रघुवंश के बाद अब तेजस्वी भी बोले- गरीब सवर्णों का आरक्षण जायज

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डैमेज कंट्रोल में जुटे राजद नेता तेजस्वी और रघुवंश प्रसाद सिंह

  • राणा अमरेश सिंह

पटना। आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण देने के केंद्र के फैसले का संसद में आरजेडी ने विरोध तो कर दिया, लेकिन मुद्दे की अहमियत समझ में आते ही राजद के नेता पलटी मार गये। पहले राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि राजद कमजोर तबके के सवर्णों को आरक्षण देने के खिलाफ नहीं है तो अगले ही दिन तेजस्वी यादव ने भी साफ कर दिया राजद आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने का पक्षधर है। याद करें तो 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा की बात कही तो राजद सुप्रीमो लालू यादव ने इसे ही मुद्दा बना कर पिछड़ी जातियों के वोट झटकने में कामयाबी हासिल कर ली कि भाजपा आरक्षण खत्म करना चाहती है। इसका खामियाजा भाजपा के हुकुम देव नारायण यादव को भी उठाना पड़ा, जो यह बार-बार समझाने की कोशिश कर रहे थे कि भाजपा आरक्षण खत्म नहीं करेगी, सिर्फ मोहन भागवत ने समीक्षा की बात कही है।

सामान्य वर्ग के कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले पर अपने सहयोगी दलों से अलग-थलग बैकफुट पर खड़ा राजद अब डैमेज कंट्रोल के मूड में दिख रहा है। एक तरफ राजद ने अब सामान्य वर्ग के अगड़ों के आरक्षण का समर्थन किया है। वहीं दलितों व पिछड़ों के आरक्षण को उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण देने की मांग की है।

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लोकसभा में इस आरक्षण से जुड़े बिल के खिलाफ वोटिंग करने वाले राष्ट्रीय जनता दल के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने बुधवार को स्वीकार किया कि संसद में बिल के खिलाफ पार्टी का वोट देना गलती थी। समझा जाता है कि पिछड़े और दलित समाज के युवाओं द्वारा इस बिल को लेकर खास प्रतिक्रिया नहीं होने के कारण पार्टी को अपना स्टैंड बदलना पड़ा है। अगड़े-पिछड़े के बीच ध्रुवीकरण की कोई संभावना न होते देख राजद ने अन्य पिछड़ी जाति आधारित पार्टियों की ताल में ताल मिलना शुरू  कर दिया है।

नरेंद्र मोदी नीत भाजपा सरकार ने जिस दिन सामान्य जातियों के गरीबों को आरक्षण का बिल कैबिनेट से पास किया था , उसी दिन से राजद नेता बिल के विरोध में मुखर हो गए थे। राजद सुप्रीमो लालू यादव व विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अपने ट्विटर हैंडल पर विरोध जताया था। उन्होंने लिखा, “अगर 15 फीसदी अगड़ों को 10 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए तो 80 फीसदी पिछड़े-दलितों को भी 95 फीसदी आरक्षण क्यों नहीं मिलना चाहिए!”  इसी तरह का कमेंट राजद के कद्दावर और अगड़े समाज के एक नेता ने भी ब्लाग पर किया, लेकिन आम लोगों में उस नेता के विरोध ने उन्हें अपने ब्लाग के आपतिजनक तथ्यों को मिटाने के पर मजबूर कर दिया।

लालू यादव की मन की बातें समझनेवाले पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि लालू प्रसाद ने मुझसे कहा था कि वह अगड़ी जाति के गरीबों को रिजर्वेशन देने के विरोधी नहीं हैं। पार्टी ने हमेशा गरीबों के लिए काम किया है। राजद का स्टैड ओबीसी, ईबीसी और दलित वर्ग के लिए उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण बढ़ाना था। संसद में कोटा बिल का समर्थन न करना गलती थी। चूक तो हुई है।’

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राजद के विरोधी राजग के दलित व पिछड़े नेताओं ने बिल का विरोध कर रहे रघुवंश प्रसाद सिंह को आड़े हाथ लिया। केंद्रीय मंत्री और लोकजनशक्ति पार्टी के प्रमुख रामविलास पासवान ने पूछा था कि आरजेडी के सवर्ण नेताओं मसलन रघुवंश प्रसाद सिंह चुनाव प्रचार के दौरान अगड़ी जाति के वोटरों का सामना कैसे करेंगे? रघुवंश प्रसाद सिंह को आरजेडी की ओर से वैशाली लोकसभा सीट से मैदान में उतारे जाने की तैयारी है, जो राजपुत बहुल है। बिहार में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने सिंह की टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया उस वक्त तो नहीं दी, लेकिन अब वे खुल कर बोल रहे हैं कि राजद सवर्णों के आरक्षण के खिलाफ नहीं है।  आरजेडी  के रणनीतिकारों का कहना है कि पार्टी को संतुलन साधना होगा। बरना अगड़ी जाति के वोट से हाथ धोने पड़ेंगे।

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