नामवर सिंह पर केंद्रित मुक्तांचल के नए अंक का लोकार्पण

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नामवर सिंह पर केंद्रित मुक्तांचल के अंक का लोकार्पण
नामवर सिंह पर केंद्रित मुक्तांचल के अंक का लोकार्पण

हावड़ा (पश्चिम बंगाल)। नामवर सिंह पर केंद्रित मुक्तांचल के नए अंक का लोकार्पण संपन्न हो गया। मुक्तांचल और विद्यार्थी मंच ने काव्य पाठ का आयोजन भी किया। नामवर सिंह के रचना संसार पर केंद्रित मुक्तांचल के अंक के लोकार्पण समारोह में पत्रिका की संपादक डॉ. मीरा सिन्हा ने नामवर जी को श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए कहा कि साहित्य में आलोचना का सही अर्थ निंदा करना नहीं, बल्कि उन रेशों को ढूंढ निकालना है, जिसमें रचनाकार के मूल्य बसे होते हैं।

साहित्यकार विमल वर्मा ने कहा कि नामवर जी के लेखन में देशकाल की तात्विकता का संक्रमण आलोकित होता है। कथाकार विमलेश्वर द्विवेदी ने कहा कि नामवर जी ने नए लेखकों की रचनाओं की आलोचना करते हुए उन्हें साहित्य जगत में प्रतिष्ठित किया है।  आलोचक परशुराम ने कहा कि नामवर जी ने रचना और आलोचना को संवाद का एक माध्यम बनाया है। प्रो. मधुलता गुप्ता ने कहा कि नामवर जी ने बेबाकी से किसी भी रचना की आलोचना की। इसी वजह से आज उनकी प्रासंगिकता वैसे ही बनी हुई है।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वभारती विश्वविद्यालय की प्रो. मंजूरानी सिंह ने कहा कि साहित्यकार के पास शब्द योजना नहीं, शब्द चेतना होनी चाहिए। क्योंकि युग से हटकर किसी भी रचना की आलोचना नहीं हो सकती है। इस अवसर पर प्रसिद्ध गायक अजय राय ने कविताओं पर संगीतबद्ध प्रस्तुति की।

दूसरे सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन में वरिष्ठ कवि लखवीर सिंह निर्दोष, राज्यवर्धन, परवेश, मंजू बेंज इसरत, रामाकांत सिंह, जतिव हयाल, रामअवतार सिंह, रामनारायण झा, प्रदीप कुमार धानुक, नवीन सिंह, जीवन सिंह, रवि अग्रहरि, जीवन सिंह, सुषमा कनुप्रिया, कालिका प्रसाद उपाध्याय, सरिता खोवाला, संजीव दुबे, संदीप गुप्ता, अनु नेवटिया, रावेल पुष्प,  सीमा शर्मा, मो. चांद, चंद्रिका प्रसाद पांडेय, राहुल गौंड, मधु सिंह ने अपनी कविताओं का पाठ किया।

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कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो. शुभ्रा उपाध्याय ने किया। इस मौके पर रणजीत सिन्हा, प्रो. संजय जायसवाल,  विनीता लाल, पार्वती शॉ, शाहीन परवीन,संजय पांडेय, सुधा शर्मा, शुभम जायसवाल, मुकेश झा, गुड़िया राय, अनुभव सिन्हा, विनोद यादव, नेहा सिंह, अजय ठाकुर, सुशील पांडेय उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रो. रामप्रवेश रजक ने कहा कि नामवर जी को याद करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करना है।

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