मंगलवार राहुल गांधी के लिए अमंगलकारी रहा, उन्हें दो बड़े झटके लगे

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बीजेपी का आरोप है कि कोरोना वायरस से उत्पन्न हुए संकट की इस घड़ी में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी झूठ बोलने से बाज नहीं आ रहे हैं। बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने यह आरोप लगाया है
बीजेपी का आरोप है कि कोरोना वायरस से उत्पन्न हुए संकट की इस घड़ी में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी झूठ बोलने से बाज नहीं आ रहे हैं। बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने यह आरोप लगाया है

मंगलवार राहुल गांधी के लिए अमंगलकारी रहा। उन्हें दो बड़े झटके लगे। एक तरफ उन्हें झूठ बोलने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आज माफ़ी मांगनी पड़ी। दूसरी ओर गृह मंत्रालय ने उनसे ब्रिटेन की नागरिकता के बारे में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। इसमें दो राय नहीं हो सकती कि इससे चुनाव पर भी असर पड़ेगा। बीच चुनाव में ऐसे प्रसंग किसी को भी परेशान कर सकते हैं। नागरिकता का मामला पहले भी उठा था लेकिन बीच में ही दब गया था। संभव है चुनावी फायदे के लिये इस मसले को फिर से उठाया गया हो। लेकिन पहला मामला राहुल गांधी की सोच को कटघड़े में खड़ा करता है।

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राजनीति एक गंभीर कार्य है। राजनेताओं से परिपक्वता की उम्मीद की जाती है। उनकी बातों पर देश भरोसा करता है। लेकिन जब राजनेता झूठ बोलने लगें  और वह भी कोर्ट का हवाला देकर, तो फिर उनकी दुर्दशा  तय है। राहुल गाँधी के साथ यही हुआ। सुप्रीम कोर्ट के हवाले से चौकीदार चोर है, कहने के लिए आज उन्हें सुप्रीम कोर्ट में माफ़ी मांगनी पड़ी। राहुल गांधी एक व्यक्ति नहीं हैं। वे कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद हैं। इस नाते उनसे ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

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चुनाव जितने के चक्कर में नेता अक्सर झूठ बोल जाते हैं। झूठे आश्वासन भी देते हैं। इसके लिए उनकी आलोचना भी होती है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर झूठ बोला जाये तो इसे क्या कहेंगे ? इसे ‘भूल’ कहना शायद भूल होगी। यह एक सोची समझी चाल है। अपने झूठ को स्वीकार्य बनाने के लिए  सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर चौकीदार चोर है ,कहा गया। अगर इसे आपराधिक कार्रवाई माना जाये तो शायद गलत नहीं होगा। उक्त बयान देते समय उनके मन में क्या बात रही होगी, वह तो कोई मनोविशेषज्ञ ही बता सकता है। लेकिन इसका उद्देश्य अपने झूठ से लोगों को गुमराह कर उनका वोट हासिल करने की मंशा ही रही होगी,इससे इंकार नहीं किया जा सकता।

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राहुल गांधी जैसे राजनीति को लेकर गंभीर नहीं हैं, उनका वही व्यवहार सुप्रीम कोर्ट की नोटिस के जवाब में भी दिखा। अपनी गलती मान कोर्ट से क्षमा मांगने के बजाय उन्होंने 22 पन्नों का हलफनामा कोर्ट में पेश किया। हलफनामे में में माफ़ी के बदले  ‘खेद’ शब्द का प्रयोग किया गया था। वह भी ब्रैकेट में लिखा गया था। यह उनका दूसरा हलफनामा था। कोर्ट ने जब फटकार लगाई तब उनके वकील ने राहुल की ओर से माफ़ी मांगी। और माफीनामा पेश करने के लिए समय मांग लिया। लेकिन अभी खतरा टला नहीं है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि माफीनामे के बाद ही वह फैसला करेगा कि इस मामले में क्या जाये। झूठ की राजनीति अधिक समय तक नहीं टिकती। यह दूसरे राजनेताओं के लिए भी सबक है।

(प्रवीण बागी के फेसबुक वाल से)

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