलीकॉप्टर दुर्घटना की गंभीर जांच होगी, इसमें कोई किन्तु-परंतु की बात नहीं है। नरेन्द्र मोदी सरकार जांच कराकर अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचेगी। लेकिन समस्या यह है कि अगर चीन दोषी पाया गया तो भी सरकार इसे जाहिर नहीं करेगी, सार्वजनिक नहीं करेगी। आखिर क्यों? इसलिए कि चीन की कारस्तानी जाहिर करने के बाद चीन पर हमला करने और चीन को सबक सिखाने का भारी दबाव नरेन्द्र मोदी सरकार के उपर होगा। नरेन्द्र मोदी की समस्या यह है कि सेना जर्जर स्थिति में है।

चीन से लड़ने के लिए हमारे पास उन्नत हथियार नहीं हैं। नेहरू के जमाने से ही कांग्रेस ने सेना को बुरी स्थिति में खड़ा कर रखा है। नरेन्द्र मोदी सेना को नये हथियारों से सुसज्जित भी कर रहे हैं। लेकिन जानना यह भी जरूरी है कि हथियार तुरंत नहीं मिलते हैं। हथियार सौदे में दो-तीन साल लग जाते हैं। समझौता होने के बाद भी हथियार मिलने में पांच साल से अधिक का समय लग जाता है। राफेल अभी तक पूरे नहीं मिले हैं। इसके बाद भारत में सेना को बदनाम करने और सेना को हथियार से वंचित करने की नीति भी चलती है। राफेल खरीद पर विरोधी राजनीति कैसी रही है, यह भी जगजाहिर है।

अब नागरिक कर्तव्य की बात। नागरिकों को देश के, खासकर आतंरिक दुश्मनों से सावधान रहना होगा। आतंरिक दुश्मनों के खिलाफ लगातार अभियान चलाने की जरूरत है। विपिन रावत की मृत्यु पर देश के दुश्मन खुशी मना रहे हैं। पाकिस्तान क्रिकेट मैच जीतता है तो दुश्मन भारत में पटाखे फोडते हैं, हिंसा करते हैं। भारतीय सेना की जासूसी करने वाले और भारतीय सेना की जानकारियां पाकिस्तान और चीन के पास पहुंचाने वाले भी देश के नागरिक ही होते हैं। ऐसे लोगों से नागरिकता छीनी जानी चाहिए।

फिर भी मोदी सरकार की जिम्मेदारी यह बनती है कि विपिन रावत जी के हेलीकॉप्टर दुघर्टना की सच्चाई सामने लायें और देश के दुश्मनों का विध्वंस करें। नरेन्द्र मोदी से बहुत उम्मीद है। भारतीय सेना पर हमें गर्व है। विपिन रावत की वीरता पर हमें गर्व है। विपिन रावत की वीरता और देशभक्ति को देश हमेशा याद करेगा।

(लेखक आचार्य श्री विष्णुगुप्त लेखक और स्तंभकार हैं। आलेख में व्यक्त विचार उनके निजी हैं। संपर्क- 9315206123)

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